अतिकुपोषित बच्चों के लिए वरदान साबित हो रहा है सदर अस्पताल स्थित एनआरसी 

अतिकुपोषित बच्चों के लिए वरदान साबित हो रहा है सदर अस्पताल स्थित एनआरसी

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कुपोषित बच्चे की मां को कुपोषण मुक्त समाज निर्माण को लेकर किया जाता है जागरूक : जिलाधिकारी
कुपोषण की समस्या से पीड़ित बच्चों के लिए संजीवनी साबित हो रहा है एनआरसी : डीपीएम
नामांकित बच्चों को पौष्टिक आहार के रूप में डायट के अनुसार खिलाया जाता है खाना : पोषण विशेषज्ञ

श्रीनारद मीडिया, कटिहार, (बिहार):

स्वास्थ्य विभाग की ओर से संचालित पोषण पुनर्वास केंद्र विगत कई वर्षों से ज़िले सहित आसपास के बच्चों के लिए वरदान साबित हो रहा है। विगत जनवरी से दिसंबर 2021 तक 181 बच्चों को यहां नया जीवन मिल चुका है। हालांकि कोविड-19 के कारण मई एवं जून महीने में एनआरसी बंद था। जिस कारण इन दो महीनें में एक भी बच्चा परामर्श के लिए नहीं आ सका था। जबकिं जनवरी 2022 में 20, फ़रवरी में 28, मार्च में 27, अप्रैल में 27, मई में 39 एवं जून महीने में 26 बच्चे सदर अस्पताल परिसर स्थित पोषण पुनर्वास केंद्र आये और पूरी तरह स्वस्थ होने के बाद अपने परिजनों के साथ वापस घर गए हैं। अभी भी 13 अतिकुपोषित बच्चों का उपचार एनआरसी में चल रहा है।

 

कुपोषित बच्चे की मां को कुपोषण मुक्त समाज निर्माण को लेकर किया जाता है जागरूक : जिलाधिकारी
जिलाधिकारी उदयन मिश्रा ने बताया कि पोषण पुनर्वास केंद्र में मिलने वाली सभी तरह की सुविधाएं पूरी तरह से नि:शुल्क हैं। केंद्र में नामांकित बच्चों के वजन में न्यूनतम 15 प्रतिशत की वृद्धि के बाद ही उसे यहां से घर वापस (डिस्चार्ज) भेजा जाता है। जिलाधिकारी ने अपील की जिले में कोई भी बच्चा कुपोषण की समस्या से पीड़ित है, तो वह स्थानीय आंगनबाड़ी सेविकाओं से संपर्क कर स्थानीय सदर अस्पताल परिसर स्थित एनआरसी में नामांकित (भर्ती) हों। अगर इस दौरान उन्हें किसी प्रकार की कोई असुविधा होती है तो वह अपने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र या फिर स्वास्थ्य विभाग के जिला मुख्यालय और एनआरसी जाकर भी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) में कुपोषित बच्चे की मां को कुपोषण मुक्त समाज निर्माण को लेकर जागरूक किया जाता है। इस दौरान एएनएम या स्टाफ़ नर्स के द्वारा मौजूद धातृ महिलाओं को कुपोषण के मुख्य कारण, लक्षण, बचाव एवं इसके उपचार की विस्तृत जानकारी दी जाती है। जिसमें महिलाओं को कुपोषण से पीड़ित बच्चों की पहचान करने, साफ-सफाई का विशेष ख्याल रखने, कुपोषण से बचाव के तरीके आदि की जानकारियां दी जा रही हैं।

 

कुपोषण की समस्या से पीड़ित बच्चों के लिए संजीवनी साबित हो रहा है एनआरसी : डीपीएम
जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीएम डॉ किशलय कुमार ने बताया कि सरकार द्वारा संचालित पोषण पुनर्वास केंद्र में नामांकित बच्चों को पूरी तरह से पोषणयुक्त बनाकर उन्हें अपने अभिभावकों के साथ घर वापस भेजा जाता है। उन्होंने बताया कि कुपोषण की समस्या से जूझ रहे बच्चों को 14 दिनों के लिए पोषण पुनर्वास केंद्र में रखा जाता है। जहां कुपोषित बच्चे को अस्पताल के शिशु रोग से संबंधित चिकित्सकों द्वारा दिए गए सलाह के अनुसार ही उनके खानपान का विशेष ख्याल रखा जाता है। 14 दिनों के अंदर अतिकुपोषित बच्चा पोषणयुक्त नहीं हो पाता हैं तो वैसे बच्चें को 21 दिनों तक रखकर विशेष रूप से देखभाल की जाती है। अतिकुपोषित बच्चे को पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) में नामांकन करने के लिए कुछ मानक निर्धारित किए गए हैं। जिसके तहत कुपोषित बच्चों की विशेष रूप से जांच की जाती है। जिसमें मुख्य रूप से वजन एवं हाथों की मोटाई की माप की जाती है ।

 

नामांकित बच्चों को पौष्टिक आहार के रूप में डायट के अनुसार खिलाया जाता है खाना : पोषण विशेषज्ञ
पोषण पुनर्वास केंद्र में कार्यरत पोषण विशेषज्ञ रानी कुमारी ने बताया कि एनआरसी में नामांकित बच्चों को पौष्टिक आहार के रूप डायट के अनुसार खाना दिया जाता है। एनआरसी में नामांकित बच्चों के लिए पोषणयुक्त आहार को लेकर प्लान तैयार किया गया है। जिसके अनुसार बच्चों को प्रतिदिन अलग-अलग तरह के व्यंजन के अलावा चिकित्सीय सलाह के बाद दवा दी जाती है। बच्चों को पौष्टिक आहार में खिचड़ी, दलिया, सेव, चुकंदर, अंडा सहित अंकुरित अनाज भी समय-समय पर खिलाया जाता है। केंद्र पर आने वाले नवजात शिशुओं की माताओं या अभिभावकों के साथ परामर्श देने के बाद बताया जाता है कि बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए कब कितनी मात्रा में कौन से आहार खिलाना चाहिए। छः महीने से अधिक एवं 59 माह तक के ऐसे बच्चे जिनकी बायां भुजा 11.5 सेमी हो और उम्र के हिसाब से लंबाई व वजन न बढ़ता हो तो वह कुपोषित माने जाते हैं। वैसे बच्चें को ही पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती किया जाता है। इसके साथ ही दोनों पैरों में पिटिंग एडीमा हो तो ऐसे बच्चों को भी यहां पर भर्ती किया जाता है।

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