Breaking

मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम समसामयिक है ।

मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम समसामयिक है ।

previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
priyranjan singh
IMG-20250312-WA0002
IMG-20250313-WA0003
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

नीति, न्याय और नेतृत्व का चरमोत्कर्ष श्री राम भारत में राम एक ऐसा नाम है जो अभिवादन या नमस्कार का पर्यायवाची है। हिमालय से कन्याकुमारी तक ही नहीं अपितु सुदूर पूर्व के कई देशों में भी राम और रामायण असाधारण श्रद्धा के केंद्र हैं। राम प्रतिनिधित्व करतें हैं मानवीय मूल्यों की मर्यादा का। श्रीराम का चित्रण एक मनुष्य के रूप में ही किया।

रामराज की प्रतिष्ठा का मार्ग हुआ प्रशस्त।

जो समाज की विभिन्न अवस्थाओं से गुजरता है और अनेक प्रकार के कष्ट सहन करता है। चक्रवर्ती सम्राट के सुपुत्र हैं राम पर गुरुकुल या वनवास की सभी मर्यादाओं का पालन करते हैं। माता व विमाताओं में कोई भेद नहीं. भाइयों से प्रेम की कोई सीमा नहीं।

राजनीति से राम नीति की ओर।

प्रजा की आंखों के तारे हैं और पराक्रम की कोई तुलना नहीं है। सबसे महत्वपूर्ण बात कि वे राज्याभिषेक के समाचार से प्रसन्न नहीं होते और वनवास के दुःख का उन पर लेशमात्र भी प्रभाव नहीं है।‘सम्पतौ च विपत्तौ च महतां एक रूपता’के साक्षात् उदाहरण हैं। सारा पराक्रम स्वयं का है लेकिन वे इसका श्रेय अनुज लक्ष्मण को व वानरों और अपनी सेना को देते हैं।कुलीन होने के बाद भी शबरी, निषाद, केवट से अगाध प्रेम है ।राम जाति वर्ग से परे हैं।नर हों या वानर, मानव हों या दानव सभी से उनका करीबी रिश्ता है।

संस्कृतिक स्वतंत्रता का यह दिवस है।

क्षमाशील इतने हैं कि राक्षसों को भी मुक्ति देने में तत्पर हैं। वे यह सिखाते हैं कि बिना छल-कपट के मानव अपना जीवन यापन ही नहीं कर सकता अपितु ईश्वरत्व को भी प्राप्त कर सकता है। ‘नरो नारायणो भवेत्’ को उन्होंने ऐसा प्रमाणित कर दिया है कि आज उनका नाम ही ‘पतित पावन’ हो गया है।

रामराज का मतलब है स्वधर्म का पालन।

राम सिर्फ दो अक्षर का नाम नहीं, राम तो प्रत्येक प्राणी में रमा हुआ है, राम चेतना और सजीवता का प्रमाण है।अगर राम नहीं तो जीवन मरा है। राम भगवान विष्णु के सातवें अवतार माने जाते हैं।

धर्म ईश्वर की प्रत्यक्ष अनुभूति है। भारत का डीएनए है राम ।

अरविंद ने कहा कि भारतीय समाज में मर्यादा, आदर्श, विनय, विवेक, लोकतांत्रिक मूल्यों और संयम का नाम राम है। असीम ताकत अहंकार को जन्म देती है। लेकिन अपार शक्ति के बावजूद राम संयमित हैं।
राम सामाजिक हैं, लोकतांत्रिक हैं ।वे मानवीय करुणा जानते हैं। वे मानते हैं- ‘पर हित सरिस धरम नहीं भाई..राम देश की एकता के प्रतीक हैं । मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम समसामयिक है।भारतीय जनमानस के रोम-रोम में बसे श्रीराम की महिमा अपरंपार है ।

अयोध्या में हो रहा रघुनंदन का अभिनंदन।

राम का जीवन आम आदमी का जीवन है। आम आदमी की मुश्किल उनकी मुश्किल है.जब राम अयोध्या से चले तो साथ में सीता और लक्ष्मण थे। जब लौटे तो पूरी सेना के साथ। एक साम्राज्य को नष्ट कर और एक साम्राज्य का निर्माण करके। राम अगम हैं संसार के कण-कण में विराजते हैं।

पूरे देश में राघव जी के आगमन पर मनाई जा रही है दीपावली।

राम के चरित्र में पग-पग पर मर्यादा, त्याग, प्रेम और लोकव्यवहार के दर्शन होते हैं।उनका पवित्र चरित्र लोकतंत्र का प्रहरी, उत्प्रेरक और निर्माता भी है। ‘राम’ सिर्फ एक नाम नहीं हैं और न ही सिर्फ एक मानव। राम परम शक्ति हैं।

Leave a Reply

error: Content is protected !!