युवा पीढ़ी के लिए अनुकरणीय हैं मौलाना मजहरुल हक के आदर्श: डीएम
राजकीय समारोह के रूप में मनी 156 वीं जयंती
श्रीनारद मीडिया, चंद्रशेखर, छपरा (बिहार):
छपरा. हिन्दू हों या मुसलमान, एक ही कश्ती के मुसाफिर हैं, डूबेंगे तो साथ, पार उतरेंगे तो साथ. मौलाना मजहरूल हक का यह कथन आज देश के लिए बहुत ही प्रासंगिक है. उक्त बातें विधान पार्षद डॉ वीरेंद्र नारायण यादव ने कहीं. जिला प्रशासन के तत्वावधान में गुरुवार को 156 वीं हक जयंती राजकीय समारोह के रूप में आयोजित की गयी. मजहरुल हक चौक और एकता भवन में अवस्थित हक साहब की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उनके प्रति श्रद्धा सुमन अर्पित किया गया.
माल्यार्पण के बाद डॉ यादव ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि मजहरुल हक साहब ने देश की आजादी और स्वतंत्रता सेनानियों की मदद के लिए अपना पद, घर-बार, धन संपत्ति सबकुछ दान कर दिया. ऐसा त्याग कम देखने को मिलता है. मौके पर मौजूद मजहरुल हक स्मारक ट्रस्ट के अध्यक्ष सह बिहार विधान परिषद के पूर्व उपसभापति सलीम परवेज ने कहा कि हक साहब देश के अग्रणी स्वतंत्रता सेनानियों में शामिल थे.
महात्मा गांधी उन्हें अपना बड़ा भाई मानते थे. छपरा उनकी कर्मभूमि थी. इस्लाम के सदाकत (सत्य) और सनातन के आश्रम को उन्होंने प्रायोगिक तौर पर एक करते हुए अपने घर व 16 बीघा जमीन को सेनानियों के लिए सदाकत आश्रम के रूप में दान दे दिया. यह उनके त्याग, बलिदान और हिंदू मुस्लिम एकता की मिसाल है. मौके पर डीएम राजेश मीणा ने कहा कि मौलाना ने आजदी की लड़ाई में गांधी जी और राजेंद्र बाबू के साथ सक्रिय भूमिका निभाई.
उन्होंने हिन्दू-मुस्लिम भाईचारा को मजबूत कर गंगा-जमुनी तहजीब को आगे बढ़ाया. युवा पीढ़ी को ऐसे महान व्यक्ति के आदर्शों पर चलने की जरूरत है. इस अवसर पर एसपी संतोष कुमार, डीडीसी अमित कुमार, सदर एसडीओ अरुण कुमार सिंह, डी वाई ईओ जावेद एकबाल, डीईओ, पुलिस उपाधीक्षक संजय जायसवाल, ट्रस्ट के सचिव मंजूर अहमद, जदयू नेता बैजनाथ प्रसाद सिंह विकल, भाजपा के जिला मीडिया प्रभारी श्याम बिहारी अग्रवाल, कांग्रेस नेता मो फैसल समेत अन्य राजनैतिक व सामाजिक कार्यकर्ता उपस्थित थे.
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