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कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर इस वर्ष कई शुभ योगों का निर्माण हो रहा है - श्रीनारद मीडिया
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कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर इस वर्ष कई शुभ योगों का निर्माण हो रहा है

कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर इस वर्ष कई शुभ योगों का निर्माण हो रहा है

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि का अत्यधिक महत्व है. प्रत्येक महीने की पूर्णिमा का अपना विशेष स्थान होता है, किंतु कार्तिक मास की पूर्णिमा का महत्व अद्वितीय है. इस दिन देव दीपावली का उत्सव मनाया जाता है. इस दिन स्नान और दान करने से जीवन में समृद्धि और खुशहाली का संचार होता है. साथ ही, यह दिन सुख और शांति का भी प्रतीक है. इस वर्ष कार्तिक पूर्णिमा पर कई शुभ योग बन रहे हैं, जिससे दान-पुण्य का विशेष फल प्राप्त होता है.

कार्तिक पूर्णिमा कब है?

कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि 15 नवंबर को सुबह 6:20 बजे प्रारंभ होगी और इसका समापन 15 नवंबर की मध्यरात्रि 2:59 बजे होगा. इस प्रकार, कार्तिक पूर्णिमा का व्रत 15 तारीख, शुक्रवार को आयोजित किया जाएगा.

कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान और दीपदान का महत्व

कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर पवित्र नदी में स्नान और दीपदान का अत्यधिक महत्व होता है. यह माना जाता है कि इस दिन उचित समय पर नदी में स्नान करने से व्यक्ति अपने पापों से मुक्त हो जाता है. इसके साथ ही, इस पवित्र दिन पर जरूरतमंदों को दान देने की परंपरा भी है.

कार्तिक पूर्णिमा पर बनने वाले शुभ योग

इस वर्ष कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर चंद्रमा और मंगल का राशि परिवर्तन एक विशेष योग का निर्माण करेगा, जिसमें दोनों ग्रह एक-दूसरे की राशि में स्थित रहेंगे. इस दिन रात के समय गजकेसरी राजयोग का निर्माण होगा. इसके अतिरिक्त, बुधादित्य राजयोग भी इस दिन बनेगा. विशेष रूप से, 30 वर्षों के बाद कार्तिक पूर्णिमा पर शश राजयोग का निर्माण हो रहा है, क्योंकि अगले 30 वर्षों तक शनि कुंभ राशि में गोचर नहीं करेंगे. इस प्रकार, कार्तिक पूर्णिमा पर किए गए उपाय और दान पुण्य के कार्यों का फल 100 गुना अधिक प्राप्त होगा.

कार्तिक पूर्णिमा का महत्व

कार्तिक पूर्णिमा के संदर्भ में एक पौराणिक कथा प्रचलित है. मान्यता के अनुसार, भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक एक राक्षस का संहार किया था. इसी कारण इस पूर्णिमा को त्रिपुरासुर पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन को विशेष रूप से देव दिवाली के रूप में भी मनाया जाता है. कार्तिक पूर्णिमा तक भगवान विष्णु मत्स्य अवतार में जल में निवास करते हैं, इसलिए इस दिन जल में दीप जलाने की परंपरा अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है.

कार्तिक पूर्णिमा पूजन विधि

  • सुबह जल्दी उठें और पवित्र स्नान करें।
  • इस शुभ दिन पर भक्त स्नान के लिए गंगा घाटों पर भी जाते हैं। कहा जाता है इससे जीवन में खुशहाली आती है।
  • इस दिन सत्यनारायण व्रत करना और भगवान विष्णु की पूजा करना शुभ माना जाता है।
  • इस मौके पर कई लोग हवन/यज्ञ का भी आयोजन करते हैं और भगवान शिव की पूजा करते हैं।
  • इस तिथि पर गंगा घाटों के पास दीपदान करने अवश्य जाना चाहिए और मिट्टी का दीपक जलाना चाहिए।
  • इस शुभ अवसर पर भगवान विष्णु और भगवान शिव के मंत्रों का जाप करना बहुत ही फलदायी माना जाता है।
  • कार्तिक पूर्णिमा पर धर्म ग्रंथ जैसे – भगवद गीता, रामायण और कार्तिक महात्म्य कथा अवश्य पढ़ना चाहिए।
  • इस दिन शाम के समय चंद्रमा को अर्घ्य देने का भी विधान है।
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