जैव विविधता के संरक्षण का महान संदेश देता है नागपंचमी का त्योहार

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400 ईसा पूर्व से सर्प पूजन परंपरा के विद्यमान होने के संकेत देते हैं महाभारत और अन्य वैदिक ग्रंथ

सीवान की लोक परम्परा

✍️डॉक्टर गणेश दत्त पाठक, श्रीनारद मीडिया, सीवान (बिहार):

सनातन परंपरा में प्रकृति को विशेष महत्व दिया जाता रहा है। प्रकृति के साथ सामंजस्य के प्रति हर सनातनी त्योहार अपना संदेश देते हैं। प्रकृति संरक्षण के संदर्भ में जैव विविधता का संरक्षण भी महत्वपूर्ण है। सावन के पावन महीने में नागपंचमी के त्योहार में सर्प पूजन की परंपरा का परिपालन किया जाता है। इस त्योहारों में सांपों का पूजन किया जाता है। मालूम हो कि जैव विविधता में सांपों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। सीवान की लोक परम्परा में भी यह त्योहार बहुत ही श्रद्धाभाव के साथ मनाया जाता रहा है। सीवान के रघुनाथपुर थाना के पतार गांव में बाबा रामजी के स्थान पर नागपंचमी पर विशेष मेला भी लगता आया है।

सामान्य तौर पर सिवान में नागपंचमी के त्योहार पर विशेष श्रद्धाभाव का जागरण देखा जाता है। सुबह सुबह सभी घरों में सफाई होती है। इसके उपरांत वैदिक मंत्रों से गोबर और सरसों के दानों को अभिमंत्रित किया जाता है। फिर उस गोबर के अंश से दरवाजे पर नाग की आकृति बनाई जाती है। उसके बाद गोबर के घोल का छिड़काव किया जाता है। फिर नाग देवता की दूध और धान के लावे से पूजा किया जाता है।

नागपंचमी का त्योहार बेहद प्राचीन है। आचार्य सुग्रीव पांडेय बताते हैं कि नागपंचमी का प्राचीनतम उल्लेख महाभारत में मिलता है, जो लगभग 400 ईसा पूर्व से 400 ईसवी के मध्य लिखा गया था। इसके अलावा नाग पंचमी का उल्लेख स्कंद और पद्म पुराण में भी मिलता है, जो लगभग 500 से 1000 ईसवी की अवधि में लिखे गए थे। यजुर्वेद में नागपंचमी के अवसर पर सर्प की पूजा के मंत्रों का वर्णन मिलता है।नागपंचमी पूजन का उल्लेख गरुड़ पुराण, मार्कण्डेय पुराण और मनु स्मृति में भी मिलता है। नागपंचमी का उल्लेख प्राचीन जैन और बौद्ध ग्रंथों में भी मिलता है, जो इस त्योहार की प्राचीनता को प्रमाणित करता है।

नागपंचमी का त्योहार जैव विविधता के संरक्षण का महान संदेश भी देता है। जैव विविधता से आशय यह होता है कि प्रकृति के सभी जीव का पर्यावरण संरक्षण के संदर्भ में विशिष्ट महत्व है। सांपों का अस्तित्व भी जैव विविधता के संदर्भ में महत्वपूर्ण है। नागपंचमी के त्योहार में नागों का पूजन किया जाता है। यह संदेश प्रसारित होता है कि हमें नागों को मारना नहीं चाहिए। सर्प जैसे जीव पारिस्थितिक तंत्र में संतुलन बनाए रखने में मदद करते हैं। नागपंचमी का त्योहार लोगों को प्रकृति के प्रति स्नेह को बढ़ाता है। पर्यावरण के प्रति जागरूकता को बढ़ाने में भी इस त्योहार का विशेष महत्व है।

सांपों के विष का उपयोग कई तरह की दवाओं में भी होता है।सांप के विष में पाए जाने वाले प्रोटीन का उपयोग कई तरह की बीमारियों जैसे दिल का दौरा, स्ट्रोक, अल्जाइमर, और पार्किंसन रोग के इलाज के लिए किया गया है। इसलिए भी सांपों का संरक्षण आवश्यक होता है। कतरने वाले जानवरों को खाकर, सांप उनकी आबादी को नियंत्रण में रखने में मदद करते हैं, जिससे जूनोटिक रोग संचरण को रोका जा सकता है, तथा खाद्य सुरक्षा में योगदान दिया जा सकता है। सांप के काटने के लिए एकमात्र सिद्ध और प्रभावी उपचार – सांप-विरोधी विष, भी सांप के जहर से हासिल होता है।

इस प्रकार नागपंचमी का पूजन पर्यावरण के संदर्भ में सांपों के संरक्षण, पारिस्थितिक संतुलन, विषाक्तता की रोकथाम, जैव विविधता के संरक्षण और पर्यावरण जागरूकता से जुड़ा होने के कारण विशेष महत्वपूर्ण बन जाता है।

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