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अब सरकारी कर्मियों के घर किलकारी गूंजने पर आर्थिक सहयोग करेगा स्वास्थ्य विभाग - श्रीनारद मीडिया

अब सरकारी कर्मियों के घर किलकारी गूंजने पर आर्थिक सहयोग करेगा स्वास्थ्य विभाग

अब सरकारी कर्मियों के घर किलकारी गूंजने पर आर्थिक सहयोग करेगा स्वास्थ्य विभाग

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• दो संतानों तक ही सीमित है सुविधा का लाभ
• सामान्य प्रसव और सीजेरियन, पीड़ित के लिए मेडिक्लेम आधारित सुविधा उपलब्ध
• जननी सुरक्षा योजना के तहत भी दी जाती है आर्थिक मदद

श्रीनारद मीडिया‚ पंकज मिश्रा‚ छपरा (बिहार)

अब सरकारी कर्मी या फिर अधिकारी के घर किलकारी गूंजने पर प्रसव पीड़ा के दौरान होने वाले खर्च का आर्थिक भार स्वास्थ्य विभाग उठाएगा। जिले की आम जनता के साथ सरकारी कर्मी भी सुरक्षित प्रसव के लिए सतर्क रहें। इस बाबत स्वास्थ्य विभाग ने यह विशेष पहल की है। स्वास्थ्य विभाग ने यह निर्णय लिया है कि बच्चे के जन्म लेने पर प्रसव पीड़ा के दौरान होने वाले खर्च की चिकित्सा प्रति स्वास्थ्य विभाग की ओर से मिलेगी। इस संबंध में प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत ने पत्र जारी कर प्रमंडलीय आयुक्त, डीएम व सिविल सर्जन को आवश्यक दिशा-निर्देश दिया है। जारी पत्र में कहा गया है कि प्रसव एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, फिर भी प्रसव के दौरान अनुकूल चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करायी जाती है, तो जच्चा व बच्चा की मां और शिशु मृत्यु दर में कमी आती है। साथ ही माता व शिशु के स्वास्थ्य में भी वृद्धि होती है। बिहार उपचार नियमावली के नियम 26 के अनुसार राज्य सरकार को यह शक्ति है कि वह किसी भी व्यक्ति को, जो इस नियमावली के समन्वय उपचार या इलाज के लिए दस्तावेज नहीं है, उसके लिए उपचार व इलाज की सुविधा प्रदान करें।
दो संतानों तक ही सीमित है सुविधा का लाभ:
सरकारी कर्मी और अधिकारियों को सरकार की ओर से मिलने वाली यह सहायता पहले दो संतानों तक ही सीमित रहेगी। इसमें अच्छी बात यह है कि चाहे बच्चे का जन्म नाॅर्मल डिलेवरी से हो या फिर सीजेरियन, दोनों ही स्थिति में सरकारी कर्मियों को विभाग की ओर से चिकित्सा के प्रति परामर्श मिलेगा। वर्तमान में अखिल भारतीय सेवाओं के कर्मियों को सामान्य प्रसव और सीजेरियन, पीड़ित के लिए मेडिक्लेम आधारित सुविधा उपलब्ध करायी जाती है । अब बिहार सरकार भी अपने सरकारी कर्मियों और अधिकारियों को उपलब्ध कराएगी।

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जननी सुरक्षा योजना के तहत भी दी जाती है आर्थिक मदद:
सिविल सर्जन डॉ. जर्नादन प्रसाद सुकुमार ने बताया जननी सुरक्षा योजना राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के तहत एक सुरक्षित मातृत्व कार्यक्रम है। इसका उद्देश्य गरीब गर्भवती महिला में सुरक्षित प्रसव को बढ़ावा देना है। केंद्र सरकार इसके लिए गर्भवती महिलाओं को आर्थिक मदद देती है। इस योजना का लाभ केवल गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाली महिलाएं ही उठा सकती हैं।

ग्रामीण क्षेत्रों की गर्भवती महिलाएं :
सिविल सर्जन डॉ. जर्नादन प्रसाद सुकुमार ने बताया जननी सुरक्षा योजना के अंतर्गत ग्रामीण महिलाएं, जो गर्भवती हैं और गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करती हैं, उन्हें सरकार द्वारा 1400 रुपए की वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। इसके अलावा आशा सहयोगी को प्रसव प्रोत्साहन के लिए 300 रुपए और प्रसव के बाद सेवा प्रदान करने के लिए 300 रुपए की सहायता दी जाती है।

शहरी क्षेत्रों की गर्भवती महिलाएं :
इस योजना के अंतर्गत शहरी क्षेत्र की गरीब गर्भवती महिलाओं को प्रसव के समय 1000 रुपए की वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। इसके अलावा आशा सहयोगी को प्रसव प्रोत्साहन के लिए 200 रुपए और प्रसव के बाद सेवा प्रदान करने के लिए 200 रुपए प्रदान किए जाते हैं।

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