परिवार नियोजन में पुरुषों की भागीदारी अहम, मिलेगी नसबंदी की जानकारी

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जेपीएन अस्पताल में परिवार नियोजन के तहत मेला का किया गया आयोजन:

श्रीनारद मीडिया, गया, (बिहार):

बिहार के गया  जिला में नवदंपति सहित एक संतान वाले दंपतियों को परिवार नियोजन की जानकारी और उनकी विशेष काउंसलिंग की जायेगी. नवदंपतियों को शादी के दो साल बाद और एक संतान वाली दंपतियों को पहली और दूसरी संतान के बीच तीन साल के अंतर रखने के प्रति जागरूक किया जायेगा. इन सबके साथ परिवार नियोजन के तहत पुरुष नसबंदी के बारे में भी पुरुषों को जागरूक किया जायेगा. परिवार नियोजन के स्थायी और अस्थायी साधनों जैसे कंडोम, गर्भनिरोधक गोलियां आदि साधनों की उपलब्धता सुनिश्चित की जायेगी. जिला में सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर परिवार नियोजन मेला का आयोजन करना है. इसे लेकर शहर के जय प्रकाश नारायण अस्पताल परिसर में परिवार नियोजन पखवाडा मेला का उद्धघाटन किया गया. अस्पताल के डिप्टी सुपरीटेंडेंट डॉ चंद्रशेखर ने इस मेला का उद्धघाटन किया. इस मौके पर जिला योजना समन्वयक शैलेंद्र कुमार, डॉ पूनम कुमारी, नीता कुमारी, प्रशांत कुमार, अस्पताल प्रबंधक संजय अंबष्ट व अन्य स्वास्थ्यकर्मी मौजूद रहे.

डॉ चंद्रशेखर ने बताया सदर अस्पताल समेत सभी सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में पुरुष नसबंदी पखवाड़ा का आयोजन किया जाना है. कोविड काल में भी परिवार नियोजन के बारे में लोगों को जागरूक करना जरूरी है. परिवार नियोजन में विशेष तौर पर पुरुषों की भागीदारी सुनिश्चित कराने के उद्देश्य से उन्हें कंडोम के इस्तेमाल व नसबंदी आदि के बारे में जागरूक किया जायेगा. साथ ही परिवार नियोजन के प्रति जागरूकता लाकर
दंपतियों को स्थायी और अस्थायी साधन उपलब्ध कराये जायेंगे. इच्छुक और योग्य लाभार्थी पखवाड़े के दौरान परिवार नियोजन संबंधी जानकारी प्राप्त कर अपनी इच्छानुसार इन साधनों को प्राप्त कर सकते हैं.

छह दिसंबर तक चलेगा परिवार नियोजन पखवाड़ा:
जिला में पुरुष नसबंदी पखवाड़ा 6 दिसबंर तक चलेगा. इस दौरान जिले के लोगों को परिवार नियोजन से संबंधित अस्थाई सामग्री का वितरण किया जाएगा. साथ ही योग्य दंपति को नसबंदी और बंध्याकरण के लिए जागरूक किया जाएगा. आशाओं के माध्यम से भी परिवार नियोजन पखवाड़ा के दौरान योग्य लाभार्थियों से संपर्क करने और उन्हें स्थायी और अस्थायी साधन उपलब्ध कराया जाना है. वहीं बंध्याकरण और पुरुष नसबंदी के लिए योग्य दंपति को जागरूक कर अस्पताल लाना है.

दूसरी संतान में तीन साल का अंतर है जरूरी:
जिला योजना समन्वयक शैलेंद्र कुमार ने बताया परिवार नियोजन पखवाड़ा क दौरान विशेष रूप से एक संतान वाले दंपति की काउंसलिंग कर उन्हें दूसरी संतान में तीन साल के अंतर रखने की जानकारी दी जानी है. साथ ही इस अवधि में अस्थायी गर्भनिरोध के साधनों की जानकारी व उसकी उपलब्धता सुनिश्चित किया जाना है. उन्होंने बताया दो बच्चे के बीच तीन साल का अंतराल रहने से जच्चा और बच्चा दोनों का स्वास्थ्य बेहतर रहता है. बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है. भविष्य में होने वाली किसी प्रकार की बीमारी से बचाव करने में उसका शरीर सक्षम होता है. साथ ही न​वविवाहितों को शादी के दो साल बाद ही संतानोपत्ति की सलाह देनी है.

 

 

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