Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the newsmatic domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/imagequo/domains/shrinaradmedia.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121
यूएनजीए में भारत की दावेदारी के पक्ष में US-रूस समेत कई तैयार,किन्तु फंस रहा पेच - श्रीनारद मीडिया

यूएनजीए में भारत की दावेदारी के पक्ष में US-रूस समेत कई तैयार,किन्तु फंस रहा पेच

यूएनजीए में भारत की दावेदारी के पक्ष में US-रूस समेत कई तैयार,किन्तु फंस रहा पेच

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow

फ्रांस के बाद ब्रिटेन ने भी किया समर्थन

UNSC का स्थाई सदस्य बने भारत-फ्रांस

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में सुधार की भारत की मांग को व्यापक तौर पर समर्थन मिल रहा है। इसकी बानगी इस साल की संयुक्त राष्ट्र महाधिवेशन (यूएनजीए) में भी देखने को मिली है जहां कम से कम नौ देशों के प्रतिनिधियों ने अपने संबोधन में यूएनएससी में स्थाई सदस्यता के भावी उम्मीदवार के तौर पर भारत का नाम लिया है।

भारत के पक्ष में ये देश

भारत के अलावा ब्राजील, अफ्रीकी महादेश के प्रतिनिधि के तौर पर भी किसी देश को स्थाई सदस्य बनाने का समर्थन मिला है। लेकिन एक खास बात भारत के समर्थन में यह रही है कि मौजूदा पांच स्थाई सदस्यों में से चार – अमेरिका, इंग्लैंड, रूस और फ्रांस ने एक बार फिर दोहराया है कि वह भारत की दावेदारी के पक्ष में है। सिर्फ चीन ही एकमात्र ऐसा देश है जिसने इस बार भी भारत का नाम नहीं लिया है हालांकि उसके प्रतिनिधि की तरफ से भी संयुक्त राष्ट्र के मौजूदा स्वरूप में बदलाव की बात कही गई है।

अमेरिका ने की भारत की पैरवी

अमेरिका आधिकारिक तौर पर लगातार यूएनएससी में भारत को शामिल करने की पैरवी करता रहा है। 23 सितंबर को आयोजित समिट ऑफ फ्यूचर्स में भाषण देते हुए अमेरिकी विदेश मंत्री एंटोनी ब्लिंकन ने संयुक्त राष्ट्र में सुधार के साथ ही भारत की स्थाई सदस्यता देने की समर्थन किया था। इस आयोजन में पीएम नरेन्द्र मोदी ने अपने भाषण में संयुक्त राष्ट्र में सुधार को वैश्विक शांति व विकास के लिए सबसे जरूरी काम करार दिया था।

फ्रांस के बाद ब्रिटेन ने भी किया समर्थन

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के लिए भारत को अब अमेरिका और फ्रांस के बाद ब्रिटेन का भी सार्वजनिक समर्थन हासिल हो गया है। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीएर स्टार्मर ने सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता के लिए भारत के दावे का समर्थन किया है।

न्यूयार्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा में स्टार्मर ने कहा, बहुपक्षीय वैश्विक व्यवस्था के युग में सुरक्षा परिषद में सुधार होना आवश्यक है। इस संस्था को ज्यादा प्रतिनिधित्वपूर्ण और जिम्मेदार बनाए जाने की जरूरत है।

ब्रिटेन ने किया मांग का समर्थन

स्टार्मर ने कहा कि इसके लिए भारत, अफ्रीका, ब्राजील, जापान और जर्मनी को सुरक्षा परिषद में स्थायी स्थान मिलना चाहिए। वैश्विक विकास में इन देशों की भूमिका बढ़नी चाहिए।

इससे पहले बुधवार को महासभा में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता की जोरदार पैरवी की थी। कहा था कि इससे सुरक्षा परिषद की भूमिका और ज्यादा प्रभावी बनाने में मदद मिलेगी।

अमेरिका भी कर चुका है पैरवी

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन सुरक्षा परिषद में भारत की दावेदारी का पहले ही समर्थन कर चुके हैं। विश्व की इस सबसे शक्तिशाली संस्था के इस समय अमेरिका, रूस, चीन, ब्रिटेन और फ्रांस ही स्थायी सदस्य हैं।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता को लेकर बातचीत हो रही है। फ्रांस ने स्थायी सदस्यता के लिए भारत का समर्थन किया है। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने यूएनएससी में स्थायी सदस्यता के लिए भारत की दावेदारी का समर्थन किया है।

मैक्रों ने बुधवार को न्यूयॉर्क में संयुक्त महासभा में कहा, हमारे पास एक सुरक्षा परिषद है, जिसे हमें और अधिक प्रभावी बनाने की जरूरत है। फ्रांस सुरक्षा परिषद के विस्तार के पक्ष में है। जर्मनी, जापान, भारत और ब्राजील को स्थायी सदस्य होना चाहिए।

यूएनएससी में भारत अस्थायी सदस्य है

बता दें कि वर्तमान में सुरक्षा परिषद में पांच स्थायी सदस्य है, जिसमें रूस, ब्रिटेन, चीन, फ्रांस और यूएस शामिल है। वहीं, 10 अस्थायी सदस्य हैं, जिसमें भारत भी शामिल है। पिछली बार 2021-22 में संयुक्त राष्ट्र की उच्च परिषद में भारत अस्थायी सदस्य के रूप में बैठा था।

वैश्विक संस्थानों में सुधार की जरूरत: पीएम मोदी

कुछ दिनों पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘समिट ऑफ द फ्यूचर’ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, शांति के लिए ग्लोबल रिफार्म जरूरी है। पीएम मोदी ने कहा था कि जहां एक ओर आतंकवाद वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बना हुआ है, वहीं दूसरी ओर साइबर सुरक्षा, समुद्री और अंतरिक्ष संघर्ष के नए क्षेत्र बन रहे हैं।  इन सभी मुद्दों पर मैं इस बात पर जोर दूंगा कि वैश्विक कार्रवाई वैश्विक महत्वाकांक्षा के अनुरूप होनी चाहिए। वैश्विक शांति और विकास के लिए वैश्विक संस्थानों में सुधार आवश्यक है।

Leave a Reply

error: Content is protected !!