शारदीय नवरात्रि के नौवें दिन  मां सिद्धिदात्री की होती है पूजा

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श्रीनारद मीडिया, स्‍टेट डेस्‍क:

हिन्दू धर्म में 9 दिनों तक चलने वाला नवरात्रि का पर्व नवमीं के दिन समाप्त हो जाता है। नवरात्रि के 9 दिनों में भिन्न भिन्न देवियों की पूजा की जाती है। इसी प्रकार नवरात्रि के अंतिम दिन देवी दुर्गा के नौवें स्वरूप माता सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। 9 दिन तक धारण किए गए व्रत का उद्यापन भी नौवें दिन किया जाता है।

माता सिद्धिदात्री की पूजन कथा, आरती, भोग इत्यादि करके कन्याओं को अपने घर बुलाकर भोजन करवाया जाता है। माना जाता है कि नवरात्रि के अंतिम दिन कन्याओं को भोजन कराने से माता रानी स्वयं कन्या के रूप में घर में पधारती हैं तथा भक्त का घर सुख समृद्धि से भर जाता है। आज हम आपके लिए माता सिद्धिदात्री की कथा लेकर आए हैं।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक दिन भगवान शिव माता सिद्धिदात्री की घोर तपस्या कर रहे थे। उनकी तपस्या से माता सिद्धिदात्री प्रसन्न हो गई और उन्होंने भगवान शिव को आठ सिद्धियों की प्राप्ति का वरदान प्रदान कर दिया। इस वरदान के फलस्वरूप भगवान शिव का आधा शरीर देवी के रूप में परिवर्तित हो गया। इसके बाद से भगवान शिव को अर्धनारीश्वर का नाम प्राप्त हुआ। शिवजी का यह रूप संपूर्ण ब्रह्माण्ड में पूजनीय है।

🌺माता का मंत्र 🌺

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम॥ – ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम:।

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