भारत का नया संसद भवन व इसकी आवश्यकता!
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
भारत के प्रधानमंत्री ने देश के नए संसद भवन का उद्घाटन किया जो पुनर्निर्मित सेंट्रल विस्टा परियोजना का हिस्सा है।
- आर्किटेक्ट बिमल पटेल द्वारा डिज़ाइन किये गए नए संसद भवन का निर्माण वर्ष 2019 में शुरू हुआ।
नए संसद भवन की आवश्यकता:
- सांसदों के बैठने के लिये स्थान कम होना:
- पुराने भवनों को पूर्ण लोकतंत्र के लिये द्विसदनीय विधायिका को समायोजित करने के लिये डिज़ाइन नहीं किया गया था। वर्ष 2026 के बाद सीटों की कुल संख्या पर रोक हटने पर लोकसभा सीटों की संख्या मौजूदा 545 से काफी बढ़ने की संभावना है।
- संकटग्रस्त अवसंरचना:
- जल आपूर्ति और सीवर लाइन, एयर-कंडीशनिंग, अग्निशमन उपकरण, सीसीटीवी कैमरे आदि जैसी सेवाओं को जोड़ने से कई स्थानों पर जल का रिसाव हुआ है जिसने भवनों की सौंदर्यता को प्रभावित किया है।
- आधिकारिक भवन में अग्नि सुरक्षा एक प्रमुख चिंता का विषय है।
- अप्रचलित संचार संरचनाएँ:
- पुरानी संसद में संचार अवसंरचना और प्रौद्योगिकी पुरातन थी तथा सभी हॉलों की ध्वनिकी में सुधार की आवश्यकता थी।
- सुरक्षा चिंताएँ:
- पुराना संसद भवन तब बना था जब दिल्ली भूकंपीय ज़ोन-II में था; वर्तमान में यह भूकंपीय ज़ोन-V में है जो संरचनात्मक सुरक्षा चिंताओं को बढाता है।
- कर्मचारियों के लिये अपर्याप्त कार्यक्षेत्र:
- इन वर्षों में आंतरिक सेवा गलियारों को कार्यालयों में परिवर्तित कर दिया गया जिसके परिणामस्वरूप खराब-गुणवत्ता तथा कई मामलों में अधिक श्रमिकों को समायोजित करने के लिये उप-विभाजन के कारण ये कार्यस्थल कर्मचारियों के कार्य करने हेतु छोटे पड़ने लगे।
नई संसद से संबंधित प्रमुख बिंदु:
- त्रिकोणीय आकार:
- नया संसद भवन आकार में त्रिकोणीय है, यह ऐसा इसलिये है क्योंकि जिस भूखंड पर बना है वह त्रिकोणीय है।
- नए संसद भवन का स्वरूप विभिन्न धर्मों में पाई जाने वाली पवित्र ज्यामिति से प्रभावित है। इसका डिज़ाइन और सामग्री पुरानी संसद की पूरक है, साथ ही दोनों भवनों का एक परिसर है।
- पर्यावरण के अनुकूल:
- हरित निर्माण तकनीकों का उपयोग के कारण निर्मित नए भवन में पुराने भवन की तुलना में विद्युत की खपत में 30% की कमी आने की उम्मीद है।
- इसमें वर्षा जल संचयन और जल पुनर्चक्रण प्रणालियों को शामिल किया गया है। यह अधिक स्थान की उपलब्धता हेतु डिज़ाइन किया गया है, साथ ही यह अगले 150 वर्षों तक कार्य करने में सक्षम है।
- भूकंप-सुरक्षित:
- चूँकि दिल्ली भूकंपीय क्षेत्र-V में है, इसलिये इमारत को भूकंप-रोधी बनाया गया है।
- लोकसभा:
- नए लोकसभा कक्ष में एक मोर विषयवस्तु को अपनाया गया है, जिसमें दीवारों और छत पर राष्ट्रीय पक्षी के पंखों के समान नक्काशीदार डिज़ाइन तैयार किये गए हैं, जो टील कार्पेट से सुसज्जित हैं।
