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राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम- सतत चिकित्सा शिक्षा कार्यक्रम का आयोजन  - श्रीनारद मीडिया

राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम- सतत चिकित्सा शिक्षा कार्यक्रम का आयोजन 

राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम- सतत चिकित्सा शिक्षा कार्यक्रम का आयोजन

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एनटीईपी एवं वर्ल्ड विजन इंडिया के सहयोग से सीएमई से संबंधित एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित:

शरीर के अंदर पनप रहे टीबी के बैक्टीरिया को एक्टिव होने से पहले समाप्त करना पहली प्राथमिकता: सीडीओ

श्रीनारद मीडिया, छपरा, (बिहार):


भारत सरकार द्वारा वर्ष 2025 तक टीबी जैसी बीमारी को जड़ से मिटाने का लक्ष्य रखा गया है। जिसको लेकर वर्ल्ड विज़न इंडिया के द्वारा राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम के तहत सतत चिकित्सा शिक्षा (सीएमई) का आयोजन शहर के एक निजी होटल में किया गया। कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन जिला संचारी रोग पदाधिकारी डॉ रत्नेश्वर प्रसाद सिंह, वरीय चिकित्सक डॉ सुरेंद्र प्रसाद सिंह, डॉ शालिग्राम विश्वकर्मा और डॉ रवि शंकर प्रसाद के द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। इस अवसर पर जिला यक्ष्मा केंद्र के डीपीएस मुकेश कुमार, डीपीसी हिमांशु शेखर, लिपिक रत्न संजय, डब्ल्यूएचओ के क्षेत्रीय सलाहकार डॉ कुमार विजयेंद्र सौरभ, सिफार के क्षेत्रीय कार्यक्रम समन्वयक धर्मेंद्र रस्तोगी, वर्ल्ड विजन इंडिया जीत प्रोजेक्ट 2.0 के जिला समन्वयक रणधीर कुमार, जिला पर्यवेक्षक पंकज कुमार सिन्हा, क्षेत्र अधिकारी राम प्रकाश शर्मा, सूचना प्रणाली के प्रबंधक राज कमल सहित शहर के दर्जनों निजी चिकित्सक उपस्थित थे।

 

शरीर के अंदर पनप रहे टीबी के बैक्टीरिया को एक्टिव होने से पहले समाप्त करना पहली प्राथमिकता: सीडीओ
जिला संचारी रोग पदाधिकारी डॉ रत्नेश्वर प्रसाद सिंह ने कहा कि भारत सरकार द्वारा टीबी से संबंधित जानकारियों के लिए टोल फ्री नंबर 1800-116666 जारी किया गया है। जिसके माध्यम से कोई भी व्यक्ति मात्र एक मिसकॉल से टीबी जैसी बीमारी से संबंधित सभी तरह की जानकारी प्राप्त कर सकता है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय, देश में सबसे गंभीर बीमारी समझी जाने वाली टीबी (क्षय रोग) के इलाज में अब मोबाइल फोन की सहायता ले रहा है। क्योंकि वर्तमान समय में अधिकांश लोगों के पास मोबाइल फोन की उपलब्धता हो गई है। यही कारण है कि विभागीय स्तर पर एक टॉल-फ्री नंबर जारी किया गया है। प्रोग्रामेटिक मैनेजमेंट ऑफ टीबी प्रीवेंटिव ट्रीटमेंट (पीएमटीपीटी) के तहत लेटेंट टीबी इंफैक्शन वाले मरीज को चिह्नित कर उन्हें टीबी प्रीवेंटिव ट्रीटमेंट (टीपीटी) से जोड़ा जा रहा है। ताकि उनके शरीर के अंदर पनप रहे टीबी के बैक्टीरिया को एक्टिव होने से पहले ही समाप्त कर दिया जाए। जिससे आसानी से टीबी फैलाव के चेन को तोड़ने में मदद मिलेगी। जो टीबी उन्मूलन के क्षेत्र में काफी सहायक सिद्ध होगा।

 

टीबी मुक्त अभियान में निजी चिकित्सकों की अहम भूमिका: डब्ल्यूएचओ
डब्ल्यूएचओ के क्षेत्रीय सलाहकार डॉ कुमार विजयेंद्र सौरभ ने कहा कि इस कार्यक्रम का क्रियान्वयन वर्ल्ड विज़न इंडिया (जीत 2.0) की ओर से किया गया है। इस कार्यक्रम के तहत ज़िले के सभी प्रखंडों में लेटेंट ट्यूबरक्लोसिस इंफेक्शन (एलटीबीआई) समन्वयक अपने कार्यों को बखूबी निर्वहन कर रहे हैं। क्योंकि यही लोग संबंधित प्रखंडों के वरीय उपचार पर्यवेक्षक (एसटीएस) के साथ मिल कर प्रारंभिक काल के दौरान टीबी मरीजों के घर जाकर उनके साथ रह रहे परिवार के अन्य सदस्यों की कॉन्ट्रेक्ट ट्रेसिंग कर रहे हैं। हालांकि वैसे मरीज को चिह्नित करना है, जिनमें एक्टिव टीबी का कोई लक्षण नहीं है। इसके बाद वैसे मरीज को टीबी प्रीवेंटिव ट्रीटमेंट (टीपीटी) से जोड़ कर उन्हें लगातार 6 महीने तक आइसोनियाजाइद दवा खिलाई जाती है। ताकि लेटेंट टीबी इंफेक्शन को जड़ से समाप्त किया जा सके। इसके साथ-साथ उन्होंने यह भी कहा कि ज़िले के सभी निजी चिकित्सक भी इस मुहिम में शामिल होकर टीबी जैसी बीमारी से बचाव में अपनी सहभागिता सुनिश्चित करेंगे।

 

टीबी मरीज के संपर्क में रहने वाले 5 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों का एक्सरे कराना अतिआवश्यक: वर्ल्ड विजन इंडिया
वर्ल्ड विज़न इंडिया के जिला समन्वयक रणधीर कुमार ने उपस्थित निजी चिकित्सकों से कहा कि
जीत 2.0 कार्यक्रम राज्य के 5 जिलों यथा: सारण, मोतिहारी, मुजफ्फरपुर, दरभंगा और पूर्णिया में चलाया जा रहा है। सारण जिले के 5532 टीबी मरीजों के साथ घरों में रहने वाले 18719 लोगों का स्क्रीनिंग, 14588 लोगों का एक्सरे और 9613 लोगों को टीपीटी से जोड़ा गया है। इस कार्यक्रम के तहत वर्ल्ड विजन इंडिया के अधिकारी और कर्मियों द्वारा कॉन्ट्रेक्ट ट्रेसिंग के दौरान टीबी मरीज के संपर्क में रहने वाले 05 आयु वर्ग के छोटे-छोटे बच्चे को चिकित्सकों के द्वारा लिखी गई दवा आइसोनियाजाइद और 05 आयु वर्ग के ऊपर के लोगों को एक्सरे के बाद आइसोनियाजाइद दवा छः महीने तक लगातार खिलाया जा रहा है। ताकि टीबी संक्रमण का फैलाव जड़ से खत्म किया जाए। क्योंकि टीबी मरीज के संपर्क में रहने वाले 5 वर्ष से ऊपर के बच्चों का एक्सरे कराना बहुत ही ज्यादा जरूरी होता है।

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