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अति कुपोषित बच्चों के लिए भगवान से कम नहीं एनआरसी - श्रीनारद मीडिया

अति कुपोषित बच्चों के लिए भगवान से कम नहीं एनआरसी

अति कुपोषित बच्चों के लिए भगवान से कम नहीं एनआरसी

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लावारिश बच्ची को भी मिला एनआरसी जीवनदान, कर्मियों द्वारा किया जा रहा है पोषित:
लावारिश बच्ची के लिए उम्मीद की किरण बनी पोषण पुनर्वास केंद्र: जिलाधिकारी
एनआरसी में विशेष डायट चार्ट के अनुसार खिलाया जाता है बच्चों को भोजन: सिविल सर्जन
बेहतर पौष्टिक आहार से बच्ची को किया जा रहा है सुपोषित: डीपीएम
लावारिश बच्ची को शिशु रोग एवं पोषण विशेषज्ञ द्वारा किया जाता हैं पोषित: नोडल अधिकारी
एनआरसी के बच्चों को विशेष रूप से रखा जाता है ख़्याल: पोषण विशेषज्ञ

श्रीनारद मीडिया, कटिहार, (बिहार):

सदर अस्पताल परिसर स्थित पोषण एवं पुनर्वास केंद्र अति कुपोषित बच्चों और उसके अभिभावकों सहित लावारिश हालात में पाए जाने वाले मासूमों के लिए उम्मीद की किरण बनकर उभरी है। यहां अतिकुपोषित बच्चों को उनके एक अभिभावक के साथ कम से कम 14 एवं अधिकतम 21 दिनों तक रखकर उनके पोषण एवं स्वास्थ्य की नियमित देख भाल शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ एके देव, डॉ अमित कुमार, डॉ अरशद आलम, डॉ आशिफ नवाज़, डॉ पूनम, फिजियोथेरिपिस्ट सूरज कुमार, पोषण पुनर्वास केंद्र के नोडल अधिकारी मज़हर अमीर, पोषण विशेषज्ञ रानी कुमारी, स्टाफ़ नर्स महेंद्र, देवेंद्र, रामचरण, ओम प्रकाश, आशीष, निरंजन निराला, कुमार अभिषेक आनंद सहित कई अन्य के द्वारा की जाती है।

 

लावारिश बच्ची के लिए उम्मीद की किरण बनी पोषण पुनर्वास केंद्र: जिलाधिकारी
जिलाधिकारी उदयन मिश्रा का कहना है कि सदर अस्पताल स्थित एनआरसी लावारिश बच्ची के लिए उम्मीद की नयी किरण है। यहाँ 14 से 21 दिनों तक नियमित तौर पर स्वास्थ्य से संबंधित जांच और पौष्टिक आहार देने के बाद बच्चे का वजन, ऊंचाई, बाजू एवं सिर की मापी के साथ ही स्वास्थ्य से संबंधित पूरी तरह से जांच की जाती है। इस जांच में आशा के अनुरूप सुधार होने के बाद ही बच्चे को एनआरसी से उनके घर भेजा जाता है।

 

विशेष डायट चार्ट के अनुसार खिलाया जाता है बच्चों को भोजन: सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डॉ डीएन झा ने बताया कि गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिलाओं को उचित आहार नहीं मिलने के कारण अक्सर नवजात शिशु कुपोषण के शिकार हो जाते हैं। कुछ वैसे भी बच्चें होते हैं जो जन्म के बाद पौष्टिक आहार नहीं मिलने से कुपोषण के शिकार हो जाते हैं। वैसे बच्चों का स्वास्थ्य विभाग एवं अन्य सहयोगी संस्थाओं द्वारा खोज कर पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती कराया जाता है। कुपोषित बच्चों को एनआरसी में रखकर इलाज एवं विशेष रूप से डायट तैयार कर खिलाया जा रहा है। सही मात्रा में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, विटामिन, खनिज तत्व युक्त भोजन, आहार दिए जाते हैं।

 

बेहतर पौष्टिक आहार से बच्ची को किया जा रहा है सुपोषित: डीपीएम
जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीएम डॉ किशलय कुमार ने बताया कि कटिहार रेलवे जंक्शन के प्लेटफार्म संख्या आठ पर खड़ी ट्रेन के डब्बे में सीट पर लावारिस हालत में एक कपड़े की गठरी मिली थी। जीआरपी द्वारा उस गठरी को खोला गया तो लगभग तीन वर्ष की बच्ची दिखी। काफ़ी खोजबीन करने के बावजूद कोई अभिभावक नहीं मिला तो चाईल्ड लाइन के अधिकारियों ने रेलवे जंक्शन पहुंच कर उक्त बच्ची को सदर अस्पताल परिसर स्थित एनआरसी में लाकर रखा गया। अब यही बच्ची का नियमित चेकअप और पौष्टिक आहार दिया जाता है।

 

लावारिश बच्ची को शिशु रोग एवं पोषण विशेषज्ञ द्वारा किया जाता हैं पोषित: नोडल अधिकारी
पोषण पुनर्वास केंद्र के नोडल अधिकारी मज़हर अमीर ने बताया कि चाइल्ड लाइन द्वारा 26 अगस्त 2022 को लाई गई लावारिश बच्ची का वजन 4.950 किलोग्राम था जो आज बढ़कर 5.990 किलोग्राम हो गया है। उस वक़्त उसकी ऊंचाई 69 सेंटीमीटर थी जो आज 69.4 सेंटीमीटर हो गया है। इसी तरह जेड स्कोर 4 एस डी था जो 3 एस डी हो गया है। एम यू ए सी 9.5 सेंटीमीटर था जो बढ़कर 11.4 सेंटीमीटर हो गया है। उस बच्ची का सिर 44 सेंटीमीटर था जो बढ़कर 44.5 सेंटीमीटर हो गया है।

 

एनआरसी के बच्चों को विशेष रूप से रखा जाता है ख़्याल: पोषण विशेषज्ञ
पोषण पुनर्वास केंद्र की पोषण विशेषज्ञ रानी कुमारी ने बताया कि प्रत्येक दो से तीन घंटे के अंतराल पर पौष्टिक आहार दिया जाता है। जैसे: हलुआ, अंडा, मौसमी फल, हरि सब्जियों से युक्त खिचड़ी, दूध से बना हुआ दलिया, दाल व रोटी, चावल, दाल, सब्जी, मांस व मछली, दूध में मिला हुआ पौष्टिक तत्व, हल्का व सुपाच्य भोज्य पदार्थ के साथ ही गर्मी व ठंड के मौसम में अलग-अलग प्रकार के भोजन आदि।

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