रघुनाथपुर में मुसलमान भाइयों ने उत्साह के साथ मनाया बकरीद का त्योहार
श्रीनारद मीडिया, प्रसेनजीत चौरसिया, सीवान (बिहार)
कुर्बानी का त्योहार ईद-उल-जोहा आज रविवार को उत्साह के साथ मनाया गया.कोरोना काल के दो साल बाद इस बार घर से लेकर इबादतगाहों में त्योहार की विशेष तैयारी रही। दो साल बाद अकीदतमंद सामूहिक रूप से बकरीद की नमाज अदा की। सुबह-सुबह स्नान कर पहने नए कपड़ो पर इत्र लगाकर भारी संख्या में मुस्लिम वर्ग के लोग मस्जिदों में पहुंचे थे। वहीं सुरक्षा को लेकर भी प्रशासन के तरफ से कड़े इंतजाम किए गए थे।
इस्लाम की पवित्र पुस्तक कुरान में बकरीद का स्पष्ट वर्णन मिलता है. ऐसा बताया जाता है कि अल्लाह ने एक दिन हजरत इब्राहिम से सपने में उनकी सबसे प्रिय चीज की कुर्बानी मांगी. हजरत इब्राहिम अपने बेटे से बहुत प्यार करते थे, लिहाजा उन्होंने अपने बेटे की कुर्बानी देने का फैसला किया.अल्लाह का हुकुम मानते हुए हजरत इब्राहिम जैसे ही अपने बेटे की गर्दन पर वार करने गए,
अल्लाह ने उसे बचाकर एक बकरे की कुर्बानी दिलवा दी. तभी से इस्लाम धर्म में बकरीद मनाने का प्रचलन शुरू हो गया.
ईद-उल-जुहा यानी बकरीद हजरत इब्राहिम की कुर्बानी की याद में ही मनाया जाता है.बकरीद का पर्व इस्लाम के पांचवें सिद्धान्त हज को भी मान्यता देता है. बकरीद के दिन मुस्लिम बकरा, भेड़, ऊंट जैसे किसी जानवर की कुर्बानी देते हैं. बकरीद के दिन कुर्बानी के गोश्त को तीन हिस्सों में बांटा जाता है. एक खुद के लिए, दूसरा सगे-संबंधियों के लिए और तीसरा गरीबों के लिए।
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