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असम में लगातार बढ़ रहे मुसलमान, भविष्य में बड़ी आपदा का डर- हिमंत बिस्वा

असम में लगातार बढ़ रहे मुसलमान, भविष्य में बड़ी आपदा का डर- हिमंत बिस्वा

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने मंगलवार को कहा कि दशकों से मुस्लिम आबादी में वृद्धि और हिंदुओं के पलायन के कारण राज्य में महत्वपूर्ण जनसांख्यिकीय बदलाव हो रहे हैं। सरमा ने भविष्य में आपदा की भी आशंका जताई। राज्य विधानसभा सत्र में एक प्रस्ताव पर बोलते हुए, सीएम सरमा ने कहा कि यह वर्तमान में असम के लिए सबसे बड़ा मुद्दा है और सभी विधायकों से इस पर बहस करनी चाहिए। इससे पहले नागांव में 14 साल की बच्ची से दुष्कर्म की घटना का उल्लेख करते हुए सरमा ने सदन में कहा था कि वो ‘मियां’ मुस्लिमों को असम पर कब्जा नहीं करने देंगे।

असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने विधानसभा सत्र के दौरान कहा, “निचले असम के जिलों में जनसांख्यिकी इतनी तेज गति से बदल रही है कि ऐसा लगता है कि यह एक अभूतपूर्व मानव आपदा की ओर बढ़ रहा है। इसके पीछे कई कारक हैं. एक तो मुसलमानों में उच्च जन्म दर का होना और दूसरा, अनेक हिंदुओं का पलायन। निचले और मध्य असम के इलाकों में मुसलमानों के बीच ऐसी कोई बात दर्ज नहीं की गई है।”

आजादी के बाद से लगातार बढ़ रही मुस्लिम आबादी

सरमा ने आगे कहा, “जब भारत आजाद हुआ, तो असम में मुस्लिम आबादी 22% थी। 1951 में यह 24.68% दर्ज की गई और 2001 में 30.9 तक पहुंच गई। आंकड़े बताते हैं कि सबसे अधिक वृद्धि 2001 और 2011 के बीच दर्ज की गई थी। इस निरंतर वृद्धि के कारण सभी जिलों में जनसांख्यिकीय वृद्धि हुई है।

2011 की जनगणना के अनुसार, असम की आबादी 31.2 मिलियन है, जिसमें हिंदू 19 मिलियन (61.47%) से थोड़ा अधिक और मुस्लिम 10.6 मिलियन (34.22%) हैं। ईसाइयों की संख्या 11 लाख से ज्यादा है, सिखों की संख्या लगभग 20,000, बौद्धों की संख्या 54,000, जैनियों की संख्या 25,000 है।

अपने इलाके के हिंदुओं की रक्षा करें मुसलमान विधायक

सीएम सरमा ने कहा कि जहां निचले और मध्य असम के कई इलाकों में हिंदुओं की आबादी में गिरावट आई है। वहीं ऊपरी असम के हिंदू बहुल इलाकों में मुसलमानों की आबादी में वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा, “अगर यह प्रवृत्ति जारी रही तो आने वाले वर्षों में असम आंदोलन जैसी स्थिति पैदा हो जाएगी। यह सुनिश्चित करना इस सदन की जिम्मेदारी है कि ऐसा न हो।” सरमा ने मुस्लिम विधायकों से अपने निर्वाचन क्षेत्रों में रहने वाले हिंदुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आग्रह किया। साथ ही मुस्लिम समुदाय से लड़कियों को 18 साल की होने से पहले शादी न करने के लिए भी कहा।

अपने बयानों के लिए अक्सर सुर्खियों में रहने वाले असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने मंगलवार को एक बार फिर विपक्ष को घेरते हुए कहा कि वह पक्ष लेंगे और मिया मुसलमानों को असम पर कब्जा नहीं करने देंगे. सरमा विधानसभा में विपक्षी दलों द्वारा नागांव में 14 वर्षीय लड़की के साथ बलात्कार की पृष्ठभूमि में राज्य में कानून और व्यवस्था की स्थिति पर चर्चा करने के लिए लाए गए स्थगन प्रस्तावों पर बोल रहे थे.

प्रस्ताव का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि अगर जनसंख्या वृद्धि को ध्यान में रखा जाता तो अपराध दर में वृद्धि नहीं होती. जब विपक्ष ने उन पर पक्षपात करने का आरोप लगाया तो हिमंता बिस्वा सरमा ने पलटवार करते हुए कहा, “मैं किसी एक का पक्ष लूंगा. आप इसके पर क्या कर सकते हैं?” उन्होंने जोर देकर कहा, “लोवर असम के लोग अपर असम क्यों जाएंगे? ताकि मियां मुसलमान असम पर कब्जा कर सकें? हम ऐसा नहीं होने देंगे.”

विधानसभा में तीखी बहस के बीच सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों के सदस्य सदन के वेल में आ गए, जिसके कारण स्पीकर बिस्वजीत दैमारी को कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित करनी पड़ी. कांग्रेस, एआईयूडीएफ और सीपीआई (एम) के विधायकों और एकमात्र निर्दलीय विधायक अखिल गोगोई ने महिलाओं के खिलाफ अपराधों सहित राज्य में बढ़ते अपराधों से उत्पन्न स्थिति पर चर्चा के लिए चार स्थगन प्रस्ताव पेश किए थे.

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