दोन में दिखा आधुनिक गुरुकुल!

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जैसा मैंने देखा
✍️गणेश दत्त पाठक, श्रीनारद मीडिया, सेंट्रल डेस्‍क:

शिक्षा जीवन व राष्ट्र निर्माण में अहम भूमिका निभाती है।बुनियादी स्तर पर बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल जाए तो उनके बेहतर भविष्य का आधार तैयार हो जाता है। शिक्षा का मुख्य उद्देश्य बच्चों के व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास ही होता है ताकि वे जिंदगी में सफल हो सके। कुछ दिन पूर्व महाभारतकालीन गुरु द्रोण की कर्मस्थली दोन में मुझे एक आधुनिक गुरुकुल दिखा। जहां स्कूल परिसर में हरियाली थी, अनुशासन था, बच्चों की हाथें सृजनात्मक गतिविधियों में संलग्न थी, उंगलियां कंप्यूटर के की बोर्ड पर थिरक रही थी, कुछ बच्चे प्रयोगशाला में शिक्षा के प्रैक्टिकल आयाम से परिचित हो रहे थे। परिसर में स्वच्छता और बसों की लंबी कतारें, परिसर का शांतचित्त माहौल हर बेहतर सुविधा की गवाही दे रहे थे। कुल मिलाकर दोन का जे आर कॉन्वेंट स्कूल एक आधुनिक गुरुकुल सा ही दिख रहा था।

स्कूल में प्रवेश करते ही शानदार संदेश मिला कि विद्या हमें विनम्र बनाती है। वर्तमान में स्कूलों में मूलभूत संस्कारों की बात कम स्कूलों में ही बताई जा रही है। विद्या तभी अपने संपूर्ण स्वरूप में फलीभूत हो सकती है, जब जीवन में संस्कार समाहित हो जाए। स्कूल के चेयरमैन कर्मयोगी श्री कुमार बिहारी पांडेय जी जगह जगह छात्रों को विनम्रता की सीख देते दिखे।

स्कूली शिक्षा के स्तर पर जब सृजनशीलता और रचनात्मकता को तरजीह दी जाती है तो बच्चों में मौलिकता और वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास संभव हो पाता है। स्कूल के ऑडिटोरियम में बच्चे अपने सृजनात्मकता को आयाम देते दिखे। कोई गोबर गैस प्लांट बना रहा था तो कोई पवन चक्की। स्कूल परिसर में स्वच्छता और कक्षाओं में बच्चों का अनुशासन गुरुकुल का अहसास करा रहा था। शिक्षक की बातों को ध्यान से सुनना और समझने का प्रयास करना शैक्षणिक गुणवत्ता के स्तर को बढ़ा देता है। जे आर कॉन्वेंट स्कूल में कक्षाओं का जो स्वरूप मुझे दिखा वह बेहद सकारात्मक संदेश दे रहा था। वर्तमान में कंप्यूटर संबंधी शिक्षा का महत्व सर्वज्ञात है। जे आर कॉन्वेंट स्कूल, दोन का कंप्यूटर शिक्षण रूम भी बेहद व्यवस्थित दिखा।

आज के जलवायु परिवर्तन के दौर में प्रकृति के प्रति लगाव बेहद महत्वपूर्ण तथ्य है। प्रकृति के प्रति प्रेम का पाठ आज की पीढ़ी के लिए महत्वपूर्ण है। दोन के जे आर कॉन्वेंट में प्रकृति प्रेम सिर्फ परिसर की हरियाली में ही नहीं दिख रही थी बल्कि बच्चों द्वारा बनाए गए चित्रों में भी प्रकृति प्रेम के शाश्वत भाव प्रकट हो रहे थे।

स्कूल स्तर पर सुव्यवस्थित प्रयोगशालाएं, जहां छात्रों के प्रैक्टिकल ज्ञान को मजबूत आधार प्रदान करती हैं वहीं समृद्ध पुस्तकालय की पुस्तकें ज्ञान को विस्तार देती हैं, उन्हें मोटिवेट करती हैं, वहीं उन्हें जिंदगी के मर्म को भी समझा जाती है। जे आर कॉन्वेंट स्कूल, दोन की प्रयोगशाला और पुस्तकालय दोनों ही समृद्ध दिखे।

किसी भी स्कूल की तस्वीर को देखने के पहले स्कूल संचालक के व्यक्तित्व और सोच को भी समझना आवश्यक होता है। जे आर कॉन्वेंट स्कूल के संचालक हैं कर्मयोगी श्री कुमार बिहारी पांडेय जी। पांडेय जी की आध्यात्मिक सोच, कर्म के प्रति असीम अनुराग और संस्कारों के प्रति विशेष लगाव की त्रिवेणी से स्कूल के प्रबंधन में आधुनिक व्यवस्थाओं और प्राचीन संस्कारों का मणिकांचन समन्वय भी दिख जाता हैं। जिंदगी के अनुभव से प्राप्त अपने निष्कर्षों के आधार पर बच्चों के भविष्य के विकास के प्रति श्री पांडेय विशेष संवेदनशील दिखते हैं। उनकी यहीं संवेदनशीलता उन प्रयासों को ऊर्जस्वित करती दिखती है जिससे जे आर कॉन्वेंट स्कूल, दोन एक आधुनिक गुरुकुल सा दिखता है।

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