#MY Parliament My Pride:राजदंड के साथ कर्मपथ पर नए भारत का स्वागत है।

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

यदि समाज में, परिवार में, राष्ट्र में कहीं विद्वेष, विघटन है तो कहीं न कहीं हमारे बीच कोई-न- कोई आयातित कुसंस्कार, कुविचार पल रहा है। हमारी सबसे पुरातन जीवित सभ्यता एवं संस्कृति हमेशा से जोड़ने की रही। व्यक्ति अपने परिवार, समाज एवं राष्ट्र से जुड़कर हीं अपना सम्पूर्ण विकास कर सकता है। ….परतंत्रता के हर प्रतीक का मिटना राष्ट्र को जोड़ने का एक नया पवित्र कर्म है….और आज का सबसे बड़ा धर्म भी यहीं है।

और …..भारत में धर्म हीं हम सबको जोड़ता है। नंदी महाराज चाहें पवित्र राजदंड सेंगोल पर विराजें या किसी गांव के छोटे से शिव मंदिर के सामने बैठे हों, उनके प्रति समान श्रद्धा उमड़ती है। चाहें ….तमिलनाडु में हों, काशी में हों, पाकिस्तान के कटासराज में हों….नंदी महाराज पूरे भारत को अखंडमय बना देते हैं। धर्म …भाषा, जाति, मत, विचार, पहनावा, खान-पान आदि के बंधनों को एक झटके में तोड़कर पूरे भारत को एक कर देता है। यहीं है एक भारत श्रेष्ठ भारत।

नए संसद भवन का लोकार्पण शुभमय है। तमिल संतों द्वारा मंत्रोचार के बीच श्रद्धेय प्रधानमंत्री के हाथों में भारतीय न्यायमर्यादा का प्रतीक राजदंड (सेंगोल) भारतीय परिवेश में स्वतंत्रता की एक नई प्रस्तावना है। राजदंड सनातन संस्कृति की अनमोल विरासत है। यह धर्मदंड है …जो राजव्यवस्था को कर्मपथ की ओर प्रेरित करता रहा है।यह इमारत अहमदाबाद के प्रसिद्ध वास्तुकार बिमल हसमुख पटेल के सौजन्य से है।61 वर्षीय को ‘प्रधानमंत्री के वास्तुकार’ के रूप में जाना जाता है क्योंकि वह साबरमती रिवरफ्रंट और काशी विश्वनाथ परियोजनाओं के पीछे भी दिमाग हैं।

जब इमारत के आकार के बारे में पूछा गया और उन्होंने इसे त्रिकोणीय होने के लिए क्यों चुना, तो उन्होंने जवाब दिया कि कई पवित्र ज्यामिति “त्रिकोण” और “त्रिभुज” मनाते हैं। “नए संसद भवन को त्रिकोणीय आकार में डिज़ाइन किया गया है क्योंकि यह त्रिकोणीय भूखंड पर स्थित है और इसमें तीन मुख्य स्थान हैं – लोकसभा, राज्यसभा और एक केंद्रीय लाउंज। इसके अलावा, त्रिकोण देश के विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों में पवित्र ज्यामिति हैं। श्री यंत्र एक त्रिकोण का उपयोग करता है, तीन देवता या त्रिदेव एक त्रिकोण हैं और इसलिए त्रिकोण पवित्र है, “उन्हें समाचार एजेंसी पीटीआई को बताते हुए उद्धृत किया गया था ।

आईए …. श्रीमंत नरेंद्र मोदी जी के हाथों बदलते भारत में लोकतंत्र के नए मंदिर की प्राणप्रतिष्ठा का साक्षी बनें। नया भवन बाबा साहब भीम राव अम्बेडकर के सपनों को पूरा करने में सक्षम हो!
अप्रतिम त्याग की मूर्ति स्वतंत्रता सेनानी श्री विनायक दामोदर सावरकर की जयंती पर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि!

आभार- पी के पाठक

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