मेरी बात को बतंगड़ बना दिया गया- तेजस्वी यादव

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हमारी पार्टी को हल्के में नहीं लें-कांग्रेस 

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

कांग्रेस के बयान पर आरजेडी नेता तेजस्वी यादव शुक्रावर को अपनी सफाई दी. उन्होंने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि मेरी बात को बतंगड़ बना दिया गया. उन्होंने आगे कहा कि मैंने दिल्ली के संदर्भ में कहा था कि आम आदमी पार्टी और कांग्रेस अलग चुनाव लड़ रही है. लेकिन, बिहार में हम लोग साथ हैं. जबकि पंजाब में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस अलग चुनाव लड़ी, केरल में लेफ्ट अलग चुनाव लड़ी.

तेजस्वी यादव ने कहा कि मैं शुरु कहता आ रहा हूं कि बिहार में महागठबंधन मजबूत है. बता दें कि दो दिन पहले महागठबंधन को तेजस्वी यादव के बयान पर बवाल मच गया था. तेजस्वीय यादव ने एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि महागठबंधन सिर्फ लोकसभा चुनाव के लिए बनाया गया था. इसका मकसद केंद्र की सत्ता से नरेंद्र मोदी को केंद्र की सत्ता से रोकना था. विधानसभा चुनाव से इसका कुछ लेना देना नहीं है.

तेजस्वी यादव की सफाई

तेजस्वी यादव के इस बयान के बाद बिहार ही नहीं पूरे देश में राजनीतिक पारा चढ़ गया था. एनडीए के नेताओं ने बिहार में महागठबंधन पर सवाल उठाने लगे थे. कांग्रेस ने आरजेडी पर पलटवार करते हुे कहा था कि कांग्रेस को हल्के में नहीं ले. हालांकि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश सिंह ने तेजस्वी यादव का बचाव करते हुए कहा था कि वे दिल्ली विधान सभा चुनाव को लेकर उक्त बातें कही थी.

छापेमारी को लेकर क्या कहा

तेजस्वी यादव ने आरजेडी के वरिष्ठ नेता और विधायक पूर्व मंत्री आलोक मेहता के यहां छापेमारी पर कहा कि अभी देखी क्या होता है? आपको याद है महागठबंधन की जब बिहार में सरकार बनी थी तो किन-किन लोगों के यहां छापेमारी हुई थी.

बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के नेता तेजस्वी यादव ने INDIA गठबंधन खत्म होने के दावे पर सफाई दी है। तेजस्वी ने कहा कि उनकी बात का लोगों ने बतंगड़ बनाया है। इससे उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता है। उन्होंने कहा कि उनसे दिल्ली के संदर्भ में उनसे सवाल पूछा गया था, दिल्ली चुनाव में इंडिया गठबंधन नहीं दिख रहा है। इस पर उन्होंने पंजाब, पश्चिम बंगाल और केरल का उदाहरण देते हुए कहा कि विधानसभा चुनावों में पार्टियां अलग-अलग लड़ी हैं।

तेजस्वी यादव ने शुक्रवार को मीडिया से बातचीत में स्पष्ट किया कि इंडिया गठबंधन सिर्फ राष्ट्रीय स्तर पर बनाया गया है। बिहार में शुरू से महागठबंधन एकजुट है और इंडिया अलायंस बना हुआ है। पंजाब में आम आदमी पार्टी अलग चुनाव लड़ी। पश्चिम बंगाल में टीएमसी अलग लड़ी और केरल में लेफ्ट अलग चुनाव लड़ी थी। यानी कि नेशनल लेवल पर ही है।

बता दें कि दो दिन पहले तेजस्वी यादव के INDIA अलायंस को लेकर दिए गए एक बयान से सियासी घमासान छिड़ गया था। उन्होंने बुधवार को मीडिया के सवाल का जवाब देते हुए कहा था कि इंडिया गठबंधन सिर्फ लोकसभा चुनाव के लिए बनाया गया था। इसका मकसद नरेंद्र मोदी सरकार को सत्ता से बाहर करना था। उनके इस बयान के अलग-अलग मायने निकाले जाने लगे।

एनडीए के नेताओं ने जहां तेजस्वी के दावे के आधार पर विपक्षी एकजुटता पर सवाल उठाना शुरू कर दिया। वहीं, विपक्षी गठबंधन के अंदर भी हलचल मच गई। बिहार विधानसभा में कांग्रेस विधायक दल के नेता शकील अहमद ने इशारों ही इशारों में तेजस्वी यादव को आंख दिखा दी। उन्होंने कहा कि हमें (कांग्रेस को) हल्के में नहीं लेना चाहिए। कोई हमें हल्के में लेता है तो हम उसे और भी ज्यादा हल्के में लेते हैं।

हालांकि, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने तेजस्वी यादव का बचाव किया है। उन्होंने शुक्रवार को कहा कि तेजस्वी ने दिल्ली में विधानसभा चुनावों के बारे में बात की, जहां हमने लोकसभा चुनाव साथ मिलकर लड़ा था, लेकिन अब अलग-अलग लड़ रहे हैं। यह कोई असामान्य बात नहीं है। यहां तक ​​कि लोकसभा चुनावों में भी कांग्रेस और आप ने पंजाब में अलग-अलग चुनाव लड़ा था, तो भी राष्ट्रीय स्तर पर इंडिया अलायंस था।

बिहार में राजद कांग्रेस पार्टी को गंभीरता ले नहीं लेती है। बीते दिनों बिहार में चार सीटों पर विधानसभा के उप चुनाव हुए। कांग्रेस पार्टी एक सीट पर लड़ना चाहती थी लेकिन राजद ने नहीं दिया। तेजस्वी यादव पहले कई बार कह चुके हैं कि जहां जिसकी ताकत ज्यादा वहां वही बड़ा भाई होगा। लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस 10-12 सीटें मांग रही थी पर राष्ट्रीय पार्टी के सात सीटों पर संतोष करना पड़ा।

उस समय भी इंडिया गठबंधन की सीट शेयरिंग का फार्मूला तय होने के पहले ही लालू यादव ने अपनी पार्टी के उम्मीदवारों को टिकर देना शुरू कर दिया। लालू की शह पर वाम दलों ने बगैर सबकी सहमति के अपनी पार्टी प्रत्याशियों का टिकट और चुनाव क्षेत्र भी फाइनल कर दिया। कई सीटों पर कांग्रेस पार्टी अपना दावा पहले से करती आ रही थी लेकिन नहीं दी गईं। कांग्रेस को बची खुची सीटों से काम चलाना पड़ा।

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