कार्तिक पूर्णिमा एवं देव दिवाली के दिन विभिन्न घाटों पर गंगा स्नान को उमड़ा श्रद्धालुओ का सैलाब
घाटों पर पहुंच श्रद्धालु गंगा स्नान कर दान पुण्य किये
श्रीनारद मीडिया, प्रसेनजीत चौरसिया, सीवान (बिहार)
सोमवार को कार्तिक पूर्णिमा के दिन पवित्र घाट नरहन के सरयू नदी में हजारो श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई. साथ ही पूजा अर्चना और दान भी किए. वही मन्नत पूरी होने पर महिलाओं ने कोशी भरने की परंपरा को भी पूरा किया.नहान के बाद
महिलाओं और बच्चों ने मेले में खूब जमकर खरीदारी भी की. स्थानीय प्रशासन की ओर से नदी में गोताखोर और दंडाधिकारी की भी तैनाती की गई थी. मेले मे अत्यधिक भीड़ को देखते हुए पुलिस बल के जवान गश्त करते देखे गए।
पौराणिक मान्यता के अनुसार कार्तिक मास का विशेष महत्व है.कार्तिक के पूरे माह सूर्योदय से पूर्व गंगा स्नान का विशेष महत्व माना जाता है। साथ ही कार्तिक पूर्णिमा के दिन स्नान, दान, तप और व्रत का भी विशेष महत्व बताया गया है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार भगवान विष्णु का प्रथम अवतार मत्स्य अवतार इसी दिन हुआ था। वेदों की रक्षा, प्रलय के अंत तक सप्तश्रृषियों अनाजों, व राजा सत्यव्रत की रक्षा के लिए भगवान विष्णु को इस रुप मे अवतरित होना पड़ा था।
कार्तिक पूर्णिमा के दिन हुआ था त्रिपुरासुर का वध
कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था, जिससे देवगण बहुत प्रसन्न हुए और भगवान विष्णु ने शिवजी को त्रिपुरारी नाम दिया जो शिव के अनेक नामों में से एक है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन महादेव ने प्रदोष काल में अर्धनारीश्वर के रूप में त्रिपुरासुर का वध किया। उसी दिन देवताओं ने शिवलोक यानि काशी में आकर दीपावली मनाई। तभी से ये परंपरा काशी में चली आ रही हैं। माना जाता है कि कार्तिक मास के इस दिन काशी में दीप दान करने से पूर्वजों को मुक्ति मिलती है।
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