300 से ज्यादा फिल्में करने के बाद एनटी रामाराव बने थे आंध्र प्रदेश के सीएम.
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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
एन. टी. रामाराव का जन्म 28 मई 1923 को मद्रास प्रेसीडेंसी के कृष्ण ज़िले के एक छोटे से ग्राम निम्माकुरु में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गाँव के ही एक शिक्षक सुब्बाराव से ग्रहण की। उनके माता-पिता ने बचपन में ही उन्हें उनके मामा को गोद दे दिया था। गांव में अच्छी शिक्षा का प्रबंध नहीं था, इसलिए वे अपने गांव में महज पांचवीं कक्षा तक ही पढ़ाई कर पाए। इसके पश्चात् वह अपने दत्तक माता-पिता के साथ विजयवाड़ा चले गए जहाँ उन्होंने नगर निगम के विद्यालय में दाखिला लिया।
उन्होंने सन 1940 में दसवीं की परीक्षा उत्तीर्ण की और उसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए विजयवाड़ा के एस. आर. आर. और सी. वी. आर. कॉलेज में दाखिला लिया। उनके परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी, इसलिए पढ़ाई के दौरान रामाराव अपने परिवार की मदद करने के लिए विजयवाड़ा के स्थानीय होटलों में दूध वितरण का कार्य करते थे। वर्ष 1945 में उन्होंने स्नातक की पढ़ाई के लिए आन्ध्र-क्रिश्चियन कॉलेज में दाखिला लिया। सन 1942 में उन्होंने अपने मामा की बेटी के साथ विवाह किया।
तेलुगू फिल्मों के मशहूर एक्टर नन्दमूरि तारक रामाराव को एनटीआर के नाम से जाना जाता है। एनटीआर ने साल 1949 में तेलुगू फिल्म ‘मना देसम’ से अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की थी। उन्होंने करीब 300 से ज्यादा फिल्में की। एक्टिंग के अलावा उन्होंने कई फिल्मों की पटकथा लिखी और फिल्म निर्माता के तौर पर कई फिल्में बनाई भी हैं। भारतीय सिनेमा में योगदान के लिए भारत सरकार ने रामाराव को साल 1968 में पद्मश्री से सम्मानित किया था।
तेलुगू के अलावा एनटीआर ने तमिल और हिंदी फिल्में भी कीं। वो एक ऐसे अभिनेता रहे जिन्होंने अपने करियर में 17 बार कृष्ण का किरदार निभाया। इन फिल्मों में ‘श्री कृष्णार्जुन युधम’, ‘कर्णं’ और ‘दानवीर सूर कर्ण’ काफी पॉपुलर हैं। यह रिकॉर्ड बनाने वाले एनटी रामा राव पहले ऐसे भारतीय एक्टर हैं। बाद में एनटीआर ने पौराणिक फिल्में छोड़ ऐसे रोल करना शुरू कर दिया जिसका नायक व्यवस्था के खिलाफ लड़ता था। आइए जानते हैं ऐसे ही और दिलचस्प किस्सों के बारे में ..
एन. टी. रामाराव ने सन 1982 में आंध्र प्रदेश को कांग्रेस के राज और आधिपत्य से मुक्ति दिलाने के उद्देश्य से तेलुगु देशम पार्टी की स्थापना कर राजनीति में प्रवेश किया। जब उन्होंने राजनैतिक जीवन आरम्भ किया तब वे तेलुगु सिनेमा के सफल और लोकप्रिय अभिनेता थे। चुनावों में उनकी पार्टी को जबरदस्त सफलता मिली। 9 जनवरी 1983 को वे दस कैबिनेट मंत्रिओं और पांच राज्य मंत्रिओं के साथ आंध्र प्रदेश के दसवें मुख्यमंत्री बने। 1983 से 1994 के बीच वह तीन बार आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री बने।
अपने पहले कार्यकाल के दौरान रामाराव ने जन मानस को एकत्र करना शुरू किया और महिलाओं और समाज के अन्य पिछड़े वर्गों को मुख्य धारा में लाने का कार्य किया। अगस्त 1984 में आन्ध्र प्रदेश के राज्यपाल रामलाल ने उन्हें हटाकर भास्कर राव को मुख्यमंत्री बना दिया पर भारी विरोध प्रदर्शन के बाद प्रधानमंत्री ने राज्यपाल रामलाल को हटाकर शंकर दयाल शर्मा को नया राज्यपाल नियुक्त किया जिन्होंने रामाराव को सितम्बर 1984 में फिर से मुख्यमंत्री बनाया।
ऐसा कहा जाता है कि एनटीआर ने राजीव गांधी से बदला लेने के लिए यह पार्टी बनाई थी और जब पार्टी चुनाव में उतरी तो भारी बहुमत से विजयी हुई। आज प्रदेश की वह प्रमुख राजनीतिक पार्टी है। बात हो रही है तेलुगुदेशम पार्टी (टीडीपी) की, जिसकी नींव एक अभिनेता ने समाज सुधारने के लिए या लोगों की भलाई के लिए नहीं, राजीव गांधी से बदला लेने के लिए रखी गई थी।
एनटीआर की पर्सनल लाइफ की बात करें तो उन्होंने 1942 में अपने मामा की बेटी बासव तारकम से शादी की थी। एनटीआर के 8 बेटे और 4 बेटियां थीं। 1985 में उनकी पत्नी का निधन हो गया था। सन 1993 में 70 साल की उम्र में रामा राव ने तेलुगु लेखक लक्ष्मी पार्वती से शादी की थी लेकिन एनटीआर के परिवार ने लक्ष्मी को कभी भी स्वीकार नहीं किया। एनटीआर का पोता जूनियर एनटीआर साउथ की फिल्मों में जाना-माना नाम है।