पुत्रों की दीर्घायु के लिए माताएं आज रखी है जीवत्पुत्रिका निर्जल व्रत, सोमवार को होगा पारण
श्रीनारद मीडिया, प्रसेनजीत चौरसिया, सीवान (बिहार)
पुत्रो की दीर्घायु के लिए माताएं जीवत्पुत्रिका का निर्जल व्रत आज 18 सितंबर दिन रविवार को रखी हैं. व्रत का पारण सोमवार को होगा। शास्त्रों के अनुसार, आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को पुत्र की लंबी आयु और कल्याण के लिए जीवत्पुत्रिका या जिमूतवाहन व्रत का विधान है।
जीवत्पुत्रिका व्रत का महत्व
पंडित कन्हैया मिश्रा के अनुसार, धर्मशास्त्र की दृष्टि से यह व्रत स्त्रियों का है। प्रदोष व्यापिनी अष्टमी को अंगीकृत करते हुए आचार्यों ने प्रदोष काल या सायंकाल में जीमूतवाहन के पूजन का विधान निर्दिष्ट किया है। इस व्रत का पारण अष्टमी के बाद नवमी में ही करना चाहिए।
व्रत की विधि
ज्योतिर्विद पंडित नरेंद्र उपाध्याय के अनुसार, व्रती महिलाएं पवित्र होकर संकल्प के साथ प्रदोष काल में गाय के गोबर से पूजन स्थल को लीप दें और छोटा तालाब भी बना लें। तालाब के निकट एक पाकड़ की डाल लाकर खड़ा कर दें। जिमूतवाहन की कुश निर्मित मूर्ति, जल या मिट्टी के पात्र में स्थापित कर पीली और लाल रूई से उसे अलंकृत करें और धूप, दीप, अक्षत, फूल, माला व नैवेद्यों से पूजन करें।
मिट्टी या गाय के गोबर से चिल्होरिन (मादा चील) और सियारिन की मूर्ति बनाकर उसका मस्तक लाल सिंदूर से विभूषित कर दें। अपने वंश की वृद्धि और प्रगति के लिए दिनभर उपवास कर बांस के पत्तों से पूजन करें। पूजन के बाद व्रत महात्म्य की कथा श्रवण करें। अगले दिन दान-पुण्य के पश्चात व्रत का पारण करें।
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