देश में सामने आया कोरोना वायरस का नया डेल्टा प्लस वैरिएंट और ये कितना खतरनाक ?

देश में सामने आया कोरोना वायरस का नया डेल्टा प्लस वैरिएंट और ये कितना खतरनाक ?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

देश में कोरोना की दूसरी लहर की रफ्तार मंद पड़ चुकी है। देश में हर रोज कोरोना के मामलों में कमी आ रही है। इस बीच, केंद्र सरकार की ओर से कोरोना के एक नए रूप(वैरिएंट) को लेकर जानकारी साझा की गई है। केंद्र ने औपचारिक रूप से स्वीकार किया है कि देश में कोरोना का एक नया वैरिएंट सामने आया है जो पिछले डेल्टा वैरिएंट के काफी करीब है। इसे AY.1 या डेल्टा प्लस वैरिएंट नाम दिया गया है। सरकार ने बताया है कि AY.1 कोरोना वायरस का एक वेरिएंट मौजूद है जो कि कोरोना ायरस के डेल्टा वैरिएंट के क़रीब है।

क्या है डेल्टा प्लस वैरिएंट ?

देश में कोरोना वायरस का एक नया वैरिएंट ‘डेल्टा प्लस’ (Delta Plus) विकसित हो गया है। यह डेल्टा वैरिएंट का विकसित रूप है। डेल्टा वैरिएंट पहली बार भारत में ही पाया गया था। देश में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान वायरस की चपेट में आए ज़्यादातर लोग इसी वैरिएंट के शिकार हुए थे। अब वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि डेल्टा वैरिएंट ही विकसित होकर डेल्टा प्लस बन गया है। लेकिन केंद्र सरकार ने कहा है कि अभी तक ये डेल्टा प्लस चिंताजनक वैरिएंट(Variant of Concern) नहीं बना है। हालांकि, केंद्र सरकार की इस पर लगातार नजर बनी हुई है।

हमें इसके बारे में अभी बहुत कुछ पता नहीं है। हम इसे लेकर अध्ययन कर रहे हैं। भारत में इसके संक्रमण को लेकर भी अध्ययन किया जा रहा है। सरकार की ओर से कहा गया है कि ‘म्यूटेशन एक जैविक तथ्य है। हमें बचाव के तरीक़े अपनाने हैं।हमें इसे फैलने का अवसर मिलने से रोकना होगा।

कैसे बना डेल्टा प्लस वैरिएंट ?

डेल्टा प्लस वैरिएंट, डेल्टा वैरिएंट यानी कि बी.1.617.2 स्ट्रेन के म्यूटेशन से बना है। म्यूटेशन का नाम K417N है और कोरोना वायरस के स्पाइक प्रोटीन में यानी पुराने वाले वैरिएंट में थोड़े बदलाव हो गए हैं। इस कारण नया वैरिएंट सामने आ गया। स्पाइक प्रोटीन, वायरस का वह हिस्सा होता है जिसकी मदद से वायरस हमारे शरीर में प्रवेश करता है और हमें संक्रमित करता है। K417N म्यूटेशन के कारण ही कोरोना वायरस हमारे प्रतिरक्षा तंत्र(इम्यून सिस्टम) को चकमा देने मे कामयाब होता है। नीति आयोग ने 14 जून को कहा था कि ‘डेल्टा प्लस’ वैरिएंट इस साल मार्च से ही हमारे बीच मौजूद है। हालांकि, ऐसा कहते हुए नीति आयोग ने बताया कि ये अभी चिंता का कारण नहीं है।

अमरीका में डेल्टा प्लस के 6% मामले

इंग्लैंड की स्वास्थ्य एजेन्सी पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड के मुताबिक़ K417N म्यूटेशन के साथ अब तक 63 प्रकार के अलग-अलग वैरिएंट की पहचान की गई है, जिनमें से 6 भारतीय वैरिएंट हैं। पूरे यूनाइटेड किंडम (UK) में ‘डेल्टा प्लस’ वैरिएंट के कुल 36 मामले हैं और वहीं अगर अमरीका की बात करें तो वहां 6 प्रतिशत मामले डेल्टा प्लस वैरिएंट के हैं।

भारत में दूसरी लहर के दौरान कहर ढा चुका कोरोना का डेल्टा वैरिएंट अब पूरी दुनिया में फैल गया है। टीकों की खुराक लेने के बाद भी यह लोगों को शिकार बना रहा है।

डेल्टा ने भारत में दूसरी कोरोना लहर के दौरान जमकर उत्पात मचाया था। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसका ‘डेल्टा’ नामकरण किया है। इसे कोविड-19 का चिंताजनक स्वरूप करार दिया है। एम्स के ताजा अध्ययन में दावा किया गया है कि डेल्टा वैरिएंट कोविड-19 वैक्सीन की एक या दोनों खुराक ले चुके लोगों में भी पाया गया है।

