सीवान के दरौली में कार्तिक पूर्णिमा पर दो लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने किया स्नान
श्रीनारद मीडिया, अमित कुमार पप्पु, दरौली, सीवान (बिहार):
कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर मंगलवार को श्रद्धालुओं ने सरयू नदी में स्नान व दान के किया। स्नान दरौली के पंचमंदिरा घाट, मलपुरवा घाट व गिरनारी घाट पर दो लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने आस्था के साथ स्नान किया।वहीं दुब्बा, अमरपुर, केवटलिया, डूमरहर, तियर व तिरकालपुर में भी श्रद्धालुओं ने सरयू नदी में स्नान किया। दरौली सरयू में स्नान कर श्रद्धालुओं ने पूजा पाठ व ब्राह्मणों के द्वारा मंत्रोउचारण से गौ दान व गरीबो के बीच अन्न रुपये व कपड़े का दान-पूण्य किया। स्नान करने आई महिलाएं गंगा की पूजा कर कोशी भरी। इधर स्नान में आए श्रद्धालुओं ने नागाबाबा के मठिया परिसर में लगे मेला में जम कर खरीदारी की। श्रद्धालु स्नान करने के लिए सोमवार के शाम से हीं दरौली पहुंचना शुरू कर दिया था। सोमवार के रात बारह बजे से ही श्रद्धालुओं ने पंचमंदिरा घाट पर स्नान करना शुरू कर दिया। स्नान व मेला में शांति व सुरक्षा व्यवस्था को प्रशासन ने सहायता शिविर लगाया था। बीडीओ अभिषेक चन्दन, सीओ अरविंद प्रसाद सिंह बैठ कैम्प की मोनिटरिंग कर रहे थे। वहीं थानाध्यक्ष रितेश कुमार मण्डल ने पुलिस बल के साथ गस्ती करते रहे।
महारानी जानकी देवी ने की थी मेला की शुरुआत
श्रीनारद मीडिया, अमित कुमार पप्पु, दरौली, सीवान (बिहार):
दरौली में कार्तिक पूर्णिमा के असवर पर लगने वाला मेला के बारे में स्थानीय सुरेंद्र पांडेय ने बताया की मझौली राज दरबार के राजा बलभर्द्र नारायण मल्ल की महारानी जानकी देवी दरौली सरयू नदी में आ कर स्नान कर लोगो के बीच अपने दरौली छावनी पर अन्न वस्त्र व वर्तन दान करती थी। जिससे लोगो का इकठ्ठा होना शुरू हो गया। जिसपर महारानी जानकी देवी ने यह घोषणा कर दिया की कार्तिक पूर्णिमा पर रानी के छावनी व हाई स्कूल के परिसर में लगता था। जिससे यह मेला सौ वर्ष लगता है। जो गोदाम परिसर व हाई स्कूल दरौली के फील्ड में लगता था।
कोरोना महामारी के चलते पिछले दो वर्ष गोदाम व हाई स्कूल परिसर में मेला नहीं लगा था। मेला लगने वाली जमीन का मामला हाई कोर्ट में चल रहा है। जिससे इस वर्ष पंच मंदिरा घाट के पास नागाबाबा मठिया के परिसर में मेला लग रहा है।आज भी इसके कारण यह मेला दूर -दूर तक रानी बाजार के नाम से विख्यात हो गया।
कार्तिक पूर्णिमा स्नान करने का महत्व
श्रीनारद मीडिया, अमित कुमार पप्पु, दरौली, सीवान (बिहार):
कार्तिक मास को शास्त्रों में पुण्य मास कहा गया है। पुराणों के अनुसार जो फल सामान्य दिनों में एक हजार बार गंगा स्नान का तथा प्रयाग में कुंभ के दौरान गंगा स्नान का होता है, वही फल कार्तिक माह में सूर्योदय से पूर्व किसी भी नदी में स्नान करने मात्र से प्राप्त हो जाता है। कार्तिक मास स्नान की शुरुआत शरद पूर्णिमा से होती है और इसका समापन कार्तिक पूर्णिमा को होता है। कार्तिक पूर्णिमा को बेहद पवित्र दिन माना जाता है। इस दिन हवन उपासना दान स्नान का विशेष महत्व माना जाता है। माना जाता है कि इसी दिन भगवान नारायण ने मत्स्य अवतार धारण किया था। इस दिन नदी में स्नान कर दीपदान करने से पुण्य मिलता है।
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