सीवान के मालवीय दाढ़ी बाबा अमर रहे-देवेंद्र नाथ पाठक

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

मानस में एक गूंज सुनाई पड़ती है—

हजारों साल नर्गिस अपनी बेनूरी पर रोती है,
बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदावर पैदा।

डी.ए.वी. पीजी कॉलेज परिसर में सीवान के मालवीय सह डी.ए.वी पीजी कॉलेज के संस्थापक वैद्यनाथ प्रसाद उर्फ दाढ़ी बाबा की 139वीं जयंती समारोह पूर्वक मनाई गई.कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के तौर पर प्रोफेसर श्री प्रकाश सहायक शिक्षक इंजीनियरिंग कॉलेज मुजफ्फरपुर ने अपने उद्बोधन में कहा कि हम पठन-पाठन से की गुणवत्ता से शैक्षणिक परिवेश बदल सकते हैं|दाढ़ी बाबा हमेशा अच्छा इंसान बनाना सिखाते थे. समाज के दबे-कुचले पिछड़ों को उन्होंने उठाया. वे कहा करते थे कि एक tough  teacher ही  tough  teacher बना सकता है, जब तक आप में सेवा भाव नहीं होगा, देश आगे नहीं बढ़ेगा. इसके साथ ही हमें आर्य समाज को भी सुधारने का कार्य करना चाहिए|

वही समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर तंनजानिया से आये देवेंद्र नाथ पाठक ने बताया कि सीवान ने एक रत्न पैदा किया, सीवान के मालवीय दाढ़ी बाबा अमर रहे,जो विरले हैं| मुझे 51 वर्ष पूर्व उनका छात्र रहने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है| वह सदैव व्यक्तित्व निर्माण करने वाले व्यक्ति थे| गुरु हमारे अंदर ज्ञान की भूख बढ़ाते थे| दाढ़ी बाबा शिक्षा के सनातनी पद्धति के हिमायती थे, उनकी शर्त यह थी कि मेरा वही छात्र होगा जो सबसे पहले शौचालय की सफाई करेगा| उनके दिनचर्या में सुबह उठकर माता-पिता को प्रणाम करना, वैदिक मंत्र का उच्चारण, हवन, व्यायाम,स्नान, जलपान फिर अध्ययन-अध्यापन| सांध्य समय अवश्य खेलकूद होती थी|

बालक का स्वर्णिम विकास किस तरह से हो, दाढ़ी बाबा इस पर ध्यान देते थे| प्रत्येक शनिवार को संगीत की सभा होती थी,शनिवार को ही दिन में सफाई का कार्यक्रम होता था,वाद विवाद व्यवस्था पर चर्चा होती थी| वे कहा करते थे कि किसी की एक बुराई बताने से पहले उसकी दो अच्छाई बताई जाए| एक स्वस्थ समाज बनाने में उन्होंने कई महत्वपूर्ण कार्य किए|

वहीं प्रचार अजय कुमार पंडित ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में बताया कि इस वर्ष से स्मारिका निकाली जाएगी, इसमें दाढ़ी बाबा के लिखो की प्रमुखता दी जाएगी, काम ऐसा होना चाहिए जो अमिट रहे|सीवान जिले के मालवीय कहे जानेवाले दाढ़ी बाबा ने जीवनपर्यंत शिक्षा का अलख जगाने का काम किया. कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्राचार्य ने कहा कि उनके द्वारा स्थापित संस्थान आज कई क्षेत्रों में सिरमौर है. आज जयंती के अवसर पर यहां उपस्थित सभी अतिथियों का मैं स्वागत करता हूं.

वहीं कॉलेज के पूर्व प्रो.रवीन्द्रनाथ पाठक ने कहा की  दाढ़ी बाबा के जीवन का मूल उद्देश्य था समाज का उपकार करना,अविद्या का नाश और विद्या की बुद्धि के लिए संकल्पशील होना। और उसी के प्रचार-प्रसार में वे लगातार लगे रहे।दाढ़ी बाबा स्वयं एक आदर्श शिक्षक थे. दाढ़ी बाबा जैसे व्यक्ति मनुष्य की चेतना के शुक्ल पक्ष हैं. ऐसे व्यक्तित्व के धनी लोगों के प्रति हमें मनुष्य होने के नाते श्रेष्ठ कार्यों के प्रति कृतज्ञ होना चाहिए. सभी दाढ़ी बाबा के सादगीपूर्ण जीवन से आज के छात्रों और शिक्षकों को प्रेरणा लेने की बात कही।निर्मल चेतना के लोगों ने भारत के राष्ट्रीय आंदोलन में अहम योगदान किया.

इससे पहले दाढ़ी बाबा की आदमकद प्रतिमा व उनके तैल चित्र पर माल्यार्पण किया गया। कार्यक्रम के दौरान दाढ़ी तेरी अमर कहानी का मनमोहक गायन कॉलेज की छात्रा रिया और समीक्षा ने प्रस्तुत किया। दाढ़ी बाबा के तैलचित्र पर माल्यार्पण कर किया गया।

वहीं धन्यवाद ज्ञापन दर्शन शास्त्र के प्रोफेसर चंद्र भूषण सिंह ने किया, जबकि मंच का कुशल संचालन डॉक्टर धनंजय यादव ने किया|

इस मौके पर पर प्रो. रामानंद पांडे, प्रोफेसर रामचंद्र सिंह, प्रोफेसर सी.वी चौधरी, प्रोफेसर मनोरंजन सिं,ह रामकुमार बाबू,प्रो. अशोक मिश्र, प्रो. रीता कुमारी सहित बड़ी संख्या में छात्र व शिक्षक उपस्थित रहे.

 

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