नवादा महादलित बस्ती अग्निकांड: चर्चा में 29 साल पुराना केस, थानेदार नपा, जानिए पूरा विवाद

नवादा महादलित बस्ती अग्निकांड: चर्चा में 29 साल पुराना केस, थानेदार नपा, जानिए पूरा विवाद

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया, स्‍टेट डेस्‍क:

नवादा में महादलित बस्ती अग्निकांड की घटना के बाद 29 साल पुराना केस एक बार फिर चर्चा में आ गया है। सरकारी जमीन को लेकर चल रहे केस के दौरान ही दोनों पक्षों ने अलग-अलग जातियों के लोगों को जमीन भी बेच दी है।इस मामले में16 एकड़ की बेशकीमती जमीन पाने के लिए बिहार के नवादा में महादलित बस्ती पर हमले के दो दिन बाद, नवादा के मुंसिफ कोर्ट में 29 साल पुराना केस बीरेंद्र सिंह बनाम कमरूद्दीन मियां फिर से चर्चा में है। क्योंकि ये मामला तूल पकड़ता जा रहा है और उलझा हुआ। कोर्ट ने इसी साल 29 मई को मामले का उचित निर्णय सुनिश्चित करने के लिए और सवालों की जांच के लिए वाद संपत्ति में एक वकील आयुक्त की नियुक्ति का आदेश दिया था।

दिलचस्प बात ये है कि टाइटल सूट में साक्ष्य चरण वर्ष 2009 में बंद कर दिया गया था, और 15 साल बाद दूसरा आयोग नियुक्त किया गया था। 15 सालों की अवधि में वाद संपत्ति पर झोपड़ियों के निपटारे का तथ्य न तो पहले रिपोर्ट किया गया था, और न ही इससे इंकार किया गया। इसका उल्लेख न तो वाद-विवाद में किया गया और न ही साक्ष्य स्तर पर किया गया। अदालत ने अपने आदेश में कहा, झोपड़ियों के अस्तित्व का सवाल कभी भी किसी भी स्तर पर नहीं उठाया गया, जांच नहीं की गई, रिकॉर्ड नहीं किया गया या रिपोर्ट नहीं किया गया।

जमीन पर बसे दलितों के दावे विरोधाभासी हैं, जिन्होंने कहा था कि वो पीढ़ियों से वहां रह रहे हैं और जमीन सरकार की है। हालांकि, मामला शुरू होने के लंबे समय बाद दायर की गई दूसरी याचिका और पहले आयोग से आम तौर पर अलग सवाल उठाने, झोपड़ियों के अस्तित्व और मुकदमे की संपत्ति की भौतिक विशेषता में बदलाव की ओर इशारा करते हुए, अदालत ने अतिक्रमण से जुड़े दूसरे आयोग की नियुक्ति की।अदालत में पेश की गई जमीन का आखिरी दस्तावेज 1979 का है। जब जमीन की रसीद रमजान मियां के नाम पर जारी की गई थी, जबकि 1920 के भूमि सर्वेक्षण (कैडस्ट्राल सर्वे) के अनुसार यह सरकारी जमीन थी।

1980 में अपने नाम से रसीद कटवाने के बाद जमीन से जुड़ा मामला अदालत में पहुंच गया। नवादा के एसपी अभिनव धीमान ने कहा कि इलाके में सुरक्षा बढ़ा दी गई है और इसमें शामिल सभी लोगों को पकड़ने के लिए जांच जारी है। जमीन विवाद पुराना होने के कारण हमला किया गया।वहीं लापरवाही बरतने के आरोप में मुफस्सिल थाने के एसएचओ को पुलिस लाइनहाजिर कर दिया गया है। पहले का टाइटल सूट मिश्री सिंह बनाम और कामरान मियां के बीच था, लेकिन 1995 से यह उनके बेटों बीरेंद्र सिंह बनाम कमरुद्दीन मियां के बीच है। नवादा एसपी ने कहा, एक पक्ष ने मांझी समुदाय के लोगों को जमीन बेची, जबकि दूसरे पक्ष ने चौहान, पासवान और यादव समुदाय के सदस्यों को जमीन बेची, जबकि मुकदमा जारी था। डीएम आशुतोष कुमार वर्मा ने कहा कि यथास्थिति बनाए रखी जाएगी। आपको बता दें साल 2023 में भी इस जमीन को लेकर दोनों पक्षों के बीच विवाद हुआ था।

यह भी पढ़े

बिना UPSC पास किए 18 साल में बन गया IPS, जश्न में कर हा था समोसा पार्टी इतने में आ गयी पुलिस

पटना में अधेड़ की गोली मारकर हत्या:जमीन विवाद में घटना को दिया गया अंजाम, घात लगाए अपराधियों ने सिर में मारी गोली

निगरानी टीम ने दारोगा और चौकीदार को रंगे हाथ दबोचा, पिता का नाम हटाने के लिए मांगी थी रिश्वत

बाइक सटाकर अपराधियों ने प्रिंटिंग प्रेस मालिक से लूट 1 लाख रुपए और दो मोबाइल

प्राचार्य द्वारा वेतन निर्धारण में त्रुटि पर शिक्षा निदेशक का कार्रवाई आदेश

भारत में एक साथ चुनाव कराने से क्या लाभ हैं?

प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण में लाभुक से अवैध वसूली करने  पर मुखिया पति की पिटाई

 सिधवलिया की खबरें : शराब के नशे में एक व्यक्ति गिरफ्तार

Leave a Reply

error: Content is protected !!