सीवान के लाल मनोज भावुक मॉरिशस में आयोजित भोजपुरी महोत्सव में भाग लेंगे

सीवान के लाल मनोज भावुक मॉरिशस में आयोजित भोजपुरी महोत्सव में भाग लेंगे

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क


मॉरिशस सरकार के कला और संस्कृति धरोहर मंत्रालय द्वारा 6 से 8 मई 2024, अंतरराष्ट्रीय भोजपुरी महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है जिसमें विश्व के अनेक देशों के डेलीगेट्स के साथ सिवान के सुप्रसिद्ध साहित्यकार मनोज भावुक भी भाग ले रहे हैं।

मनोज इस कार्यक्रम में बतौर रिसोर्स पर्सन व पैनालिस्ट भाग ले रहे हैं। उन्हें भोजपुरी सिनेमा के भूत, भविष्य व वर्तमान पर व्याख्यान देने के लिए मॉरिशस सरकार द्वारा आमंत्रित किया गया है। भोजपुरी सिनेमा पर मनोज की ‘भोजपुरी सिनेमा के संसार’ नाम की साढ़े चार सौ पृष्ठों की किताब है, जिसमें 1931 से लेकर 2023 तक के भोजपुरी सिनेमा के सफर पर विहंगम दृष्टिपात है। भोजपुरी साहित्य व सिनेमा पर ऐतिहासिक काम के लिए मनोज भावुक को फेमिना और फिल्मफेयर द्वारा भी सम्मानित किया जा चुका है.

कार्यक्रम का उद्घाटन मॉरिशस के प्रधानमंत्री प्रविंद कुमार जगन्नाथ और समापन राष्ट्रपति पृथ्वीराज सिंह रूपन करेगें। स्वागत भोजपुरी स्पीकिंग यूनियन की चेयरपर्सन डॉ. सरिता बुधू करेगीं।

मनोज भावुक मॉरिशस सरकार के खर्चे पर मॉरिशस जा रहे हैं। दस साल पूर्व भारत सरकार के आईसीसीआर द्वारा उन्हें मॉरिशस भेजा गया था। मनोज भोजपुरी भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए अफ्रीका-यूरोप के कई देशों की यात्रा कर चुके हैं।

सिवान जिले के रघुनाथपुर प्रखंड के कौसड़ गाँव के निवासी हैं मनोज भावुक। इनके पिता स्वर्गीय रामदेव सिंह हिंडाल्को, रेनुकूट के मजदूर नेता रहे हैं। बड़े पिताजी जंग बहादुर सिंह भोजपुरी के प्रख्यात गायक और बड़े मामा स्वर्गीय प्रोफेसर राजगृह सिंह हिन्दी-भोजपुरी के साहित्यकार हैं।


मनोज भावुक “भोजपुरी जंक्शन” नामक डिजिटल पत्रिका का संपादन करते हैं जो अपने विशेषांकों के लिए जानी जाती है। इस पत्रिका के अब तक 50 से अधिक विशेषांक निकल चुके हैं। यथा – महात्मा गांधी विशेषांक ( 3 अंक ), वीर कुँवर सिंह विशेषांक, राजेन्द्र प्रसाद विशेषांक, कोरोना विशेषांक ( 5 अंक ), रूस-यूक्रेन युद्ध विशेषांक, गिरमिटिया विशेषांक, फगुआ विशेषांक, चैता विशेषांक, दियरी-बाती-छठ विशेषांक, दशहरा विशेषांक, सिनेमा विशेषांक, देशभक्ति विशेषांक, माई-बाबूजी विशेषांक (2 अंक), जन्म-मृत्यु विशेषांक (2 अंक), संस्मरण विशेषांक, समीक्षा विशेषांक ( 4 अंक, 100 किताबों की समीक्षा ), भोजपुरी के गौरव विशेषांक, 101 दिवंगत भोजपुरी सेवी, खेती-बारी विशेषांक ( 4 अंक), राम विशेषांक ( 2 अंक ) आदि।

यह सब भोजपुरी के लिए धरोहर है। ऐतिहासिक है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह कि इस पत्रिका से न सिर्फ साहित्यकार अपितु सिनेमा, संगीत, राजनीति व विभिन्न क्षेत्रों के लोग जुड़े हुए हैं। यह दुनिया के तमाम देशों में पढ़ी जाती है। यह शोध की पत्रिका बन चुकी है।

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