जिले में मनाया जा रहा है राष्ट्रीय नवजात शिशु सप्ताह, 21 नवंबर तक होगा आयोजन
नवजात की समुचित देखभाल के लिए किया जाएगा जगरूक: कार्यक्रम का उद्देश्य शिशुओं को स्वस्थ जीवन प्रदान करना:
नवजात का पहला टीका जीवन पर्यंत बीमारियों एवं बाहरी संक्रमण से बचाने में सहायक:
स्वस्थ बच्चे के लिए प्रेग्नेंसी के दौरान एन्टीनैटल चेकअप जरूरी: डॉ डीपी गुप्ता
श्रीनारद मीडिया‚ मधेपुरा, (बिहार)
राज्यस्तर से प्राप्त निर्देश के आलोक में स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिले में 15 से 21 नवंबर तक नवजात शिशु देखभाल सप्ताह मनाया जा रहा है। इस दौरान आशा कार्यकर्ता द्वारा नवजात को बीमारी से बचाने के लिए उपायों और सावधानियों के बरतने के बारे में जानकारी दी जा रही है। जिले के वरीय शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ डीपी गुप्ता ने बताया कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य शिशुओं को स्वस्थ जीवन प्रदान करना तथा शिशुओं के मृत्यु दर में कमी लाना है। डाॅ गुप्ता बताते हैं कि जिले में शिशु मृत्यु दर औसतन 25 प्रतिशत है जिसे घटाकर 12 प्रतिशत पर लाने का लक्ष्य है।
स्वस्थ बच्चे के लिए प्रेग्नेंसी के दौरान एन्टीनैटल चेकअप जरूरी: डॉ डी पी गुप्ता
डॉ डी पी गुप्ता कहते हैं कि अक्सर ऐसा होता है कि गर्भवती महिला और उसके परिजन एन्टीनैटल चेकअप करवाने से हिचकते हैं। स्वस्थ बच्चा चाहिए तो यह चेकअप बेहद जरूरी है। इस चेकअप में बीपी, शुगर, एचआईवी, हीमोग्लोबिन और थायरॉइड समेत कई दूसरी जांच भी होती है। इससे गर्भ में ही बच्चे की बीमारियों की जानकारी मिल जाती है। डॉ गुप्ता कहते हैं कि गर्भवती महिलाएं सदर अस्पताल में गर्भावस्था के 9 महीने के दौरान हर महीने अपना एन्टीनैटल चेकअप जरूर कराएं। साथ ही डॉक्टर द्वारा दिए गए परामर्श का पालन करें एवम् पोषणयुक्त भोजन का सेवन व खान-पान का ध्यान रखें। वे लोगों से संस्थागत प्रसव कराने की अपील भी करते हैं एवम् कहते हैं कि लोग प्रसव कराने में सही समय का ध्यान नहीं रखते हैं। सदर अस्पताल में जन्म लेने वाले ऐसे नवजात में जन्म के बाद अक्सर सांस लेने में तकलीफ की समस्या बनी रहती है। इसलिए जरूरी है कि गर्भवती महिलाएं एवम् उनके परिजन प्रसव के समय का ध्यान अवश्य रखें।
जन्म के पहले घंटे में स्तनपान शुरू करना अत्यंत जरूरी:
जिले में राष्ट्रीय नवजात शिशु सप्ताह कार्यक्रम आयोजन के दौरान आशा एवम् आंगनबाड़ी कार्यकर्ता इसके सहयोग करने का काम करेगी। ये कार्यकर्ता गर्भवती एवम् स्तनपान कराने वाली माताओं के साथ बैठक कर उन्हें समुचित स्तनपान की जानकारी प्रदान करेगी। वे लाभुकों के साथ बैठक कर या जन्म के पहले घंटे एवम् छः माह तक केवल स्तनपान कराने के बारे में बताएंगी।
डॉ डी.पी.गुप्ता की मानें तो जन्म के पहले घंटे में स्तनपान शुरू करने वाले नवजातों में मृत्यु की संभावना 20 प्रतिशत तक कम हो जाती है। इसके साथ ही पहले छह महीने तक केवल स्तनपान करने वाले शिशुओं में डायरिया एवं निमोनिया से होने वाली मृत्यु की संभावना 11 से 15 गुना तक कम हो जाती है। स्तनपान करने वाले शिशुओं का शारीरिक व मानसिक विकास होता है। व्यस्क होने पर उसमें असंचारी बीमारियों के होने की भी संभावना कम हो जाती है। इसके अलावा स्तनपान कराने वाली माताओं में स्तन व ओवरी कैंसर का खतरा भी नहीं होता।
शिशु जन्म के समय एवम् उसके पश्चात समय से टीकाकरण करवाना है महत्वपूर्ण:
कार्यक्रम आयोजन के दौरान आशा कार्यकर्ता घर घर जाकर नवजात शिशुओं एवम् गर्भवती महिलाओं को शिशु के जन्म के समय तथा उसके पश्चात समय से टीका लगवाने का महत्व भी समझाएगी। इस दौरान वे घर के जवजात शिशुओं का वजन मदर चाइल्ड शिशु प्रोटेक्शन कार्ड या एमसीपी कार्ड पर अंकित भी करेगी। उल्लेखनीय है कि नवजात का पहला टीका जन्म के पहले घंटे में कराया गया स्तनपान है, जो जीवन पर्यंत बीमारियों एवं बाहरी संक्रमण से उसे बचाता है। जन्म के पहले घंटे नवजात को स्तनपान जरूर कराया जाए। इसे ध्यान में रखते हुए जिले में 15-21 नवंबर तक नवजात शिशु देखभाल सप्ताह मनाया जा रहा है।
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