सांसद रुडी ने कहा : जिला में विद्युत आपूर्ति में होगा गुणात्मक सुधार

सांसद रुडी ने कहा : जिला में विद्युत आपूर्ति में होगा गुणात्मक सुधार
11 केवी लाइनों का होगा निर्माण, लगेगा डीटीआर
• सारण प्रमंडल में एचवीडीएस, फीडर सिग्रीगेशन, फीडर बाइफरकेशन लगेगा
• केबलिंग कार्य भी कराया जायेगा, लागत होगी 428.45 करोड़
• केवल सारण जिला में योजना पर 157.35 करोड़ होगा खर्च

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श्रीनारद मीडिया, चंद्रशेखर, छपरा (बिहार):

सारण जिला राज्य में बिजली खपत के मामले में अव्वल है और यह गुणवत्तापूर्ण विद्युत आपूर्ति के कारण संभव हुआ है. निर्बाध विद्युत आपूर्ति में गुणात्मक सुधार हेतु सांसद राजीव प्रताप रूडी की सक्रियता के फलस्वरूप पुनः एक बार जिला में बिजली वितरण में सुधार कर ट्रांसमिशन घाटे को कम करने और ऊर्जा चोरी को रोकने के उदेश्य से कार्य होने वाला है.

इसके अंतर्गत उच्च वोल्टेज वितरण प्रणाली (एचवीडीएस), फीडरों के बाइफरकेशन, फीडर पृथक्कीकरण और केबलिंग कार्य कराया जायेगा. सारण प्रमंडल की इस योजना पर कुल 428.45 करोड़ रूपये लागत आयेगी जिसमें सेे अकेले सारण जिला में 157.35 करोड़ रूपये खर्च होंगे. इसके लिए निविदा आमंत्रित की गई थी अब एजेंसी को कार्य आवंटन कर शीघ्र कार्य शुरू कराया जायेगा.

उक्त योजना की जानकारी देते हुए सांसद श्री रुडी ने बताया कि वितरण और पारेषण में काफी अधिक विद्युत ऊर्जा का अपक्षय हो जा रहा था. उसका न तो घरेलू उपयोग हो पाता था और न तो औद्योगिक. इन कार्यों के पूरा होने पर विद्युत आपूर्ति और पारेषण में होने वाले इस क्षय को रोकने में सहायता मिलेगी.

श्री रुडी ने आगे बताया कि फीडरों के बाइफरकेशन से फीडर लाइन की क्षमता बढ़ जाएगी. इसके साथ तारों को भी बदल लोड को कम किया जायेगा. जिला में फीडरों पर लोड तय क्षमता से अधिक है, जिसके कारण तकनीकी खामियां आती रहती है. अब फीडरों को द्विभाजित किया जाएगा. फीडरों को द्विभाजित कर पुराने तारों को बदला जाएगा, ताकि संबंधित फीडरों की क्षमता बढ़ सके.

उच्च वोल्टेज वितरण प्रणाली के संदर्भ में सांसद श्री रुडी ने बताया कि वितरण प्रणाली कम वोल्टेज, बिजली चोरी और उच्च ऊर्जा नुकसान की समस्या से ग्रस्त है. वितरण फीडरों में नुकसान और वोल्टेज ड्रॉप की समस्या एक दूसरे पर निर्भर करती है और फीडरों पर लोड करने के पैटर्न के साथ बदलती रहती है. इसके कारण ब्रेकडाउन तो होता ही है ट्रांसफॉर्मर की ओवरलोडिंग और ट्रांसफार्मर खराब होता रहता है. कम वोल्टेज वितरण प्रणाली (एलवीडीएस) को एचवीडीएस में परिवर्तित करके एचवीडीएस को अपनाने से तकनीकी नुकसान काफी हद तक कम हो जायेगा.

 

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