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अब भारतीय लाेगाें के पैर के माप से बने जते-चप्पल पहनने काे मिलेंगे,कैसे? - श्रीनारद मीडिया

अब भारतीय लाेगाें के पैर के माप से बने जते-चप्पल पहनने काे मिलेंगे,कैसे?

अब भारतीय लाेगाें के पैर के माप से बने जते-चप्पल पहनने काे मिलेंगे,कैसे?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

जल्द लाेगाें काे भारतीय लाेगाें के पैर के माप से बने जते-चप्पल पहनने काे मिलेंगे। इसके लिए मुजफ्फरपुर इंस्टीच्युट ऑफ टेक्नॉलॉजी (एमआईटी) काे रीजनल सेंटर बनाया गया है। प्रोजेक्ट के तहत एमआईटी की टीम फुटवियर साइजिंग सिस्टम विकसित करेगी। इसके लिए बिहार और झारखंड के 5 जिलों में टीम करीब 6 हजार लोगों के पैरों के सैंपल सर्वे करेगी। ये लाेग 4 से 55 वर्ष तक उम्र के हाेंगे।

हर उम्र वर्ग में स्त्री-पुरुष के पैर के सैंपल शामिल हाेंगे। प्रोजेक्ट काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च यानी सीएसआईआर और सेंट्रल लेदर रिसर्च इंस्टीट्यूट यानी सीएलआरआई का है। टीम काे 2022 तक स्वदेशी फुटवियर साइजिंग सिस्टम विकसित कर लेना है। उल्लेखनीय है कि अब तक मूल रूप से इंग्लैंड के साइज सिस्टम से बने जूते-चप्पल ही भारतीय बाजारों में आते हैं।

बिहार में पटना, मधुबनी के साथ-साथ दरभंगा जिले में लोगों के पैरों के लिए जाएंगे माप
एमआईटी के लेदर डिपार्टमेंट के प्रो. मणिकांत के अनुसार बिहार में मधुबनी, दरभंगा और पटना जिलों के लाेगाें के पैरों की माप लेनी है। झारखंड में लातेहार और सरायकेला खरसावां में सैंपल लिए जाएंगे। सैंपल का थ्री डी मेजरमेंट सीएलआरआई को सौंपा जाएगा।

इन आंकड़ों के आधार पर स्वदेशी फुटवियर साइजिंग सिस्टम विकसित हाेगा। टीम में एमआईटी के लेदर टेक्नोलॉजी विभागाध्यक्ष प्रो. संजय कुमार चौधरी के साथ प्रो. मणिकांक, डॉ मिथिलेश कुमार राय और डॉ आरती हैं।

थ्री डी फिट स्कैनर मशीन से लेंगे सैंपल
टीम थ्री डी फिट स्कैनर मशीन से पैर का माप लेगी। यह खास मशीन इटली से मंगाई गई है। मशीन की खासियत 10 सेकंड में पैरों के अलग-अलग 30 डायमेंशन से फोटो कैप्चर करना है। इसमें लंबाई और चौड़ाई जुड़ी है। सर्वे टीम स्कूलों में माप लेगी। इसके लिए आशा की भी मदद ली जा सकेगी।

विदेशियों-भारतीयों के पैरों की माप में अंतर
मेडिकल साइंस के मुताबिक विदेशियों के पैरों की माप से भारतीय पैरों की माप भिन्न है। ऐसे में भारत के लाेगाें के लिए जूते-चप्पल खरीदने में एडजस्टमेंट करना होता है। हरियाणा और पंजाब इलाके के लोगों के पैर बड़े होते हैं। वहीं, पूर्वोत्तर भारत के लोगों के पैर छोटे होते हैं।

देश में 79 स्थानों पर लिए जाएंगे सैंपल
थ्री डी फूट स्कैनर की मदद से देश के 79 स्थानों पर सैंपल लिए जाएंगे। सेंट्रल फुटवियर ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट आगरा, रीजनल सेंटर फॉर एक्सटेंशन कानपुर, रीजनल सेंटर फॉर एक्सटेंशन जालंधर, सीएसआईआर जम्मू और एमआईटी मुजफ्फरपुर को रीजनल सेंटर फॉर एक्सटेंशन बनाया गया है।

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