मोदी कैबिनेट की काशी को सौगात,प्रमुख योजना को मंजूरी

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

केंद्रीय कैबिनेट ने वाराणसी और पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन मल्टी ट्रैकिंग प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी है, जिसमें गंगा नदी पर एक महत्वपूर्ण रेल-रोड ब्रिज भी शामिल है। यह ब्रिज परिवहन क्षमता के लिहाज से देश के सबसे बड़े पुलों में से एक होगा और इसकी सबसे बड़ी विशेषता रेल लाइन के ऊपर छह लेन के फ्लाईओवर का निर्माण है।

मोदी कैबिनेट ने लिया फैसला

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कैबिनेट फैसलों की जानकारी देते हुए बताया कि इस पूरे प्रोजेक्ट पर 2642 करोड़ रुपये खर्च होंगे। प्रोजेक्ट के तहत वाराणसी और दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन के बीच तीसरी और चौथी लाइन का निर्माण भी किया जाएगा। यह मल्टी ट्रैकिंग प्रोजेक्ट भीड़भाड़ कम करने के साथ ही परिवहन को नई धार देगा। रेलवे के पूरे नेटवर्क में सबसे व्यस्त स्टेशनों के बीच इस तरह के इन्फ्रा विकास की लंबे समय से जरूरत महसूस की जा रही थी। ये प्रोजेक्ट वाराणसी और चंदौली जिलों को कवर करेगा।

इन्फ्रास्ट्रक्चर ढांचे को बढ़ाने की जरूरत

वाराणसी स्टेशन रेलवे का एक महत्वपूर्ण हब है। यह महत्वपूर्ण क्षेत्रों के लिए एक तरह से गेटवे का कार्य करता है-खासकर पर्यटकों, श्रद्धालुओं और स्थानीय आबादी के लिहाज से। केंद्र सरकार ने कहा है कि वाराणसी-डीडूयू जंक्शन रूट यात्रियों और सामान को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने के लिए बेहद अहम है, लेकिन कोलस सीमेंट और खाद्यान्न जैसी चीजों की ढुलाई के कारण यहां भारी ट्रैफिक रहता है। इस समस्या के समाधान के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर ढांचे को बढ़ाना आवश्यक है।

पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान का हिस्सा प्रोजेक्ट

नया रेल-रोड ब्रिज और तीसरी और चौथी लाइन का निर्माण इसी दिशा में उठाया गया कदम है। इनसे ट्रैफिक तो कम होगा ही, 2.78 करोड़ टन सामान की प्रति वर्ष ढुलाई होने की उम्मीद है। यह प्रोजेक्ट भी पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान का हिस्सा है। सरकार ने कहा है कि यह प्रोजेक्ट रेलवे के मौजूदा नेटवर्क में 30 किलोमीटर की वृद्धि करेगा।

सरकार ने MSP में भी किया इजाफा

मोदी सरकार ने 6 फसलों के लिए एमएसपी बढ़ाने की मंजूरी दी है। गेहूं, जौ, चना, मसूर, सरसों और सनफ्लावर पर एमएसपी में इजाफा किया गया है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कैबिनेट बैठक के फैसलों की जानकारी दी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में गंगा पर देश का सबसे चौड़ा रेल और रोड पुल बनाया जाएगा। केंद्रीय कैबिनेट ने इसकी मंजूरी दे दी। गंगा पर 137 साल पुराने मालवीय पुल के ठीक बगल में बनने वाले इस पुल पर ऊपर छह लेन की सड़क और नीचे चार लाइन का रेल ट्रैक होगा। पीएम मोदी इसी रविवार वाराणसी को अरबों की सौगाात देने भी आ रहे हैं। माना जा रहा है कि इस दौरान पुल का शिलान्यास भी हो सकता है। इस पुल के बनने से यूपी से बिहार और पूर्वोत्तर भारत के राज्यों में रेल और सड़क मार्ग से आवागमन आसान और किफायती हो जाएगा।

करीब 2642 करोड़ की लागत से बनने वाले नए पुल से हर साल 8 करोड़ लीटर डीजल यानी 638 करोड़ रुपये की भी बचत होगी। अभी चंदौली से वाराणसी आने वाले बड़े वाहनों को 137 साल पुराने मालवीय पुल पर चढ़ना प्रतिबंधित है। ऐसे में इन वाहनों को डाफी बाइपास से आना होता है। इससे समय और ज्यादा डीजल खर्च करना होता है।

काशी स्टेशन के पास से शुरू होने वाले पुल के बनने से एक साथ यहां पर चार तरह की पब्लिक ट्रांसपोर्ट सेवाएं उपलब्ध हो सकेंगी। काशी स्टेशन के ठीक बगल में ही नमो घाट के पास गंगा पर फेरी सर्विस, हेली सेवा, रोपे-वे और रोड ट्रांसपोर्ट की सेवा एक ही स्थान पर मिल सकेगी। यहीं पर विश्व का सबसे बड़ा पानी पर तैरता सीएनजी स्टेशन भी पहले से स्थापित है। नए प्रोजेक्ट के लिए रेलवे, पीडब्लूडी, नगर निगम, जल-कल सभी की एनओसी पहले ही मिल चुकी है।

चार साल में होगा तैयार

पुल के बारे में जानकारी देते हुए रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने अपनी प्रजेंटेशन में बताया कि इसका डीपीआर भी फाइनल हो गया है। चार लेन का रेलवे ट्रैक और सिक्सलेन की ऊपर सड़क का ब्लू प्रिंट भी साझा किया। रेलमंत्री ने बताया कि आने वाले 100 साल पहले की रेलवे और सड़क यातायात व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए इस सिग्नेचर ब्रिज का निर्माण किया जाएगा। इसे 2028 यानी चार साल में तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है।

अपने प्रजेंटेशन में उन्होंने बताया कि 137 साल पुराने मालवीय पुल के 50 मीटर सामानांतर बनने वाले सिग्नेचर ब्रिज से काशी, चंदौली, बिहार, एमपी और छत्तीसगढ़ का जुड़ाव होगा। चारों दिशाओं में परिवहन को रफ्तार मिलेगी।

150 साल के लिए बना है डिजाइन

150 साल के लिए सिग्नेचर ब्रिज को डिजाइन किया गया है। सिग्नेचर ब्रिज निर्माण के दौरान जो फाउंडेशन होगा, वह नदी के सतह से 120 फीट गहरा होगा। उसके ऊपर पीलर और फिर ब्रिज होगा। यह इकोनिक स्ट्रक्चर बनेगा।

एक किलोमीटर से ज्यादा लंबाई

उन्होंने बताया-काशी स्टेशन के द्वितीय प्रवेश द्वार से यह ब्रिज नजदीक होगा। नमो घाट से सटे हुए इस पुल के लिए जलमार्ग, रेलवे, सड़क और वायु मार्ग का भोगौलिक परीक्षण हुआ है। यह पुल एक किलोमीटर से थोड़ा अधिक लंबा होगा।

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