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राष्ट्रीय पोषण माह: बच्चों को पौष्टिक आहार में पोषण वाटिका की जरूरत नहीं, बल्कि पके हुए भोजन में मोटे अनाज का मिश्रण होना जरूरी: - श्रीनारद मीडिया

राष्ट्रीय पोषण माह: बच्चों को पौष्टिक आहार में पोषण वाटिका की जरूरत नहीं, बल्कि पके हुए भोजन में मोटे अनाज का मिश्रण होना जरूरी:

राष्ट्रीय पोषण माह: बच्चों को पौष्टिक आहार में पोषण वाटिका की जरूरत नहीं, बल्कि पके हुए भोजन में मोटे अनाज का मिश्रण होना जरूरी:

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पोषण की सही जानकारी के लिए महीने के चौथे शुक्रवार को वजन, ऊंचाई और लंबाई की होती है जांच: सेविका

पोषक तत्वों की आपूर्ति एक स्वस्थ एवं सुपोषित जीवन की आधारशिला: डीपीओ

पोषण माह के दौरान शत प्रतिशत लक्ष्य की प्राप्ति के लिए दिया गया आवश्यक दिशा निर्देश: जिलाधिकारी

श्रीनारद मीडिया, सिवान (बिहार):

बच्चो को पढ़ाने और पका हुआ पौष्टिक आहार खिलाने के लिए अपना भवन की जरूरत नहीं होती है। इसके लिए जिम्मेदार होना पड़ता है। शायद कुछ इसी तरह की भावना रखने वाली जिले के बसंतपुर प्रखंड अंतर्गत खोड़ी पाकड़ गांव स्थित आंगनबाड़ी केंद्र की सेविका आरती विगत 17 वर्षो से मासूम बच्चों को स्कूल पूर्व शिक्षा के साथ- साथ पौष्टिक भोजन खिलाने का काम करती आ रही है।

मलमलिया महम्मदपुर राष्ट्रीय उच्च पथ संख्या- 331 के सड़क किनारे अवस्थित आंगनबाड़ी केंद्र में बच्चों को मीनू के अनुसार खाना खिलाया जाता हैं। हालांकि बच्चों को पौष्टिक आहार के रूप में पोषण वाटिका की जरूरत नही बल्कि पके हुए भोजन में मोटे अनाज का मिश्रण होना जरूरी होता है। इसके लिए सेविकाओं का समर्पण होना चाहिए। बच्चों को बैठने के लिए बेंच, गले में आई कार्ड, स्कूल ड्रेस के साथ जब बच्चे एक स्वर में कविता और पढ़ाई करते हैं तो लगता है कि किसी प्रतिष्ठित स्कूल के बच्चे पढ़ने के लिए बैठे हुए है। पोषण माह के दौरान पोषण स्टॉल लगाकर मेला आयोजन कर मोटे अनाज को लेकर स्थानीय ग्रामीणों को जागरूक किया जाता है।

पोषण की सही जानकारी के लिए महीने के चौथे शुक्रवार को वजन, ऊंचाई और लंबाई की होती है जांच: सेविका
सेविका आरती के अनुसार पोषक क्षेत्र की 1278 जनसंख्या में फिलहाल 14 गर्भवती महिला और 07 धात्री माताओं का उचित ख्याल रखने में एक आशा कार्यकर्ता का सहयोग मिलता है। इसके लिए प्रत्येक 14 तारीख को नामांकित बच्चे के अलावा धात्री माताएं और गर्भवती महिलाओं का वजन, ऊंचाई और लंबाई की मापी की जाती है।

 

ताकि पोषण की सही जानकारी मिल सकें। साथ ही प्रत्येक महीने के चौथे शुक्रवार को एएनएम द्वारा टीकाकरण जैसे कार्य को शत प्रतिशत सफल कराया जाता हैं। वहीं प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना और कन्या उत्थान योजन के तहत लाभुको को इसका लाभ दिलाया जाता हैं। मॉडल आंगनवाड़ी केंद्र सरकार द्वारा बनाई नही जाती है बल्कि खुद बनानी पड़ती है। इसके लिए सरकार द्वारा चलाई जाने वाली योजनाओं और नामांकित बच्चों के साथ ही पोषक क्षेत्र की गर्भवती और धात्री माताओं की जिम्मेदारी भी संभालनी पड़ती है। खेले खेल में बच्चों को पठन पाठन कार्य के साथ ही विभिन्न प्रकार के पर्व त्यौहार मनाया जाता हैं। वहीं खुद के द्वारा खिलौना बनाकर बच्चों को सिखाया जाता है।

 

पोषक तत्वों की आपूर्ति एक स्वस्थ एवं सुपोषित जीवन की आधारशिला: डीपीओ
आईसीडीएस की डीपीओ तरणि कुमारी ने बताया कि कुपोषण से मुक्ति के लिए मार्च 2018 में देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राजस्थान के झुंझुनू से पोषण अभियान की शुरुआत की थी। पौष्टिक आहार के संबंध में स्थानीय प्रखंड के बच्चों के अभिभावकों से अपील करते हुए कहा कि आप लोग खास कर गर्भवती महिलाओं और धात्री माताएं खुद के साथ ही अपने बच्चों में भोजन में दूध, अंडा, सोयाबीन और ताजे फल एवं हरी सब्जियों को अनिवार्य रूप से प्रतिदिन शामिल करना चाहिए। क्योंकि आपसी सहयोग और सहभागिता से कुपोषण को जड़ से खत्म किया जा सकता है। क्योंकि जीवन के प्रथम 1000 दिन में पोषक तत्वों की आपूर्ति एक स्वस्थ एवं सुपोषित जीवन की आधारशिला तैयार करता हैं। आहार और व्यवहार में परिवर्तन कर कुपोषण से लड़ा जा सकता है। समुदाय में पोषण को लेकर अधिक से अधिक जागरूकता फैलाकर समुदाय में पोषण की अलख जगाई जा सकती है। बच्चों और महिलाओं के पोषण से ही समाज कुपोषण मुक्त हो सकता है।

पोषण माह के दौरान शत प्रतिशत लक्ष्य की प्राप्ति के लिए दिया गया आवश्यक दिशा निर्देश: जिलाधिकारी
जिलाधिकारी मुकुल कुमार गुप्ता ने बताया कि आईसीडीएस की समीक्षात्मक बैठक के दौरान विभिन्न योजनाओं यथा- राष्ट्रीय पोषण अभियान, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना, मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना, अनुग्रह अनुदान की समीक्षा की जाती है। ताकि लक्ष्य की शत प्रतिशत प्राप्ति की जा सकें। इस संबंध में जिले की सभी सीडीपीओ को आवश्यक दिशा निर्देश देते हुए कहा गया है कि प्रत्येक सोमवार, बुधवार एवं शुक्रवार को एक- एक आंगनवाड़ी केंद्र पर कैम्प लगाकर लक्ष्य के अनुरूप फार्म की अपलोडिंग करना सुनिश्चित करे। साथ ही राष्ट्रीय पोषण माह के दौरान मिशन मोड में गृह भ्रमण, वृद्धि निगरानी एवं अन्नप्राशन और गोदभराई का निरीक्षण संबंधित सीडीपीओ एवं महिला पर्यवेक्षिकाओं द्वारा आंगनबाड़ी केन्द्रों पर कराते हुए इस माह के अंत तक शत- प्रतिशत लक्ष्य प्राप्त करने का निदेश दिया गया।

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