हर वीर शहीद नहीं होता, पर हर शहीद वीर होता है,कैसे?
बिहार की राजनीति में उथल-पुथल मची हुई है
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
बिहार की सियासत आज फिर एक नए मोड़ पर खड़ी है। सीएम नीतीश कुमार का अगला कदम क्या होगा इस पर बीजेपी, आरजेडी, कांग्रेस, हम और बिहार में सक्रिय हर राजनीतिक दल की नज़र है। इसके साथ ही बीजेपी-जेडीयू गठबंधन के इस मुकाम तक पहुंच जाने की वजहों को लेकर भी राजनीतिक गलियारों में चचाएं आम हैं।
जानकारों का कहना है कि यूं तो बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान और नतीजों के तुरंत बाद से ही नीतीश कुमार कुछ खफा-खफा नज़र आने लगे थे लेकिन जिन दो वजहों ने बीजेपी-जेडीयू गठबंधन के लिए कैंसर का काम किया उनमें से एक हाल में बीजेपी द्वारा पटना में अपने विभिन्न मोर्चों की संयुक्त राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक कर 200 विधानसभा सीटों के लिए रूपरेखा तैयार करना और दूसरी विधानसभा में स्पीकर विजय कुमार सिन्हा से नीतीश कुुुुमार की तीखी बहस होना है। इसके बाद आरसीपी सिंह प्रकरण ने आग में घी डालने का काम किया।
दरअसल, आरसीपी सिंह की बीजेपी के साथ नजदीकियां और उनका पार्टी से इस्तीफा देने के बाद सीएम नीतीश पर हमलावर होना जेडीयू को काफी नागवार लगा है। इसके पहले पिछले दिनों पटना में बीजेपी ने अपने विभिन्न मोर्चों की संयुक्त कार्यकारिणी की बैठक कर 200 विधानसभा सीटों के लिए रूपरेखा तैयार की। यह भी जेडीयू को अच्छा नहीं लगा। जवाब में जेडीयू ने कहा कि उसकी तैयारी 243 सीटों के लिए है।
फिर पिछले मार्च में विधानसभा के अंदर सीमए नीतीश कुमार और विधानसभा अध्यक्ष का आमने-सामने आ जाना सबने देखा था। तब लखीसराय के एक मामले को लेकर सीएम नीतीश कुमार ने आपा खो दिया था। उन्होंने आसन की ओर इशारा करते हुए यहां तक कह दिया था कि संविधान का खुलेआम उल्लंघन हो रहा है। इस तरह सदन नहीं चलेगा। इस पर विधानसभा अध्यक्ष ने भी कहा था कि आप ही बोलिए, जैसे आप कहेंगे, वैसे ही सदन चलेगा। कहा जाता है कि सीएम नीतीश विधानसभा अध्यक्ष को पसंद नहीं करते। वे उन्हें हटाना चाहते हैं लेकिन बीजेपी इसके लिए तैयार नहीं है।
बिहार विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान जिस तरह जेडीयू उम्मीदवारों के खिलाफ अपने उम्मीदवार खड़े किए और बीजेपी से दोस्ताना सम्बन्धों की दुहाई देते रहे वो नीतीश कुमार को जेडीयू की कम सीटें आने के पीछे सबसे बड़ी वजहों में से एक लगी। बता दें कि पिछले चुनाव में जेडीयू की सिर्फ 43 सीटें आईं। जेडीयू नेताओं ने इसकी समीक्षा में कहा कि ऐसा जनाधार में कमी की वजह से नहीं बल्कि षड़यंत्र की वजह से हुआ।
बीजेपी-जेडीयू गठबंधन में तनातनी की कुछ और वजहें
-विधानसभा में स्पीकर विजय कुमार सिन्हा और नीतीश कुमार के बीच रिश्तों का सहज न होना। बताया जाता है कि नीतीश कुमार विजय कुमार सिन्हा को हटाना चाहते हैं लेकिन बीजेपी इसके लिए तैयार नहीं।
-सीएम नीतीश और जेडीयू क्षेत्रीय दलों को लेकर हाल में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के बयान को लेकर खफा है। महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की शिवसेना के हश्र ने जेडीयू के लिए भी कुछ चिंताएं खड़ी की हैं।
-नीतीश कुमार केंद्रीय मंत्रिमंडल में बीजेपी के सहयोगी दलों को पर्याप्त प्रतिनिधित्व न मिलने के मुद्दे पर भी नाराज बताए जाते हैं। दूसरी ओर आरसीपी सिंह ने केंद्रीय मंत्री बनने के लिए जिस तरह उन्हें दरकिनार कर बीजेपी नेतृत्व से सीधे बात की वो उन्हें बेहद नागवार लगा।
-हाल में बीजेपी ने पटना में अपने विभिन्न मोर्चों की संयुक्त राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक कर 200 विस सीटों के लिए रूपरेखा तैयार की। इसके जवाब में जेडीयू ने कहा कि उसकी तैयारी सभी 243 सीटों के लिए है।