हाय री किस्मत ! एक गज जमीन की खातिर नष्ट हो गया अनिल का समूल साम्राज्य !

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दर्द भरी कहानी घनश्याम पाठक की जुबानी,धत तेरी की जर जोरू और जमीन

श्रीनारद मीडिया / सुनील मिश्रा वाराणसी यूपी

वाराणसी / जहाँ एक पक्ष कम में भी गुजारा करने को तैयार था,तो दूसरा पक्ष उन्हें कम भी नहीं मिलने देना चाहता था,एक व्यक्ति के रूप में देखेंगे तो समझ में आएगा की आखिर कितना भी सीधा व्यक्ति हो एक दिन सहते-सहते जब अति हो जाती है तो बागवत होती ही है।चाहे किसी की आन्दोलन का इतिहास उठाके देख लीजिये।वर्षो की ज्यादतियां ही बगावत को जन्म देती है और महाभारत का युद्ध तो धर्म का अधर्म के विरुद्ध युद्ध था,महान था,गीता का ज्ञान था,विश्व को मिलना था,कर्म का विधान और लोहों को देखना था,नारी का सम्मान,अपमान लोगों को देखना था,जीवन का दर्पण दिखना था। पांडवों ने तो सिर्फ कौरव से पांच गांव ही मांगा था, पर उसने कहा था कि सुई की नोक भर भी जमीन नहीं देंगे। फिर क्या था,कौरव और पांडव के बीच युद्ध हुआ, पांडवों की जीत हुई और कौरवों का सर्वनाश हो गया। बस इसी कड़ी का हिस्सा है धरौरा गांव निवासी विजेंद्र दुबे का मामला भी

जरा गौर करिएगा मेरी बातों पर सही लिखे होगे तो आत्मसात करिएगा, गलत लिखे होगे तो सिरे से खारिज कर दीजिएगा। वीरेंद्र दुबे,देवेंद्र दुबे,विजेंद्र दुबे,आशीष दुबे,सुशील दुबे,ये सभी लोग पांच भाई यानी पांडव हैं। पांडव रूपी विजेंद ने कौरव रूपी दुर्योधन अनिल दुबे से सिर्फ अपने मकान की पुरानी खिड़की ही लगाने का तो अनुरोध किया था, पर दुर्योधन ने साफ शब्दों में कह दिया कि खिड़की की बात तो जुदा रही,तुम्हें सुई की नोक भर भी जमीन नहीं देंगे। बस लड़ाई इसी जगह से शुरू हो गई। हां इतना जरूर है कि कौरवो की सेना में तमाम बड़े-बड़े धुरंधर थे,इधर पांडवों की सेना में हिंदुओं के आराध्य 33 कोटी देवी देवताओं की कृपा से आनंद जी के माध्यम से सिर्फ घनश्याम पाठक का उदय हो गया। घनश्याम पाठक ने अपनी पीपीसी के कलम वीरों रूपी सेना के माध्यम से कौरवो पर कानूनी लड़ाई से वार करना शुरू कर दिया। अंततः परिणाम क्या हुआ कि दुर्योधन रूपी अनिल का पतन और पांडव रूपी बिजेंद्र का उत्थान शुरू हो गया।

हालात यहां तक पहुंच गए की दुर्योधन रूपी अनिल ने जितना भी विजेंद्र के साथ क्रूरता किया था, उन सब में उसे पराजय ही पराजय मिली। अब हालात तो यह बन गए हैं कि दुर्योधन रूपी अनिल का जो आलीशान आशियाना बना है,वह भी ढहने के कगार पर आ गया है, क्योंकि राजस्व टीम की पैमाईश से यह पता चला कि लगभग 10 बिस्वा बंजर की जमीन पर कब्जा करके मकान व अन्य निर्माण करवाया गया है। इतना ही नहीं गन गया गनर गए, खिड़की खुली जाली लगे, अनिल दुबे के सारे रुतबे भी जमीनदोज हुए। प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी के कुशल नेतृत्व में वाराणसी के एडीजी जोन पीयूष मोर्डिया जी की सख्ती पर आधा दर्जन लोगों के ऊपर दर्ज हुए संगीन धाराओं में फर्जी मुकदमे भी समाप्त हुए।सत्यमेव जयते।।

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