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यूक्रेन में लगा ‘मार्शल ला’,क्या होता है इस कानून का मतलब?

यूक्रेन में लगा ‘मार्शल ला’,क्या होता है इस कानून का मतलब?

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‘मार्शल ला’ कब किया जाता है लागू

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

रूस और यूक्रेन के बीच अब जंग की शुरूआत हो चुकी है। रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने आज सुबह यूक्रेन के खिलाफ सैन्य अभियान की घोषणा कर दी है। वहीं पुतिन के जंग के ऐलान के बाद यूक्रेन में मार्शल ला का एलान कर दिया गया है। मार्शल ला के एलान के बाद से सभी लोगों के मन में यह सवाल आ रहा है कि आखिर यह मार्शल ला क्या है और इस कानून में क्या होता है। आइए जानते हैं इस कानून के बारे में-

क्या है मार्शल ला (What is Martial Law)

यह एक ऐसा कानून है जिसके तहत किसी देश की न्याय व्यवस्था को सेना अपने हाथ में ले लेती है और यह अधिकार उन्हें सरकार द्वारा ही दिया जाता है। इसके तहत जो नियम प्रभावी होते हैं उन्हें सैनिक कानून या मार्शल ला (Martial law) कहा जाता है। बता दें कि कभी-कभी युद्ध के समय अथवा किसी क्षेत्र को जीतने के बाद उस क्षेत्र में मार्शल ला लगा दिया जाता है। आमतौर पर कहा जा सकता है कि मार्शल ला का मतलब है उस स्थान पर नागरिक सरकार का मौजूद न होना।

कब लगाया जाता है मार्शल ला (When martial law is Imposed)

गौरतलब है कि मार्शल ला की घोषणा तब की जाती है जब देश में नागरिक अशांति या राष्ट्रीय परेशानी या युद्ध की स्थिति जैसी आपातकालीन स्थिति आ पड़ती है। उस समय सरकार द्वारा कोई भी निर्णय लेना मुश्किल हो जाता है इसलिए सभी निर्णय सेना द्वारा लिए जाते हैं। सामान्य शब्दों में कहें तो किसी देश या किसी क्षेत्र पर सैन्य शासन के अस्थायी नियंत्रण को मार्शल ला को रूप में परिभाषित किया जाता है। बता दें कि यह जरूरी नहीं की कोई तख्ता पलट या युद्ध के कारण ही यह लगाया जाता है। कोई बड़ी प्राकृतिक आपदा आने पर भी मार्शल ला लगाया जा सकता है।

इस कानून में सेना के अधिकार (Military Rights under Martial Law)

बताते चलें कि जब मार्शल ला घोषित किया जाता है तो उस समय सेना को कुछ विशेष अधिकार भी प्राप्त हो जाते हैं। इस कानून के तहत विशेष रूप से प्रभावित क्षेत्र पर कर्फ्यू लगाया जाता है और इसका उल्लंघन करने वाले को तुरंत गिरफ्तार भी किया जा सकता है। सेना को इसमें अनिश्चित काल तक गिरफ्तार किए हुए व्यक्ति को रखने की अनुमति भी होती है।

इस कानून के अंतर्गत नागरिक स्वतंत्रताएं जैसे स्वतंत्र आंदोलन का अधिकार, स्वतंत्र भाषण या अनुचित खोजों से सुरक्षा आदि को हटा दिया जाता है। बता दें कि न्याय प्रणाली जोकि आमतौर पर अपराधिक और नागरिक कानून के मुद्दों को संभालती है, उसे भी इस कानून के तहत सैन्य ट्रिब्यूनल जैसे सैन्य न्याय प्रणाली के साथ बदल दिया जाता है। इस कदम से सेना को यह अधिकार मिल जाता है कि वह किसी को भी जेल में डाल कर उसको मार भी सकती है।

मार्शल ला और राष्ट्रीय आपातकाल में अंतर (Difference Between Martial Law and National Emergency)

मार्शल ला और राष्ट्रीय आपातकाल में कई अंतर हैं। मार्शल ला लगने पर केवल लोगों के मौलिक अधिकार ही प्रभावित होते हैं, जबकि राष्ट्रीय आपातकाल से मौलिक अधिकारों, फेडरल स्कीम, बिजली वितरण आदि पर भी व्यापक रूप से प्रभाव पड़ता है। सरकार के साथ ही सामान्य अदालतों को भी मार्शल ला के तहत ससपेंड कर दिया जाता है, जबकि राष्ट्रीय आपातकाल में कानून की सामान्य अदालतें पहले की तरह काम करती रहती है। जानकारी के लिए बता दें कि भारतीय संविधान में इसकी कोई जानकारी नहीं है, कि मार्शल ला कब और किन परिस्थितियों में लगाया जाता है।

किन देशों में लग चुका है मार्शल ला (In Which Country Martial Law had Applied)

बता दें कि मार्शल ला को यूक्रेन से पहले कई देशों में लगाया जा चुका है। इस सूची में ऑस्ट्रेलिया (1820 से 1832 के बीच), ब्रूनेई (1962), कनाडा (1775 से1776), चाइना (1989), इजिप्ट (1981), इंडोनेशिया (2003), ईरान (1978), आयरलैंड (1916), इजराइल (1949 से 1966 तक), मोरिशस (1968), पाकिस्तान (1958 और 1969 में), फिलीपींस (1944), पोलैंड (1981), साउथ कोरिया (1946), सीरिया (1963), ताइवान (1949), थाईलैंड (1912), तुर्की (1923), अमेरिका (1871,1906 और 1934) शामिल हैं।

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