भगवान चित्रगुप्त का आशीर्वाद कायस्थ समाज सहित सम्पूर्ण भारत को मिलता रहे-पुष्पेंद्र कुमार पाठक
चित्रगुप्त-पूजा की अनेकानेक हार्दिक शुभकामनाएँ!
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
बड़े एहसानात हैं कायस्थ समाज का मानव जाति पर। मनुष्य अपने हाथों में पत्थर, तलवार, AK-47 हीं लिए घुमता रहता….अगर इनके हाथों कायस्थ समाज ने कलम न पकड़ाई होती। ….पौराणिक कथानुसार चित्रगुप्त को ब्रह्मा जी ने जीव-जगत का लेखा-जोखा रखने का कार्य सौंपा। फिल्मों में चित्रगुप्त को यमराज के लिए जीवन-मृत्यु, पाप-पुण्य के रेकॉर्ड को मेनटेन करते हुए पाया जाता है। यदि कहीं यमराज से गलती हुई ….तो इसकी जिम्मेदारी चित्रगुप्त पर हीं डाली जाती है। उसी चित्रगुप्त महाराज के वंशज हैं कायस्थ परिवार।
….. वेदों के अनुसार कायस्थ का उद्गम ब्रह्मा ही हैं। ब्रह्मा जी ने अपनी काया की सम्पूर्ण अस्थियों से बनाया था इन्हें—- काया+अस्थि। कायास्थ शब्द को काया+स्थ यानि शरीर को खड़े रखने वाला यानि हर परिस्थिति में अपना अस्तित्व बरकरार रखने वाला भी कहा जाता है। अगर ब्रह्मा जी के लेखाकार एवं यमराज के पाप-पुण्य का रिकॉर्ड रखने वाले भगवान चित्रगुप्त थे ….तो भारतभूमि पर भी हर युग की अलग-अलग प्रशासनिक व्यवस्था का लेखा-जोखा ज्यादातर कायस्थ समाज के पास हीं रहा।
बदलती परिस्थिति को समझना एवं उसके अनुसार स्वयं को ढाल लेने की अद्भुत क्षमता पायी जाती है कायस्थ लोगों में। नई भाषा को सीखने एवं नई संस्कृति को आत्मसात करने हमेशा दक्ष रहे। ….सबसे अद्भुत बात कि ….नई बातें सीखकर भी….अपनी मूल संस्कृति, धर्म एवं संस्कार को कभी नहीं छोड़ा। मुगलों के आने पर सबसे पहले फारसी, ऊर्दू, अरबी कायस्थ समाज ने सीखी। अंग्रेज शासन में अंग्रेजी के प्रकांड विद्वान बने। ईस्ट-इंडिया कम्पनी में बेहद सुलझे क्लर्क बने।
आधुनिक भारत में डा. राजेन्द्र प्रसाद, श्री लालबहादुर शास्त्री, श्री बीजू पटनायक आदि की उपलब्धियां स्वर्णाक्षरों में दर्ज हैं। और भी कई नाम है। पन्ने कम पड़ जाएंगे। प्रयागराज हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री एस एन श्रीवास्तव ने गीता को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित कर एक बहुत बड़ा दूरदर्शितापूर्ण कार्य किया। ऐसे और भी कई कायस्थ समाज के लोग हैं….जो चुपचाप मां भारती की सेवा में लगे हुए हैं।
भारत उनकी कीर्तिपताका को नमन करता है। भगवान चित्रगुप्त का आशीर्वाद कायस्थ समाज सहित सम्पूर्ण भारत को मिलता रहे!
एक बात और……। कायस्थ समाज के लोग भोजन के बड़े शौकीन हौते हैं। तरह-तरह के लजीज भोजन बनाना …और खाना…और खिलाना …उनका बड़ा प्रिय शौक है।
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