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हमारा अंग्रेजी नववर्ष 2025 मंगलमय हो। - श्रीनारद मीडिया

हमारा अंग्रेजी नववर्ष 2025 मंगलमय हो।

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✍️ राजेश पाण्डेय

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

हमारे देश में आज अंग्रेजी नव वर्ष है। 2024 वर्ष बीत गया, नया वर्ष 2025 प्रारंभ हो गया है। यह वर्ष भी 365 दिन, 12 महीने, 52 सप्ताह, 8760 घंटे, 525600 मिनट, 31 करोड़ 53 लाख 6000 सेकंड के बाद समाप्त हो जाएगा।
हमारा समय बढ़ रहा है। हम अपने उम्र के एक और वर्ष समाप्त करने के लिए कदम बढ़ा चुके है। इसके लिए आज हम जगह-जगह पिकनिक, पार्टी और जश्न मान रहे हैं ताकि हमारा अगला 365 दिन सुंदर हो। इसके लिए कोई नदियों के तट पर, कोई झरनों के पत्थरों पर, कोई मंदिरों के परिसरों में, कोई पार्क के हरी-भरी घास पर अपना नववर्ष मना रहा है।

अपने देश में भारतीय काल गणना के अनुसार पारंपरिक नया साल (नव विक्रम संवत) होता है जिसकी शुरुआत चैत्र महीने से होती है- उसी के अनुसार भारत में प्रमुख त्योहारों के समय का निर्धारण होता है। भारतीय संस्कृति में नव वर्ष का शुभारंभ चैत्र मास के शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि से माना जाता है, लेकिन पश्चिमी सभ्यता की चकाचौंध व विश्वव्यापी अंग्रेजी कलेंडर की मान्यता के चलते भारतीय नव विक्रम संवत मनाने की परंपरा धीरे-धीरे विलुप्त होती जा रही है। देश में शादी-विवाह, विभिन्न धार्मिक आयोजनों और अन्य प्रमुख कार्यों का मुहूर्त भी हिन्दू नवसंवत्सर (नव विक्रम संवत) के अनुसार ही निकाला जाता है।कुछ युवा पीढ़ी अंग्रेजी नववर्ष का स्वागत मंदिरों में पूजा पाठ और घरों में धार्मिक आयोजन कर कर रही है।

बहरहाल निरंतर बढ़ते रहना अपने कर्तव्य पथ पर ईर्ष्या, द्वेष, क्रोध व प्रतिशोध को त्याग कर बढ़ता ही प्रगति है। परंतु इन सब के बीच यक्ष प्रश्न यह है कि भारत और विश्व की समस्याओं का 2025 में क्या होगा?
उदाहरण के लिए
– रूस यूक्रेन युद्ध का क्या होगा?-
– क्या ट्रंप अमेरिका को नए दौर में ले जाएंगे?
– इज़राइल फिलिस्तीन समस्या का क्या होगा?
– इसराइल और ईरान के तनाव में अब क्या होगा?
– सीरिया कितने भागों में बंटेगा?
– बांग्लादेश में तनाव एवं उसके प्रभाव से भारत कितना प्रभावित होगा?
– क्या भारत और चीन में तनाव बना रहेगा?
– क्या भारत विश्व की चौथी अर्थव्यवस्था बन पाएगा?
– पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच तनाव का भारत के ऊपर क्या असर पड़ेगा?
इन सभी प्रश्नों से जूझते हुए हम आगे बढ़ेंगे क्योंकि निरंतर आगे बढ़ना ही हमारे जीवन का मूल उद्देश्य है।

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