मुंगेर का कभी योग से था पहचान, अब अवैध हथियारों की सबसे बड़ा मंडी बना, कट्टा से लेकर कार्रबाईन तक का निर्माण
श्रीनारद मीडिया, स्टेट डेस्क:
बिहार के मुंगेर जिला की पहचान अब अवैध हथियार की सबसे बड़ी फैक्ट्री और मंडी तक के तौर पर होती है. यहां हथियारों का उत्पादन से लेकर बिक्री तक होता है और अपराध का कनेक्शन भी जुड़ता है. एनएम मुंगेर बिहार का एक प्राचीन और धार्मिक शहर है. यह योग नगरी के नाम से भी जाना जाता है लेकिन इस मुंगेर के साथ एक कलंक कथा भी जुड़ी है जिस कारण यह अवैध हथियारों की मंडी के नाम से देश ही नहीं बल्कि विदेशों में प्रसिद्ध है.
मुंगेर में हथियारों का सफरनामा भी काफी पुराना है. मुंगेर में हथियार का निर्माण अंग्रेजों से लड़ने के लिए शुरू किया गया था लेकिन आज अवैध हथियार निर्माण व बिक्री का धंधा देश के सभी राज्यों के लिय सिरदर्द बना हुआ है.जानकारी के मुताबिक पश्चिम बंगाल के नबाव मीर कासिम ने अंग्रेजी हुकूमत के कारण अपनी राजधानी बंगाल से हटा मुंगेर बना ली थी.
मीर कासिम के सेनापति गुरगीन खान ने मुंगेर में बंदूक फैक्ट्री की स्थापना की थी, ताकि अंग्रेजों से लोहा लिया जा सके. यहां स्थानीय लोगों को हथियार बनाने के लिए प्रशिक्षण भी दिया गया ताकि लोग हथियार बनाने में लोग यहां दक्ष हो सकें. यह सिलसिला अंग्रेजी शासन काल तक चलता रहा. अंग्रेजी शासनकाल में भी बंदूक फैक्ट्री का संचालन होता रहा. फैक्ट्री में बड़ी संख्या में कारीगरों को बहाल करवाया गया लेकिन गुजरते समय के साथ बंदूक फैक्ट्री बदहाली की कगार पर पहुंच गया.
बदहाली के कारण कारीगरों को काम मिलना बंद हुआ, तो उन्होंने अब अपने हुनर को उपयोग अवैध रुप से हथियार बनाने में लगा दिया. मुंगेर के हथियारों का सफर नाम देसी कट्टा, बंदूक से शुरू होकर पिस्टल बनाने तक पहुंच गया. हथियारों के निर्माण में यहां के हथियार कारीगर इतने महारथ हो गए कि उन्होंने कार्रर्बाइन जैले घातक हथियारों को देख डुप्लीकेट कार्रर्बाइन तक भी बना डाला. मुंगेर जिला अंतर्गत गंगा तट पर बसा मुफस्सलि थाना क्षेत्र का इलाका का बरदह गांव सहित आसपास के इलाके में बड़े पैमाने पर अवैध हथियारों का निर्माण शुरू करवा दिया गया. गंगा तट पर बसे होने के कारण पुलिस की पकड़ से दूर हो ये हथियार तस्कर इस इलाके में हथियारों का निर्माण धड़ल्ले से शुरू हो रहा है. अब यह मुंगेर जिले के अलग अलग क्षेत्रों के साथ ही भागलपुर, नवगछिया, खगडिय़ा, सहरसा, बेगूसराय आदि क्षेत्र में भी फैल चुका है.
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