- लोकसभा कक्ष में वर्तमान के 543 के बजाय 888 सीटें होंगी, जिसकी क्षमता बढ़कर 1,272 हो जाएगी। सेंट्रल हॉल के अभाव में लोकसभा का उपयोग दोनों सदनों की संयुक्त बैठक हेतु किया जाएगा।
- नए लोकसभा कक्ष में एक मोर विषयवस्तु को अपनाया गया है, जिसमें दीवारों और छत पर राष्ट्रीय पक्षी के पंखों के समान नक्काशीदार डिज़ाइन तैयार किये गए हैं, जो टील कार्पेट से सुसज्जित हैं।
- राज्यसभा:
- राज्यसभा कक्ष को लाल कालीनों के साथ इसकी थीम के रूप में कमल से सज़ाया गया है।
- लोकसभा और राज्यसभा दोनों में एक बेंच पर दो सांसद बैठ सकेंगे और प्रत्येक सांसद की डेस्क पर टच स्क्रीन होगी।
- राज्यसभा कक्ष अब 250 की मौजूदा क्षमता के विपरीत 384 संसद सदस्यों (सांसदों) को समायोजित कर सकता है। परिसीमन के बाद सांसदों की संख्या में भविष्य में होने वाली किसी भी वृद्धि को ध्यान में रखकर दोनों कक्षों की क्षमता को पहले से अधिक किया गया है।
- संविधान सभागार:
- नए भवन में एक संविधान सभागार बनाया गया है, जहाँ भारतीय लोकतंत्र की यात्रा का दस्तावेज़ीकरण किया गया है।
- भारत भर से सामग्री:
- भवन के आंतरिक और बाहरी निर्माण के लिये देश भर से विभिन्न प्रकार की निर्माण सामग्री लाई गई है, जिसमें धौलपुर के सरमथुरा से बलुआ पत्थर और राजस्थान राज्य के जैसलमेर ज़िले के लाखा गाँव से ग्रेनाइट शामिल है।
- इसी प्रकार साज-सज्जा में प्रयुक्त लकड़ी नागपुर से लाई गई और मुंबई के शिल्पकारों ने इस पर वास्तुशिल्प डिज़ाइन का कार्य किया है।
- उत्तर प्रदेश के भदोही के बुनकरों ने भवन के लिये हाथ से बुने पारंपरिक कालीन बनाए हैं।
- गांधी प्रतिमा:
- मूल रूप से वर्ष 1993 में संसद के मुख्य द्वार पर स्थापित की गई महात्मा गांधी की 16 फुट ऊँची काँस्य प्रतिमा को पुराने और नए भवनों के बीच स्थानांतरित कर दिया गया है।
- यह अब लोकसभा अध्यक्ष द्वारा उपयोग किये जाने वाले प्रवेश द्वार के समीप पुराने भवन के सामने है। यह प्रतिमा छात्रों और संसद सदस्यों के विरोध, सभाओं और फोटो-ऑप्स के लिये एक महत्त्वपूर्ण स्थल रही है।
- इसे पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित प्रसिद्ध मूर्तिकार राम वी सुतार ने बनाया था।
- राष्ट्रीय चिह्न:
- यह भवन राष्ट्रीय प्रतीकों से भरा हुआ है, जिसमें राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तंभ के सिंह को भवन के शीर्ष पर स्थापित किया है जिसका वज़न 9,500 किलोग्राम है और ऊँचाई 6.5 मीटर है।
- इस विशाल काँस्य प्रतिमा को सहारा देने के लिये सेंट्रल फोयर के शीर्ष पर 6,500 किलोग्राम की संरचना का निर्माण किया गया है। भवन के प्रवेश द्वार पर अशोक चक्र और ‘सत्यमेव जयते’ शब्द पत्थरों पर अंकित किये गए हैं।
- गोल्डन राजदंड:
- अंग्रेज़ो से सत्ता के हस्तांतरण को चिह्नित करने के लिये आज़ादी की पूर्व संध्या पर जवाहरलाल नेहरू को दिया गया गोल्डन राजदंड (सेन्गोल) स्पीकर के पोडियम के पास नए लोकसभा कक्ष में रखा जाएगा। यह राजदंड उन्हें तमिलनाडु के पुजारियों द्वारा दिया गया था।
