पंचतत्व में विलीन हुए मनमोहन सिंह
राजकीय सम्मान के साथ मनमोहन सिंह को दी गई अंतिम विदाई
श्रीनारद मीडिया सेट्रल डेस्क
पूर्व प्रधानमंत्री,
पूर्व वित्त मंत्री,
पूर्व वित्त सचिव,
पूर्व आर्थिक सलाहकार,
पूर्व प्रधानमंत्री सलाहकार,
पूर्व RBI गवर्नर,
पूर्व UGC चेयरमैन
भारतीय अर्थव्यवस्था को नया जीवन प्रदान करने वाले अपनी शालीनता और मधुर व्यवहार के धनी मनमोहन सिंह जी को भावभीनी श्रद्धांजलि।
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पंचतत्व में विलीन हो गए। दिल्ली के निगम बोध घाट पर उनका अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ किया गया। अंत्येष्टि में राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु, पीएम मोदी समेत कई दिग्गज नेता मौजूद रहे। मनमोहन सिंह का गुरुवार रात निधन हो गया। पूर्व पीएम की तबीयत बिगड़ने के बाद गुरुवार शाम को उन्हें एम्स दिल्ली में भर्ती कराया गया था।
हार्ट से संबंधित परेशानी के चलते 92 वर्षीय सिंह को अस्पताल के आपातकालीन विभाग में लाया गया था। जहां उनका इलाज किया जा रहा था, लेकिन बाद में उनके निधन की खबर सामने आई। गुरुवार रात 9 बजकर 51 मिनट पर मनमोहन सिंह ने अंतिम सांस ली।
भाजपा सांसद नवीन जिंदल ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि देश ने एक महान नेता को खो दिया है। सिंह का गुरुवार को निधन हो गया। नवीन जिंदल ने कहा कि उन्होंने देश के लिए कई सुधार लाए और देश के लिए कई लाभकारी कदम उठाए। देश ने एक महान नेता को खो दिया है।
ये बातें मनमोहन सिंह की बेटी दमन सिंह ने अपनी किताब ‘Strictly Personal: Manmohan and Gursharan’ में लिखी है। ये किताब हार्परकोलिंस से 2014 में पब्लिश हुई थी। किताब ने दमन सिंह ने अपने माता-पिता की जिंदगी के बारे में लिखा है।
कैम्ब्रिज से इकोनॉमिक्स में ऑनर्स किया
- मनमोहन सिंह ने कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से 1957 में इकोनॉमिक्स में ऑनर्स किया था। वह प्रथम श्रेणी में पास हुए थे। दमन सिंह ने लिखा है कि उनके पिता अक्सर अपने शुरुआती दिनों की बात करते थे कि कैसे गांव में जीवन काफी कठिन था।
- मनमोहन सिंह का जन्म पंजाब प्रांत के गाह में हुआ था। ये जगह अब पाकिस्तान में पड़ती है। दमन सिंह लिखती हैं, ‘एक बार मेरी बहन किकी ने उनसे पूछा था कि क्या वह कभी गाह वापस जाना चाहेंगे? इस पर उन्होंने कहा था कि कभी नहीं क्योंकि वहां मेरे दादा को मार दिया गया था।’
रहने में आता था ज्यादा खर्च
मनमोहन सिंह कैम्ब्रिज गए थे, तब उन्हें पंजाब यूनिवर्सिटी से स्कॉलरशिप के लिए महज 160 पाउंड मिलते थे। जबकि वहां रहने का सालाना खर्च 600 पाउंड आता था। वह लिखती हैं, ‘बाकी के पैसों के लिए वह अपने पिता पर निर्भर थे। मनमोहन सिंह काफी सावधानी बरतते थे।’उन्हें डाइनिंग हॉल में सब्सिडी वाला खाना मिलता था। यह बाहर मिलने वाले खाने के मुकाबले काफी सस्ता था। मनमोहन सिंह ने इस वजह से कभी बाहर खाना नहीं खाया। कभी-कभार ही उन्होंने वाइन या बीयर का सेवन किया था।
खाना छोड़ देते थे मनमोहन
दमन लिखती हैं, ‘कभी जब घर से पैसे आने में देर हो जाती थी या फिर वह पैसे कम पड़ जाते थे, तो खाना छोड़ देते थे। इसके बदले वह कैडबरी की चॉकलेट खा लेते थे। उन्होंने अपने पूरे जीवन में कभी किसी से उधार नहीं लिया।’पहले साल की परीक्षा का जब रिजल्ट घोषित हुआ, तब मनमोहन सिंह उसमें प्रथम श्रेणी में पास हुए। उन्होंने अपने करीबी दोस्त मदन लाल को पत्र लिखकर कहा, ‘मुझे लगता है कि मुझे 20 पाउंड का इनाम मिलेगा। अगर मैं दबाव बनाऊं, तो छात्रवृत्ति भी मिल सकती है। लेकिन मैं इतना लालची नहीं हूं। मैं अगले साल तक इंतजार करूंगा।’
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