नेता जी सुभाष चंद्र बोस जुड़ा है रोचक किस्सा.
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
गुरुनगरी अमृतसर के इस्लामाबाद का इतिहास सीना गर्व से चौड़ा कर देना वाला है। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान यहां का इस्लामाबाद मोहल्ला क्रांतिकारियों के छिपने का ठिकाना था। यहां नेताजी सुभाष चंद्र बोस व शहीद भगत सिंह भी आए थे। अंग्रेजों की नजर से बचने के लिए उन्होंने एक रात यहां बिताई भी थी। इतना ही नहीं इस मोहल्ले से ही क्रांतिकारी गतिविधियां भी संचालित होती थीं।
हर गली में हैं 12 मकान
आजादी से पहले अमृतसर शहर 12 गेटों के अंदर बसता था। इन 12 गेटों के बाहर भी एक छोटा सा गांव था। इसका नाम था इस्लामाबाद 12 मकान। यहां पर कुल पांच गलियां हैं और हर गली में 12-12 मकान हैं। साल 1941 में अंग्रेज सरकार ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस को कोलकाता में नजरबंद कर दिया था। नेताजी अंग्रेज सरकार को चकमा देकर वहां से निकल गए और सीधा अमृतसर पहुंचे थे,
यहां पर वह इस्लामाबाद की लाजपत गली में छुप गए थे। यहां पर एक रात व्यतीत करने के बाद वह अमृतसर से लाहौर व अफगानिस्तान होते हुए जापान चले गए थे। इसके बाद उन्होंने आजाद हिंद फौज की स्थापना की थी। इन सब बातों का जिक्र कामरेड सोहन सिंह जोश की किताबों में भी मिलता है।
यहां के निवासी व इतिहास की जानकारी रखने वाले देव दर्द शर्मा व राजेश शर्मा ने बताया कि लाला लाजपत राय की मौत के बाद क्रांतिकारियों ने उनकी मौत का बदला लेने का प्रण किया था। इसी दौरान 1928 में भगत सिंह, राजगुरु व सुखदेव ने लाहौर में अंग्रेज अधिकारी सांडर्स की गोलियां मारकर हत्या कर दी थी। इससे बौखलाई ब्रिटिश सरकार सभी क्रांतिकारियों को पकड़ने में जुट गई थी। इसी दौरान भगत सिंह भेष बदलकर साथी सुखदेव व दुर्गा भाभी के साथ लाहौर से सीधे यहां पर आए थे। तब वे लोग यहां पर एक रात ठहरे भी थे और अपनी रणनीति को अंजाम दिया था।
स्वतंत्रता सेनानियों के नाम पर रखे गए हैं गलियों के नाम
इस्लामाबाद इलाके की 12-12 मकानों वाली कुल पांच गलियां हैं। इनके नाम नेताजी सुभाष चंद्र बोस, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू, अमर शहीद लाला लाजपत राय जी व क्रांतिकारी तिलक राज के नाम पर हैं। कामरेड सोहन सिंह जोश भी यहां पर अपनी क्रांतिकारी गतिविधियां चलाते थे। यहीं से ही अपनी पत्रिका ‘किरती’ भी निकालते थे। इस पत्रिका में शहीद भगत सिंह व अन्य क्रांतिकारियों के लेख प्रकाशित होते थे। आज भी इन क्रांतिकारियों के लेख लोगों के जेहन में देश भक्ति का जज्बा पैदा करते हैं।
- यह भी पढ़े……
- सीवान के लाल डा० (प्रोफेसर)चन्द्रमा सिंह को मिला “एमिनेंट साइंटिस्ट अवार्ड”
- भ्रष्टाचार से संघर्ष करती सरकारी योजनाओं की कथा.
- नेताजी के सपनों का गणतंत्र.
- कोरोना से निपटने के क्या हैं इंतजाम? सरकार ने अपनाया ये फार्मूला.