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भारत ने जो किया, कोई और देश नहीं कर पाया-सुप्रीम कोर्ट. - श्रीनारद मीडिया

भारत ने जो किया, कोई और देश नहीं कर पाया-सुप्रीम कोर्ट.

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

कोरोना से मृत लोगों के स्वजन को मुआवजा देने के केंद्र सरकार के कदम की सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सराहना की और कहा कि भारत ने जो किया है, कोई अन्य देश नहीं कर पाया है। शीर्ष अदालत ने कहा, ‘हमें खुशी है कि कई परिवारों के आंसुओं को पोछने के लिए कुछ किया गया है।’ केंद्र सरकार की ओर से पेश सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, ‘हम जीवन जाने से हुए नुकसान की भरपाई तो नहीं कर सकते, लेकिन प्रभावित परिवारों के लिए देश जो कर सकता था, किया जा रहा है।’

सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के कदम को सराहा

जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ ने केंद्र की ओर से दाखिल दो हलफनामों को रिकार्ड पर लेते हुए कहा कि वह चार अक्टूबर को कुछ निर्देशों के साथ आदेश पारित करेगी। इसमें मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने को लेकर किसी विवाद की स्थिति में जिला स्तरीय शिकायत निवारण समिति को मृतक के अस्पताल के रिकार्ड तलब करने के लिए अधिकृत किया जाएगा।

पीठ ने कहा कि हमें इस तथ्य का न्यायिक संज्ञान लेना ही चाहिए कि आबादी और अत्याधिक आबादी की कई समस्याओं के बावजूद कुछ किया गया है। शीर्ष अदालत के अधिवक्ता गौरव बंसल और कोरोना से अपने स्वजन को गंवाने वाले कुछ हस्तक्षेपकर्ताओं द्वारा दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। याचिका में उन्होंने कोरोना से जान गंवाने वाले स्वजन को मुआवजा देने की मांग की थी।

शुरुआत में शीर्ष अदालत ने कुछ चिंताएं व्यक्त की थीं कि अगर अस्पतालों ने मौत का कारण कोरोना से मौत नहीं बताया, भले ही व्यक्ति की मृत्यु कोरोना के बाद की जटिलताओं की वजह से हुई हो। इस पर मेहता ने कहा कि इसके लिए स्वजन राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के दिशानिर्देशों के तहत गठित की जाने वाली जिला स्तरीय समिति से संपर्क कर सकते हैं।

पीठ ने कहा, ‘कभी-कभी अस्पताल सम्राट की तरह व्यवहार करते हैं और परिवार के सदस्यों को मेडिकल रिकार्ड या शव देने से इन्कार कर देते हैं। हमें उन लोगों के बारे में भी सोचना पड़ेगा।’ इस पर मेहता ने कहा कि ऐसे लोग भी समिति से संपर्क कर सकते हैं जो अस्पताल से रिकार्ड तलब कर सकती है। उन्होंने कहा कि अगर अस्पताल मौत का कारण कोरोना नहीं बताता है तो मृतक के स्वजन समिति को आरटी-पीसीआर टेस्ट रिपोर्ट जैसे कुछ साक्ष्य दिखा सकते हैं, जिससे यह प्रदर्शित होता हो कि मरने से पहले मरीज कोरोना पाजिटिव था।

याद दिला दें कि केंद्र सरकार ने बुधवार को शीर्ष अदालत को सूचित किया था कि एनडीएमए ने कोरोना से मृत लोगों के स्वजन को 50 हजार रुपये का मुआवजा देने की सिफारिश की है।

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