अब वह 1962 वाला भारत नहीं है,कैसे?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

भारत अब 1962 वाला देश नहीं रहा। जो इसकी कथनी है, वही इसकी करनी है। दुनिया इसे देख चुकी है और इसका ताजा उदाहरण चीन के कदम से देखा जा सकता है। पहले जून 2017 में डोकलाम की तनातनी के बाद चीन को यहां से अपने पैर वापस खींचने पड़े और अब जून 2020 में टकराव के चार वर्षों बाद चीन ने फिर से कदम वापस कर लिए हैं।आज का भारत अपने हकों के लिए लड़ता है और आवाज बुलंद करता है, लेकिन यह भी उतना ही सही है कि यह शांति और वसुधैव कुटुंबकम में यकीन रखता है

भारत-चीन की सीमा

भारत और चीन के बीच कोई सीमा नहीं है। इनके बीच केवल एक काल्पनिक सीमांकन है, ना कि किसी मानचित्र या जमीन पर। इन दोनों देशों को वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) अलग करती है। हालांकि, दोनों देश एलएसी पर सहमत नहीं हैं। भारत एलएसी को 3,488 किलोमीटर लंबा मानता है, जबकि चीन इसे केवल 2000 किलोमीटर ही मानता है।

डोकलाम का मामला

भारत-भूटान और चीन के बीच का तिकोना पठारी हिस्सा डोकलाम है। चीन यहां पर अपनी मौजूदगी चाहता है और इस पर मार्ग बनाकर पूर्वोत्तर राज्यों को शेष भारत से जोड़ने वाली भारतीय सीमा के पास आना चाहता है। इससे जुड़े समझौते भी हैं, जो चीन को यहां आने से रोकते हैं, लेकिन ड्रैगन अपनी हरकतों से बाज नहीं आता।

भूटान के डोकलाम में 16 जून 2017 को चीन सड़क निर्माण सामग्री पहुंचाने लगा। विरोध के बाद भी जब चीनी सेना नहीं मानी, तो भूटान ने भारत की मदद मांगी। भारतीय सेना ने हस्तक्षेप किया और पीएलए को रोका। इससे गतिरोध बढ़ा और भारत ने अपने सैनिकों की तैनाती जारी रखी। हालांकि काफी विवाद और हस्तक्षेप के बाद 28 अगस्त को दोनों देशों ने अपनी सेनाएं वापस ले लीं। कोरोना काल के दौरान 15 और 16 जून 2020 की रात में गलवन घाटी में भारत और चीन की सेना पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी के बीच भिड़त हो गई थी। इसमें एक कर्नल समेत 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे।

भारत-चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा के बीच पांच ऐसे स्थान थे, जहां पर दोनों देशों की सेनाओं के बीच संघर्ष की स्थिति बनी थी। इनमें देपसांग मैदान, डेमचोक, गलवन घाटी, पैंगोंग सो और गोगरा हॉट स्प्रिंग शामिल थे।

इन क्षेत्रों से हट चुकी थीं सेनाएं

2020 में हुए संघर्ष के बाद विभिन्न चरणों की कूटनीतिक और सैन्य कमांडरों की कई दौर की बैठकों के बाद गलवन घाटी, पैंगोंग सो और गोगरा हॉट स्प्रिंग से दोनों देशों की सेनाएं पीछे हट गई थीं और यहां संघर्ष की कोई संभावना नहीं थी। हालांकि, देपसांग और डेमचोक पर सेनाएं तैनात थीं और संघर्ष का खतरा बना हुआ था।

सीमा विवाद सुलझाने पर भारत और चीन के बीच सहमति बनते दिख रही है। पूर्वी लद्दाख में मई 2020 से दोनों देशों के बीच गतिरोध जारी है। मगर ब्रिक्स सम्मलेन से पहले विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने बताया कि दोनों देश सहमति के करीब है। अगर ऐसा हुआ तो मई 2020 से पहले वाली स्थिति बहाल की जाएगी।

भारत और चीन के बीच पेट्रोलिंग की व्यवस्था को लेकर बनी सहमति को 2020 में पूर्वी लद्दाख में उत्पन्न हुए तनाव के समाधान के रूप में देखा जा रहा है। इस झड़प में 20 भारतीय सैनिक बलिदान हुए थे। वहीं बड़ी संख्या में चीनी सैनिक मारे गए थे। इस घटना के बाद से भारत ने चीन के विरुद्ध कई कड़े कदम उठाए।

  • सीधी उड़ानों पर प्रतिबंध: दोनों देशों के बीच चार साल से कोई सीधी उड़ान नहीं है। चीन भारत पर सीधी यात्री उड़ानें फिर से शुरू करने के लिए दबाव डालता रहा है।
  • सख्त वीजा नियम: सीमा पर झड़पों के मद्देनजर भारत ने चीनी नागरिकों के वीजा आवेदनों की जांच बढ़ा दी थी। सख्त वीजा नियमों का मतलब था कि चीन के विशेष इंजीनियर देश में प्रवेश नहीं कर सकते थे।
  • चीनी निवेश पर शिकंजा: 2020 में भारत ने पड़ोसी देशों में स्थित कंपनियों के निवेश की जांच प्रक्रिया में पुनरीक्षण और सुरक्षा मंजूरी की एक अतिरिक्त परत जोड़कर इसे और सख्त बना दिया था। इसे चीनी कंपनियों द्वारा अधिग्रहण और निवेश को रोकने के कदम के रूप में देखा गया था। इसके कारण पिछले चार वर्षों में चीन द्वारा प्रस्तावित अरबों डालर के निवेश की अनुमोदन प्रक्रिया अटक गई।
  • मोबाइल एप्स पर बैन: डाटा और गोपनीयता के मुद्दों का हवाला देते हुए, भारत ने लगभग 300 चीनी मोबाइल एप्स पर बैन लगा दिया था। इसके अलावा भारत ने पिछले साल चीनी स्मार्टफोन कंपनी वीवो कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी पर वीजा नियमों का उल्लंघन करने और 13 अरब डॉलर की धनराशि की हेराफेरी का आरोप लगाया था। वहीं विदेशी मुद्रा प्रबंधन कानून के उल्लंघन की जांच करते हुए चीनी कंपनी शाओमी की 60 करोड़ डालर से अधिक की संपत्ति जब्त कर ली गई थी।

वोल्गा नदी के तट पर बसे रूस के शहर कजान में ब्रिक्स सम्मलेन है। संभावना है कि यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात हो सकती है। हालांकि अभी तक द्विपक्षीय बैठक की कोई सूचना नहीं है। माना जा रहा है कि सीमा विवाद सुलझाने पर चर्चा हो सकती है।

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