बिहार को मांझी सीएचसी ने दिया संदेश, यक्ष्मा के सभी मरीजों को समाज के सक्षम व्यक्तियों द्वारा लिया गया गोद

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– कमजोर प्रतिरोधक क्षमता और कुपोषण टीबी के प्रमुख कारण: सिविल सर्जन

– निजी अस्पतालों में नहीं बल्कि सरकारी अस्पताल में कराएं इलाज़: सीडीओ

श्रीनारद मीडिया, छपरा,  (बिहार):


सामाजिक स्तर पर समाज द्वारा टीबी मरीजों को तिरस्कार या कलंकित किया जाना यक्ष्मा उन्मूलन कार्यक्रम में सबसे बड़ा बाधक है। लेकिन इसके लिए आप सभी को जागरूक होने की जरूरत है। उक्त बातें सिविल सर्जन डॉ सागर दुलाल सिन्हा ने मांझी के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र परिसर स्थित सभागार में निक्षय मित्रों द्वारा 41 रोगियों को गोद लेकर फूड पैकेट वितरण समारोह के दौरान कही।

इतनी बड़ी संख्या में एक साथ 41 मरीजों के बीच फूड पैकेट वितरण समारोह का विधिवत उद्घाटन सीएस डॉ सागर दुलाल सिन्हा, सीडीओ डॉ आरपी सिंह, एमओआईसी डॉ रोहित कुमार के द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। सीएस ने यह भी कहा कि टीबी बीमारी की जांच एवं उपचार की सुविधा सरकार द्वारा निशुल्क उपलब्ध करायी जाती है। हालांकि निक्षय मित्र योजना टीबी मरीजों के लिए वरदान साबित हो रहा है, क्योंकि विशेष रूप से उनके पोषण का ध्यान रखा जाता है। ताकि जल्द से जल्द मरीज ठीक हो सके। कमजोर प्रतिरोधक क्षमता और कुपोषण टीबी के प्रमुख कारण हैं। लेकिन जनजागरूकता से ही लगाम लगायी जा सकती है।

उद्घाटन समारोह को सीएस, सीडीओ, डीपीएम अरविंद कुमार, डीपीसी रमेश चंद्र कुमार और प्रखंड प्रमुख राजेश कुमार द्वारा सभा को संबोधित किया गया। जबकि इस अवसर पर यक्ष्मा विभाग के डीपीसी हिमांशु शेखर, सिफार के क्षेत्रीय कार्यक्रम समन्वयक धर्मेंद्र रस्तोगी, वर्ल्ड विजन के डीसी रणधीर कुमार, बीएचएम राम मूर्ति, बीसीएम विवेक कुमार, एसटीएस राजीव कुमार, एलटी मिथिलेश कुमार सहित कई अधिकारी और कर्मी उपस्थित थे।

– निजी अस्पतालों में नहीं बल्कि सरकारी अस्पताल में कराएं इलाज़: सीडीओ
जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ रत्नेश्वर प्रसाद सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम के तहत 2025 तक जिले से टीबी को पूरी तरह से उन्मूलन करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। लेकिन इसके लिए हम सभी को जागरूक होने की जरूरत है। आप सभी अपील है कि ऐसा सुनने में आता है कि कुछ मरीज इलाज कराने के लिए निजी अस्पताल या फिर शहरों की ओर जाते हैं। फिर वहां से निराश होकर जिले के सरकारी अस्पतालों का चक्कर काटना पड़ता है। लेकिन ऐसा करने की कोई आवश्यकता नहीं है। टीबी बीमारी के बारे में जानकारी मिलते ही सबसे पहले नजदीकी सरकारी अस्पताल ही जाएं। क्योंकि जिले में अब टीबी के इलाज के साथ मुकम्मल निगरानी और अनुश्रवण की व्यवस्था उपलब्ध है।

– टीबी मुक्त अभियान को सफल बनाने के उद्देश्य से टीबी रोगियों को लिया गया गोद: एमओआईसी
मांझी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ रोहित कुमार ने बताया कि स्थानीय प्रखंड के 41 टीबी रोगियों को प्रखंड प्रमुख, बीडीओ, मुखिया सहित अस्पताल के चिकित्सक और कर्मियों द्वारा प्रधानमंत्री टीबी मुक्त अभियान को सफल बनाने के उद्देश्य से निक्षय मित्र बन मरीजों को गोद लिया गया है। जिसमें मुख्य रूप से प्रखंड प्रमुख राजेश कुमार ने 5, जय प्रकाश नारायण सेवा भारती ट्रस्ट ने 4, मुखिया ध्रुवदेव गुप्ता ने 2, बीडीओ रंजीत कुमार सिंह ने 2, डॉ नीरज, डॉ शैलेंद्र कुमार सिंह और डॉ सुशील कुमार सिंह के द्वारा दो-दो, आरबीएसके की ओर से डॉ समीउल्लाह अंसारी, डॉ अंजू कुमारी और डॉ कंज कुमार मिश्रा ने दो- दो, आयुष चिकित्सक डॉ दीपेंद्र कुमार सिंह ने दो, जबकि स्थानीय एमओआईसी के द्वारा दो टीबी मरीजों को गोद लिया गया है।

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