एईएस से जागरूकता के लिए चौपाल का आयोजन
– आंगनबाड़ी केंद्र के साथ महादलित टोलों में हो रहा चमकी बुखार से बचने के लिए चौपाल का आयोजन
श्री नारद मीडिया, प्रतीक कुमार सिंह, मोतिहारी (पूर्वी चम्पारण) बिहार
जीविका के कम्युनिटी कोर्डिनेटर अंगद कुमार की ओर से एईएस/ चमकी बुखार से क्षेत्र के बच्चों को बचाने के लिए चौपाल का आयोजन किया गया। चौपाल का आयोजन आंगनबाड़ी केंद्र संख्या 167 वार्ड नम्बर 13 के साथ महादलित टोलों में हुआ। अंगद कुमार ने कहा कि मेहसी में एईएस या चमकी बुखार से बचाने के लिए चौपाल का आयोजन कर लोगों को जागरूक किया जा रहा है। ताकि पहले की तरह जिले में घटनाएं न हों । इसके लिये जीविका दीदियाँ, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व केयर कर्मी भी लगातार कर रहे हैं सहयोग।
मेडिकल टीमें एईएस के खिलाफ तैयार
केयर के ब्लॉक मैनेजर दिनेश चंद्र यादव ने बताया जिला के विभिन्न क्षेत्रों में प्रखण्ड स्तर पर जन जागरूकता के लिए चौपाल का आयोजन किया जा रहा है। कुछ वर्षों से चमकी बुखार नामक महामारी से मुजफ्फरपुर, पूर्वी चम्पारण जैसे जिले प्रभावित रहे हैं। जिसमें चमकी बुखार के कारण कई बच्चों को अपनी जान गवानी पड़ी है। इस बार ऐसी कोई घटना न हो इसके लिए तमाम मेडिकल टीमों को जन जागरूकता व मेडिकल व्यवस्था के साथ एईएस से लड़ने के लिए तैयार किया गया है। इसके लिए मेहसी, चकिया, मधुबन, तेतरिया सहित अन्य स्वास्थ्य केंद्रों में तैयारियां की गई हैं। एईएस से बचाव के लिए महादलित टोलों के साथ जगह जगह स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा चौपाल का आयोजन किया जा रहा है। महादलित टोला भीमलपुर में जीविका के कम्युनिटी कोर्डिनेटर अंगद कुमार, कम्युनिटी मोब्लाइज़र आशा, रीता कुमारी, नीतू कुमारी आदि ने चौपाल आयोजित कर लोगों को चमकी बुखार से बच्चों को सुरक्षित रखने के उपाय बताये।
एईएस से सम्बंधित प्रशिक्षण दिया जा रहा
सिविल सर्जन डॉ अखिलेश्वर सिंह व डीटीएल केयर अभय कुमार ने बताया आशा, जीविका दीदियों, आशा फैसिलिटेटरों, नर्सो को समय समय पर एईएस से सम्बंधित प्रशिक्षण दिया जा रहा है। माइकिंग की जा रही है। कीटनाशकों का निरंतर छिड़काव किया जा रहा है। बच्चों को एईएस से बचाने के लिए माता-पिता को शिशु के स्वास्थ्य के लिए अलर्ट रहना चाहिए। समय-समय पर देखभाल करते रहना चाहिए। बच्चों को संतुलित भोजन देना चाहिए। स्वस्थ बच्चों को मौसमी फलों, सूखे मेवों का सेवन करवाना चाहिए। साफ सफाई पर विशेष ध्यान रखना चाहिए। छोटे बच्चों को मां का दूध पिलाना बेहद आवश्यक है।
अप्रैल से जुलाई तक सावधानी जरूरी
सिविल सर्जन डॉ अखिलेश्वर सिंह ने बताया अप्रैल से जुलाई तक जिले में छह माह से 15 वर्ष तक के बच्चों में मस्तिष्क ज्वर की संभावना बनी रहती है। ऐसी स्थिति में माता-पिता बच्चों की समस्या पहचान नहीं पाते, जिसके कारण इसके इलाज में ही काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ता है। हालांकि इससे बचने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने पहले से ही तैयारियां शुरू कर दी है। गांव-गांव में जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। ताकि लोग चमकी बुखार मस्तिष्क ज्वर को सही समय पर जान सकें और समय पर इलाज कराकर सुरक्षित रह सकें।
सरकार द्वारा एंबुलेंस की सुविधा उपलब्ध
सिविल सर्जन ने बताया बच्चों के इलाज में किसी भी प्रकार की गंभीर स्थिति होने पर सरकार द्वारा एंबुलेंस की सुविधाएं उपलब्ध हैं। अगर एंबुलेंस में कोई देरी भी होती है तो माता-पिता प्राइवेट गाडी भाड़ा कर जिला अस्पताल आ सकते हैं। उनके आने जाने का सारा किराया सरकारी स्तर पर मुफ्त दिया जाएगा।
एईएस के लक्षण
– बच्चों को बहुत ही तेज बुखार होता है।
-बुखार के साथ चमकी आना शुरू होता है।
– मुंह से भी झाग आता है।
– भ्रम की स्थिति होना।
– पूरे शरीर या किसी खास अंग में लकवा मार देना।
– हाथ पैर का अकड़ जाना ।
– बच्चे के शारीरिक एवं मानसिक संतुलन का ठीक नहीं रहना।
– बेहोश होने जैसी स्थिति भी हो जाती है।
एईएस से बचने हेतु सावधानियां
– बच्चों को धूप से बचायें।
– ओ आर एस का घोल, नीम्बू पानी, चीनी लगातार पिलायें।
– रात में भरपेट खाना जरूर खिलाएं।
– बुखार होने पर शरीर को पानी से पोछें।
– पैरासिटामोल की गोली या सिरप दें।