नाम संकीर्तन से कट जाते है कष्ट- इंद्रभूषण तिवारी
श्रीनारद मीडिया, कुमार आशीष, हसनपुरा, सीवान (बिहार):
प्रखंड के गायघाट स्थित शिव मंदिर के प्रांगण में चल रहे शिवशक्ति प्रतिष्ठात्मक महायज्ञ को ले सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन यानी बुधवार को बनारस से पधारे कथावाचक इंद्रभूषण तिवारी ने अपनी अमृतमय वाणी से उपस्थित श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। साथ ही उन्होंने श्रीमद्भागवत महापुराण का धार्मिक वर्णन करते हुए बताया कि यह ग्रंथ पूर्णतः वैज्ञानिक है। सनातन धर्म के प्रत्येक ग्रंथ में बताई गई सभी बातें पूर्णतः वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित है। भागवत में लिखा है कि शाम के समय भोजन, शायन, पढ़ाई, और सहवास कभी नही करना चाहिए। क्योंकि इस समय भगवान रुद्र पृथ्वी के भ्रमण पर होते है।
यदि इस समय कोई ऐसा कार्य करता हुआ दिखाई देता है, तो वह उसे श्राप दे देते है। वही उन्होंने कहा कि शाम के समय भोजन करने से बीमारी आती है। सोने से लक्ष्मी की हानि होती है। वही पढ़ने से स्मृति कमजोर और सहवास से राक्षस प्रवृत्ति की संतान और बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है। इतना ही नही महाराज ने बताया कि कलियुग में भवसागर से पार होने का एकमात्र साधन हरिनाम संकीर्तन है। हमारे लिए यह आवश्यक है कि हम भगवान का नाम लें।
किसी भी अवस्था में रहे चाहे सोते, जागते, उठते, बैठते जैसे चाहें लें। किसी भी भाव से लें। नाम स्मरण से हमारे पापों का दंड समाप्त हो जाता है। जैसे अजामिल अपने बेटे नारायण का नाम लिया किंतु बेटे का नाम लेने से नारायण प्रसन्न हो गए और उसका उद्धार कर दिया। वही कथा के बीच-बीच में कृष्ण-सुदामा, शिव-पार्वती की एक से बढ़कर एक मनमोहक झांकियां ने उपस्थित श्रोताओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। जहां उपस्थित श्रोताओं ने खूब तालियां बटोरी। मौके पर सैकड़ों श्रद्धालु उपस्थित थे।
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