सभी के जीवन में सुख, समृद्धि एवं सम्पन्नता के दीपक जगमगाते रहें!

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आलोकित भारत अजेय भारत

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

भारतीय पर्वों की खुशी परिवार एवं स्वजनों के बीच होने से कई गुना बढ़ जाती है। ऐसे में …कई ऐसे परिवार के लोग हैं जो देश-विदेश में अपनी नौकरी-पेशा में व्यस्त होने …एवं हजारों किलोमीटर दूर होने के कारण अपने घर नहीं पहुंच पाते, विशेषकर उनको दीपोत्सव की अनेकानेक हार्दिक शुभकामनाएँ! दीपोत्सव एक ऐसा महापर्व है …जो भारतीयों को पूरी दुनिया में शीर्ष पर पहुंचा सकता है- सांस्कृतिक रूप से भी …एवं आर्थिक रूप से भी। बस, इस महापर्व को पूरे उत्साह एवं सात्विक मन से मनाने की कला आनी चाहिए।

…प्रकाशित किसे नहीं होना है? आलोकित होना …कौन नहीं चाहता? जब साक्षात प्रकाश का दर्शन आपकी संस्कृति में है ..तो आपके जीवन में अंधकार आ हीं नहीं सकता। बस …आवश्यकता है इस जीवन-दर्शन को सही से धरातल पर उतारने की…और देश-दुनिया के विभिन्न हिस्सों में फैले भारतवंशी इस भाव को अच्छे से समझ गए हैं।

…यदि एक दीपक जलता है …तो पूरे अँधकार के साम्राज्य को चुनौती देता है। …और यदि चारों तरफ दीप मालाएँ जगमगा उठे …तो अँधकार का नामेनिशान मिट जाता है। इसलिए….एक दीपक नहीं….अनेकानेक दीपमालाएँ सजाएँ! ….ताकि अँधकार ..आपके आस-पास भी फटकने न पाए! ….साथ में …पटाखे भी सावधानी के साथ जमकर फोड़ें! यह आपका पर्व है। अपने तरीके से मनाएं!

…सबसे ज्यादा मन उन बच्चों के लिए व्यथित है….जो अपने घर से दूर पढ़ाई एवं तैयारी में लगे होने के कारण अपने माता-पिता, भाई-बहनों से दूर हैं। डर…इस बात का है ..कि यहीं बच्चे कहीं बड़े अधिकारी, जज, डॉक्टर,इंजीनियर बनकर …दिवाली में पटाखों की वजह से फैल रहे प्रदूषण वाली बचकानी बातें न करने लगें। सबसे बड़ा सांस्कृतिक खतरा ऐसे हीं कुछ पढा़कुओं की वजह से है। …इन बच्चों में अपनी संस्कृति एवं त्योहार के प्रति श्रद्धा जगाए रखने की जिम्मेदारी भी इनके माता-पिता एवं समाज के प्रबुद्धवर्ग पर हीं है।

…..आप जहां भी हों मन एवं विचार से आलोकित रहें, स्पंदित रहें, हर्षित रहें! एक भारतीय होने के नाते …दीपोत्सव महापर्व के मुख्य कर्तृवाच्य होने से स्वयं पर गर्व करें! दीपोत्सव से प्रेरित भगवान बुद्ध के ‘ अप्प दीपो भव’ के भाव को ग्रहण करें!

सर्वे भवंतु सुखिन: सर्वे संतु निरामया के भाव के साथ……
सभी के जीवन में सुख, समृद्धि एवं सम्पन्नता के दीपक जगमगाते रहें!

 

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