नाइट ब्लड सर्वे- स्वास्थ्यकर्मियों के लिए प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित 

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प्रखंड स्तर पर फाइलेरिया व माइक्रो फाइलेरिया की दर को जानने के लिए एनबीएस जरूरी: सिविल सर्जन

-सामान्य और स्वस्थ दिखने वाले व्यक्ति भी अपने रक्त के नमूने की कराएं जांच: डीवीबीडीसीओ

श्रीनारद मीडिया, छपरा, (बिहार):


छपरा जिले में फाइलेरिया उन्मूलन को लेकर 26 से 30 दिसंबर तक नाइट ब्लड सर्वे अभियान चलाया जाएगा। जिसके तहत ज़िले के सभी प्रखंडों के दो-दो गांवों एवं शहरी क्षेत्र के 03 चयनित स्थलों पर रात 8:30 से 12 बजे तक में व्यक्तियों के रक्त के नमूने लिए जाएंगे। बता दें कि रक्त जांच कर यह पता लगाया जाएगा कि किन-किन व्यक्तियों में फाइलेरिया के परजीवी मौजूद हैं। अभियान को सफल बनाने के लिए सिविल सर्जन डॉ सागर दुलाल सिन्हा की अध्यक्षता में सदर अस्पताल परिसर स्थित जीएनएम कॉलेज के सभागार में एक दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। प्रशिक्षण कार्यशाला में राज्य से प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले मुख्य प्रशिक्षक भूपति भूपेंद्र पटेल और शशि कुमार सहित कई अन्य के द्वारा प्रशिक्षण दिया गया।
इस अवसर पर सिविल सर्जन डॉ सागर दुलाल सिन्हा, डीवीबीडीसीओ डॉ दिलीप कुमार सिंह, डीपीएम अरविंद कुमार, डीवीबीडी सलाहकार सुधीर कुमार सिंह, डब्ल्यूएचओ की क्षेत्रीय समन्वयक डॉ माधुरी शिवराजू, पिरामल स्वास्थ्य के आशीष श्रीवास्तव, सीफार के क्षेत्रीय कार्यक्रम समन्वयक धर्मेंद्र कुमार रस्तोगी, डीसी (वी एल/एलएफ) बिनोद श्रीवास्तव, पीसीआई के सौरिश बनर्जी सहित जिले के विभिन्न प्रखंडों से आए लैब टेक्नीशियन, सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता, वीबीडीएस सहित कई अन्य अधिकारी और कर्मी उपस्थित थे।

 

प्रखंड स्तर पर फाइलेरिया व माइक्रो फाइलेरिया की दर को जानने के लिए एनबीएस जरूरी: सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डॉ सागर दुलाल सिन्हा ने प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान कहा कि जिले में नाइट ब्लड सर्वे की तैयारी शुरू कर दी गयी है। प्रत्येक प्रखंड में एक रैंडम और एक सेंटिनल साइट पर नाइट ब्लड सर्वे कार्य को संपन्न कराया जाएगा। इस दौरान लोगों के ब्लड सैंपल लिए जाएंगे। जिसे जांच के लिए लैब भेजा जाएगा। चूंकि खून में फाइलेरिया के परजीवी रात में ही सक्रिय होते हैं इसलिए नाइट ब्लड सर्वे से सही रिपोर्ट का पता चल पाता है। जिसे शत प्रतिशत पूरा करने के लिए नाइट ब्लड सर्वे को चार सदस्यीय टीम बनाई गई है। नाइट ब्लड सर्वे की गतिविधियों का आयोजन करने का मुख्य उद्देश्य प्रखंड स्तर पर फाइलेरिया व माइक्रो फाइलेरिया की दर को जानना है।

सामान्य और स्वस्थ दिखने वाले व्यक्ति भी अपने रक्त के नमूने की कराएं जांच: डीवीबीडीसीओ
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी (डीवीबीडीसीओ) डॉ दिलीप कुमार सिंह ने प्रशिक्षण कार्यक्रम में बताया कि इस कार्यक्रम के तहत फाइलेरिया के प्रसार को रोकना है। नाइट ब्लड सर्वे के दौरान सामान्य और स्वस्थ दिखने वाले व्यक्ति भी जांच करा सकते हैं। क्योंकि फाइलेरिया या हाथीपांव के लक्षण सामान्य रूप से शुरू में दिखाई नहीं देते हैं। इसके परजीवी के शरीर में प्रवेश करने के बाद इसके लक्षण लगभग पांच से दस सालों बाद दिखाई दे सकता है। इसलिए सामान्य और स्वस्थ दिखने वाले व्यक्ति भी नाइट ब्लड सर्वे कार्यक्रम के तहत अपने रक्त के नमूने की जांच अनिवार्य रूप से कराएं।

 

फाइलेरिया जैसी बीमारी से बचाव और सुरक्षित रहने के लिए नियमित रूप से देखभाल जरूरी: डीवीबीडी सलाहकार
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण सलाहकार सुधीर कुमार सिंह ने कहा कि  प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान उपस्थित स्वास्थ्यकर्मियों को बताया कि फाइलेरिया एक परजीवी रोग है, जो एक कृमि जनित मच्छर से फैलने वाला रोग है। यह मादा क्यूलेक्स मच्छर के काटने से फैलता है। आमतौर पर फाइलेरिया के लक्षण स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देते लेकिन बुखार, बदन में खुजली व सूजन की समस्या दिखाई देती है। इसके अलावा पैरों और हाथों में सूजन, हाथी पांव और हाइड्रोसील की सूजन, फाइलेरिया के लक्षण हैं। फाइलेरिया हो जाने के बाद धीरे- धीरे यह गंभीर रूप लेने लगता है। इसका कोई ठोस इलाज नहीं है। लेकिन इसकी नियमित और उचित देखभाल कर जटिलताओं से बचा जा सकता है।

 

प्रत्येक प्रखंड में एक रैंडम और एक सेंटिनल साइट पर किया जाएगा नाइट ब्लड सर्वे: डब्ल्यूएचओ
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की क्षेत्रीय समन्वयक डॉ माधुरी शिवराजू ने कहा कि विभागीय स्तर पर चिह्नित किए गए जिले के गांवों एवं शहरी क्षेत्रों के 03 स्थलों पर रात्रि के 8:30 से लेकर रात्रि के 12 बजे तक स्थानीय ग्रामीणों के रक्त के नमूने लिये जाएंगे। प्रत्येक प्रखंड में एक रैंडम और एक सेंटिनल साइट पर नाइट ब्लड सर्वे किया जाएगा। वहां नाइट ब्लड सर्वे टीम के सदस्य 20 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के लोगों का सैंपल एकत्र करेंगे। एक साइट पर 300 और दूसरे साइट पर भी 300 यानि कुल 600 लोगों के ब्लड सैंपल लिए जाएंगे। जिसे जांच के लिए लैब भेजा जाएगा।

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