सरकार ने बुधवार को जारी अपने दिशा-निर्देशों में कहा कि कोरोना के वयस्क रोगियों के उपचार में काम आने वाली आइवरमेक्टिन, हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन, फैविपिराविर जैसी दवाएं और डाक्सीसाइक्लिन व एजिथ्रोमाइसिन जैसी एंटीबायोटिक औषधियां बच्चों के उपचार के लिए अनुशंसित नहीं हैं क्योंकि कोरोना पीड़ित बच्चों पर इनका परीक्षण नहीं किया गया है। महामारी के मामलों में एक अंतराल के बाद फिर वृद्धि होने की आशंकाओं के बीच सरकार ने बच्चों के लिए कोरोना देखरेख केंद्रों के संचालन के वास्ते दिशा-निर्देश तैयार किए हैं।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी दिशा-निर्देश जारी

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि कोरोना वायरस से गंभीर रूप से संक्रमित बच्चों को चिकित्सा देखभाल उपलब्ध कराने के लिए कोरोना देखरेख प्रतिष्ठानों की मौजूदा क्षमता में वृद्धि की जानी चाहिए। बच्चों के लिए कोरोना रोधी टीके को स्वीकृति मिलने की स्थिति में टीकाकरण में ऐसे बच्चों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए जो अन्य रोगों से पीड़ित हैं और जिन्हें कोरोना का गंभीर जोखिम है।

अगले तीन-चार महीनों में संभावित तीसरी लहर

लाकडाउन हटने या स्कूलों के फिर से खुलने के बाद या अगले तीन-चार महीनों में संभावित तीसरी लहर के दौरान संक्रमण के मामलों में किसी भी वृद्धि से निपटने के लिए निजी और सार्वजनिक क्षेत्र को संयुक्त रूप से प्रयास करने की आवश्यकता है।

बीमार बच्चों को देखभाल के लिए अतिरिक्त संसाधन की जरूरत

दिशा-निर्देशों में यह भी कहा गया है कि बच्चों की देखरेख के लिए अतिरिक्त बिस्तरों का अनुमान महामारी की दूसरी लहर के दौरान विभिन्न जिलों में संक्रमण के दैनिक मामलों के चरम के आधार पर लगाया जा सकता है। इससे बच्चों में संक्रमण के संभावित मामलों के साथ ही यह अनुमान भी लगाया जा सकता है कि उनमें से कितनों को भर्ती करने की आवश्यकता पड़ेगी। दिशा-निर्देशों में कहा गया है, ‘कोरोना से गंभीर रूप से बीमार बच्चों को देखभाल (चिकित्सा) उपलब्ध कराने के लिए मौजूदा कोरोना देखरेख केंद्रों की क्षमता बढ़ाना वांछनीय है। इस क्रम में बच्चों के उपचार से जुड़े अतिरिक्त विशिष्ट उपकरणों और संबंधित बुनियादी ढांचे की जरूरत होगी।’

पर्याप्त संख्या में  हों प्रशिक्षित डाक्टर और नर्से

पर्याप्त संख्या में प्रशिक्षित डाक्टर और नर्से भी उपलब्ध कराई जानी चाहिए। बच्चों की उचित देखभाल के लिए स्वास्थ्य अधिकारियों को क्षमता बढ़ाने के कार्यक्रम शुरू करने चाहिए। बच्चों के अस्पतालों को कोरोना पीडि़त बच्चों के लिए अलग बिस्तरों की व्यवस्था करनी चाहिए। कोरोना अस्पतालों में बच्चों की देखभाल के लिए अलग क्षेत्र बनाया जाना चाहिए जहां बच्चों के साथ उनके माता-पिता को जाने की अनुमति हो।

अस्पतालों में एचडीयू और आइसीयू सेवाएं बढ़ाने की भी जरूरत

मल्टीसिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम से पीडि़त ऐसे बच्चे जो कोरोना से गंभीर रूप से संक्रमित न हों, की बच्चों के वर्तमान अस्पतालों में ही देखभाल की जानी चाहिए। इन अस्पतालों में एचडीयू और आइसीयू सेवाएं बढ़ाने की भी जरूरत है।

सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण की जरूरत

सामुदायिक व्यवस्था में घर पर बच्चों के प्रबंधन और भर्ती कराने की जरूरत पर निगरानी रखने के लिए आशा और एमपीडब्ल्यू को शामिल किया जाना चाहिए। इसमें सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और समुदाय समेत सभी पक्षकारों को प्रशिक्षण प्रदान करने पर भी बल दिया गया है।

टेलीमेडिसिन की व्यवस्था भी बनाई जा सकती है

कोरोना देखभाल और शोध के लिए कुछ केंद्रों को रीजनल सेंटर्स आफ एक्सीलेंस बनाया जा सकता है। ये केंद्र चिकित्सा प्रबंधन और प्रशिक्षण में नेतृत्व प्रदान कर सकते हैं। बड़ी संख्या में अस्पतालों तक पहुंच के लिए टेलीमेडिसिन की व्यवस्था भी बनाई जा सकती है। बच्चों में कोरोना संक्रमण के आंकड़े इकट्ठे करने के लिए इसमें राष्ट्रीय पंजीकरण की सिफारिश की गई है।

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