अगले वर्ष कांग्रेस पंजाब सहित पांचों राज्यों में हारेगी-नटवर सिंह.
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह ने कांग्रेस में जारी सियासी घमासान को लेकर गांधी परिवार को जिम्मेदार ठहराया है। दैनिक भास्कर से बातचीत में उन्होंने कहा कि एक वक्त था जब कश्मीर से कन्याकुमारी तक सत्ता कांग्रेस के हाथ में थी, लेकिन आज हाल यह है कि सिर्फ तीन राज्यों में सरकार है। यही हाल रहा तो आने वाले दिनों में यहां से भी सत्ता छिन सकती है। उन्होंने कहा कि अभी हाईकमान सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के हाथ में है। ये लोग मिलकर ही सभी फैसले लेते हैं। प्रियंका को पंजाब में दखल नहीं देना चाहिए था।.
सवाल: पंजाब में मचे सियासी घमासान के बीच कांग्रेस का भविष्य कैसा दिखता है?
जवाब: मुझे कांग्रेस का भविष्य अच्छा नहीं दिखता है। पहले मुझे लगता था कि पंजाब में कांग्रेस की सरकार बन सकती है, लेकिन अब कांग्रेस वहां चुनाव नहीं जीत सकती है। लोकतंत्र में विपक्ष का मजबूत होना जरूरी होता है और उस भूमिका में सिर्फ कांग्रेस पार्टी ही हो सकती है, लेकिन जब ऐसे हालात रहेंगे तो पार्टी मजबूत नहीं हो सकती है। इसलिए भाजपा वाले आनंद ले रहे हैं।
सवाल: इंदिरा गांधी-राजीव गांधी के वक्त की कांग्रेस और आज की कांग्रेस में क्या अंतर है?
जवाब: तब की कांग्रेस और आज की कांग्रेस में जमीन आसमान का फर्क है। इंदिरा गांधी ने 16 साल राज किया। वे जहां भी जाती थीं, उनका सम्मान होता था। उन्होंने बांग्लादेश को आजादी दिलाई। एक वक्त था जब एसके पाटिल और मोरारजी देसाई उन्हें दबाना चाहते थे, लेकिन इंदिरा के आगे किसी की नहीं चली। इसी तरह 1984 के चुनाव में राजीव गांधी को 430 सीटें मिली थीं।
सवाल: राहुल गांधी अध्यक्ष नहीं हैं, लेकिन फैसले वही लेते हैं, क्या यह बात सही है?
जवाब: राहुल गांधी बिना पद के पार्टी में दखल देते हैं। यह सही नहीं है। इसी वजह से पार्टी के अंदर गड़बड़ी होती है। प्रियंका गांधी ने नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब का अध्यक्ष बना दिया। वे तो यूपी की प्रभारी हैं, उन्हें पंजाब में दखल नहीं देना चाहिए था। उन्हें तो सिद्धू का इतिहास भी मालूम नहीं है। साल 2002 में राहुल गांधी राजनीति में आए। पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने राहुल गांधी को दो बार अपनी कैबिनेट में शामिल होने के लिए कहा, लेकिन वे तैयार नहीं हुए।
कैप्टन अमरिंदर की बड़ी बहन मेरी पत्नी हैं। अमरिंदर ने हाईकमान से कहा था कि आप सिद्धू को अध्यक्ष न बनाएं। ये मेरी कैबिनेट में मंत्री रहा है, इसने एक फाइल तक साइन नहीं की। कांग्रेस ने उनकी नहीं सुनी। ये सब दिल्ली से होता है जिन्हें हम हाईकमान कहते हैं। ये हाईकमान ही कांग्रेस का सत्यानाश कर रही है। अगर हाईकमान को सिद्धू की काबिलियत नहीं पता तो किस बात का हाईकमान है। आज के दिन हाईकमान में ना तो गुलाम नबी आजाद हैं और न ही कपिल सिब्बल। हाईकमान में केवल 3 ही लोग हैं।
सवाल: भाजपा वाले कहते हैं कि कांग्रेस मुक्त भारत करेंगे, आपको क्या लगता है?
जवाब: अगर ऐसा ही चलता रहा तो कांग्रेस लुप्त हो जाएगी। ये लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है। अभी भी चुनाव में कांग्रेस को 20 प्रतिशत वोट मिलता है। सारे हिन्दुस्तान में कांग्रेस के लोग वोटर के रूप में हैं। सत्ता में तो कांग्रेस नहीं है, लेकिन वो देश में हर जगह मौजूद है।
सवाल: आगे जिन 5 राज्यों में चुनाव हैं, उनके बारे में आप क्या कहेंगे?
जवाब: मुझे नहीं लगता कि किसी भी राज्य में कांग्रेस सफल हो पाएगी। अगर पार्टी कामयाब होती है तो अच्छी बात है, लेकिन उम्मीद नहीं है। क्योंकि हालात कांग्रेस के बेहद विपरीत हैं, जिसके कारण पक्ष में नतीजे नहीं आएंगे।
सवाल: मौजूदा समय में सोनिया गांधी की क्या भूमिका है?
जवाब: लोग कहते हैं कि उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं है। हम चाहते हैं वे स्वस्थ रहें। सोनिया गांधी अभी पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष हैं। इससे पहले भी 19 साल तक वे अध्यक्ष रही हैं। किसी भी लोकतांत्रिक पार्टी में ऐसा नहीं होता है। एक ही व्यक्ति इतने लंबे वक्त तक अध्यक्ष नहीं रह सकता है। यह पार्टी के लिए अच्छा नहीं है।
सवाल: बिगड़े हालात के लिए कांग्रेस पार्टी का कौन सा नेता जिम्मेदार है?
जवाब: इन सबके लिए जिम्मेदार हाईकमान है। इसमें सिर्फ तीन लोग ही हैं। सभी फैसले यही लेते हैं। पंजाब में अमरिंदर का इस्तीफा इन्होंने दिलवाया है। अमरिंदर सिंह पंजाब के बड़े नेता हैं, उनका 52 साल का अनुभव है। उनके जाने से कांग्रेस अब पंजाब में नहीं जीतेगी। अमरिंदर सिंह पंजाब में नया दल बना रहे हैं, लेकिन कांग्रेस देश से खत्म हुई तो लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं होगा।
सवाल: जी-23 के नेताओं का कहना है कि नेतृत्व में बदलाव होना चाहिए, क्या आप इससे सहमत हैं?
जवाब: नेतृत्व को लेकर विरोध तो 2-4 नेता ही करते हैं। कपिल सिब्बल ने विरोध किया तो यूथ कांग्रेस के लोगों ने सिब्बल का विरोध किया। उनके घर के बाहर प्रदर्शन किए। इसका विरोध होना चाहिए था, लेकिन पार्टी ने इसको लेकर कुछ भी नहीं किया। यही सही तरीका नहीं है। इससे जनता में गलत संदेश जाता है।
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