बच्चों के विकास में संगीत की प्रभावशाली भूमिका हैं.
श्रीनारद मीडिया, सेंट्रल डेस्क
याद करें उन दिनों को जब कोरोना ने इटली में कोहराम मचा रखा था। तब वहां के निवासियों द्वारा अपने घर की बालकनी में संगीत सुनने, वाद्य यंत्र बजाने या गीत गुनगुनाने के दृश्य आम हो गए थे। धीरे-धीरे अन्य देशों के संगीतकारों ने भी अपने निवास स्थान से लाइव परफार्मेंस की स्ट्रीमिंग शुरू कर दी। जूम आदि पर म्यूजिकल कंसर्ट होने लगे। प्रत्येक व्यक्ति मुश्किल समय में एक-दूसरे से जुड़े रहने का प्रयास कर रहा था, जिसमें संगीत ने एक सेतु का कार्य किया।
ग्लोबल काउंसिल आन ब्रेन हेल्थ की एक रिपोर्ट के अनुसार, संगीत में मस्तिष्क के स्वास्थ्य को बढ़ाने की अद्भुत क्षमता है। न्यूरोलाजिस्ट्स से लेकर मनोचिकित्सक उन न्यूरल पाथवेज को तलाशने का प्रयास कर रहे हैं, जिससे पता लग सके कि आखिर बच्चों के विकास में संगीत किस प्रकार एक प्रभावशाली भूमिका अदा कर सकता है? कैसे वह आम जन की शारीरिक एवं मानसिक स्थिति, यहां तक कि अल्जाइमर, सिजोफ्रेनिया, पर्किंसन जैसी बीमारियों में कारगर हो सकता है?
संगीत के फायदे
- मूड ठीक करने में है मददगार
- चीजों की बेहतर समझ पैदा होती है
- शरीर की थकान को दूर करने में सहायक
- इंसान की याददाश्त शक्ति को बढ़ाता है संगीत
- म्यूजिक सुनने से कम होती है बेचैनी, घबराहट
- मानसिक अवसाद, तनाव को दूर करने में कारगर है
- हृदय पर होता है प्रभावशाली असर। उच्च रक्तचाप को करता है कम। श्वास प्रक्रिया में लाता है गुणात्मक सुधार
अमेरिका के मिनेसोटा के रोचेस्टर स्थित मायो क्लीनिक में कार्यरत डा. एलविस फ्रैंकायस तो इस महामारी के दौरान अपने संगीत से कई कोविड पीड़ितों का मनोबल बढ़ाने में कामयाब रहे हैं। वे स्वस्थ होकर घर लौट सके हैं। उनकी मानें, तो हम सर्जरी कर सकते हैं, दवा दे सकते हैं। लेकिन जब एक मरीज अंदर से टूटा हुआ हो,निराश हो,तो वहां संगीत असरकारक होता है। अर्थात् जहां तक दवा की पहुंच नहीं, वहां संगीत अपना प्रभाव छोड़ जाता है। दिल्ली के सफदरगंज अस्पताल में स्पोर्ट्स मेडिसिन विभाग में तैनात डा. प्रखर डागर को सभी प्यार से ‘सिंगिंग डाक्टर’ कहते हैं, क्योंकि वह मरीजों के इलाज में संगीत का बखूबी प्रयोग करते हैं। उनकी मानें, तो संगीत हर प्रकार की नकारात्मकता से लड़ने में मदद करती है।
कोविड काल में ऐसे अनेक उदाहरण सामने आए, जब निराश रोगियों में भी जीने की अभिलाषा जगी और वे स्वस्थ होकर अपने घर लौटे। वरिष्ठ मनोचिकित्सक कहती हैं, ‘संगीत अवसाद से उबरने में जितना कारगर है,उतना ही यह मन को सुकून देता है। लोग प्रभावशाली तरीके से अपने विचारों को अभिव्यक्त कर पाते हैं। उनके सामाजिक व्यवहार एवं संवाद संप्रेषण में सुधार आता है।’ हाल ही में हुई एक रिसर्च के मुताबिक, अगर हम प्रतिदिन 20 मिनट अपनी पसंद का संगीत सुनते हैं, तो रोजमर्रा की होने वाली बहुत सी शारीरिक-मानसिक परेशानियों से निजात पा सकते हैं। कई न्यूरोलाजिकल रिसर्च में ऐसा दावा किया गया है कि संगीत सुनने से कार्टिसोल, सेरेटोनिन, आक्सीटोसिन, डोपामिन जैसे हारमोन निकलते हैं, जो मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाते हैं।
यही कारण है कि इन दिनों तमाम लोग वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति के तहत आने वाली म्यूजिक थेरेपी की मदद ले रहे हैं। इसमें एकल या सामूहिक सत्र के माध्यम से लोगों की बेचैनी, अवसाद, ट्रामा जैसी तकलीफों को दूर करने का प्रयास किया जाता है। आटिस्टिक बच्चों की संप्रेषण कला एवं उनके व्यवहार में भी संगीत सकारात्मक बदलाव लाता है। संगीत जीवन का अभिन्न अंग है।
सुबह-सुबह पार्क में सैर करने, गाड़ी ड्राइव करने, ट्रैक पर जाने वालों से लेकर साइक्लिंग करने वालों का साथी होता है संगीत यानी अवसर खुशी का हो या गम का, संगीत का साथ नहीं छूटता। गायक एवं संगीतकार कहते हैं, ‘मेरा बहन के साथ खट्टा-मीठा रिश्ता रहा है। लेकिन एक चीज जो हम दोनों को मजबूती से बांधे रखती है, वह है म्यूजिक। इन दिनों घर पर रहते हुए हमने साथ में कई प्रयोग किए। आनलाइन कंसर्ट्स में भाग लिया। जब कभी उदासी छाई, तो संगीत ही हमारा मरहम बना।‘ मनोचिकित्सक गगनदीप कौर का कहना है कि संगीत से न सिर्फ तन की बीमारियों को दूर करने में मदद मिलती है, बल्कि इससे आपका मन भी शांत व ऊर्जावान रहता है…।
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