- डिजिटलीकरण की ओर:
- नई संसद के पर्यावरण के अनुकूल दृष्टिकोण के अनुसार सभी रिकॉर्ड- सदन की कार्यवाही, प्रश्न और अन्य व्यवसाय को डिजिटाइज़ किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त टैबलेट और आईपैड एक आदर्श प्रदर्शित करेंगे।
- भवन में गैलरी:
- ‘शिल्प’ नामक एक गैलरी सभी भारतीय राज्यों की मिट्टी से बने मिट्टी के बर्तनों के साथ-साथ पूरे भारत के वस्त्र प्रतिष्ठानों को प्रदर्शित करेगी। गैलरी ‘स्थापत्य’ भारत के प्रतिष्ठित स्मारकों को प्रदर्शित करेगी जिनमें विभिन्न राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के स्मारक शामिल हैं। स्मारकों के अतिरिक्त यह योग आसनों को भी समाहित करती है।
- वास्तु शास्त्र:
- भारतीय संस्कृति और वास्तु शास्त्र में उनके महत्त्व के आधार पर भवन के सभी प्रवेश द्वारों पर संरक्षक मूर्तियों के रूप में शुभ पशुओं को प्रदर्शित किया जाएगा। इनमें हाथी, घोड़ा, चील, हंस और पौराणिक जीव शार्दुला और मकर शामिल हैं।
- फौकॉल्ट पेंडुलम:
- नए संसद भवन के अंदर स्थापित एक फौकॉल्ट पेंडुलम है जिसे संसद के अक्षांश पर इसे एक चक्कर पूरा करने में 49 घंटे 59 मिनट और 18 सेकंड का समय लगता है।
- फौकॉल्ट पेंडुलम, जिसका नाम फ्राँसीसी भौतिक विज्ञानी लियोन फौकॉल्ट के नाम पर रखा गया है, इसका उपयोग पृथ्वी के घूर्णन को प्रदर्शित करने के लिये किया जाता है।
- पेंडुलम में एक भारी बॉब होता है जो छत में एक निश्चित बिंदु से एक लंबे, मज़बूत तार के अंत में निलंबित होता है। जब लोलक झूलता है तब जिस काल्पनिक सतह पर तार और गोलक स्वाइप करते हैं, उसे दोलन का तल कहा जाता है।
- नए संसद भवन के अंदर स्थापित एक फौकॉल्ट पेंडुलम है जिसे संसद के अक्षांश पर इसे एक चक्कर पूरा करने में 49 घंटे 59 मिनट और 18 सेकंड का समय लगता है।
सेंट्रल विस्टा:
- वर्तमान में नई दिल्ली के सेंट्रल विस्टा में राष्ट्रपति भवन, संसद भवन, उत्तर और दक्षिण ब्लॉक, इंडिया गेट, राष्ट्रीय अभिलेखागार शामिल हैं।
- दिसंबर 1911 में किंग जॉर्ज पंचम ने भारत की राजधानी को कलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरित करने की घोषणा की।
- दिल्ली दरबार का आयोजन किंग जॉर्ज पंचम के राज्याभिषेक के अवसर पर किया गया था।
- इन भवनों के निर्माण का उत्तरदायित्व एडविन लुटियंस (Edwin Lutyens) व हर्बर्ट बेकर (Herbert Baker) को दिया गया, जो यूरोपीय शास्त्रीयतावाद के मज़बूती से पालन के लिये जाने जाते थे और दक्षिण अफ्रीका के एक प्रमुख वास्तुकार हर्बर्ट बेकर थे।
- हर्बर्ट बेकर दक्षिण अफ्रीका के प्रिटोरिया में यूनियन बिल्डिंग के वास्तुकार भी हैं।
- संसद भवन की इमारत लुटियंस और बेकर दोनों ने डिज़ाइन किया था।
- राष्ट्रपति भवन को एडविन लुटियंस ने डिज़ाइन किया था।
- सचिवालय, जिसमें उत्तर और दक्षिण दोनों ब्लॉक शामिल हैं, हर्बर्ट बेकर द्वारा डिज़ाइन किया गया था।
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