फाइलेरिया उन्मूलन के लिए 20 सितंबर से मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन अभियान

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अभियान के दौरान कराया जायेगा अल्बेंडाजोल व डीआईसी दवा का सेवन:
फाइलेरिया के कारण पांव, महिलाओं में स्तन व पुरुषों के जननांगों में सूजन:
जिला के काको व रतनी फरीदपुर प्रखंड फाइलेरिया से सबसे अधिक प्रभावित:

श्रीनारद मीडिया, जहानाबाद, (बिहार):


जिला में 20 सितंबर से फाइलेरिया उन्मूलन की दिशा में स्वास्थ्य विभाग द्वारा मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन अभियान चलाया जायेगा। अभियान के तहत माइक्रो प्लानिंग कर फाइलेरिया प्रभावित क्षेत्रों में आमलोगों को दवा का सेवन कराया जाना है। मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कार्यक्रम के दौरान आशा घर घर जाकर फाइलेरिया दवा का सेवन करायेंगी। वहीं जीविका दीदी की मदद से आमजन को फाइलेरिया की दवा लेने के लिए प्रेरित किया जायेगा। फाइलेरिया के लिए मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन अभियान चलाने में स्वास्थ्य विभाग को तकनीकी सहायता देने वाली कई स्वास्थ्य संस्थाओं का सहयोग मिल रहा है। इनमें विश्व स्वास्थ्य संगठन, पीसीआई व केयर इंडिया शामिल हैं।

जिला के काको व रतनी फरीदपुर सबसे अधिक प्रभावित:
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी सह फाइलेरिया नोडल अधिकारी डॉ ब्रज कुमार ने बताया जिला के काको तथा रतनी फरीदपुर प्रखंड फाइलेरिया से सबसे अधिक प्रभावित हैं। इन प्रखंडों के फाइलेरिया प्रभावित गांवों को चिह्नित कर यहां के लोगों को दवा दी जायेगी। शिक्षा, जीवका, आइसीडीएस, पीआरई सदस्य, पीडीएस वितरक, विकास मित्र आदि विभागों के साथ समन्वय स्थापित कर उन्हें अभियान में शामिल किया जायेगा। प्रोजेक्ट कंर्सन इंटरनेशनल के सुनील अग्रवाल ने बताया काको प्रखंड सहित अन्य सभी छह प्रखंडों में जीविका दीदी का फाइलेरिया संंबंधी उन्मुखीकरण कार्य किया गया है। वहीं रतनी फरीदपुर प्रखंड में भी डीवीबीडीओ डॉ ब्रज कुमार की अध्यक्षता में दवा सेवन संबंधी आवश्यक प्रशिक्षण स्वास्थ्यकर्मियों को दिया गया है। इस दौरान वीबीडीओ कंसल्टेंट निशिकांत कुमार भी मौजूद रहे। इस अभियान के तहत डीईसी एवं अल्बेंडाजोल की गोलियां लोगों को दी जायेंगी। पांच से 15 वर्ष तक के बच्चों को डीईसी की दो और अल्बेंडाजोल की एक गोली देनी है, वहीं 15 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को डीईसी की तीन व अल्बेंडाजोल की एक गोली देनी है। अल्बेंडाजोल का सेवन चबा कर किया जाना है।

लाइलाज बीमारी है फाइलेरिया, दवा का सेवन जरूरी:
फाइलेरिया को हाथी पांव के नाम से भी जाना जाता है। फाइलेरिया का इलाज समय पर नहीं होने से यह लाइलाज हो जाता है। यह काम करने की क्षमता को बुरी तरह प्रभावित करता है। फाइलेरिया का पता संक्रमित होने के तीन से 15 साल बाद पता चलता है। फाइलेरिया के लक्षणों की पहचान जरूरी है। ज्यादा दिनों तक बुखार रहने के साथ पुरुष के अंडकोष की थैली या हाइड्रोसील में या महिलाओं के स्तन में दर्द या सूजन और खुजली, हाथ-पैर में सूजन या दर्द, लाल धब्बे या दाग फाइलेरिया के लक्षण हैं। यह क्यूलेक्स नामक मच्छर के काटने से होता है। फाइलेरिया संक्रमण होने पर लंबे समय तक इलाज और पूर्ण दवा की खुराक से जीवन सामान्य हो सकता है। सभी सरकारी अस्पताल पर डीईसी दवा नि:शुल्क उपलब्ध है।

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