एक बार फिर शिक्षा विभाग के द्वारा एक लूट सिस्टम की तैयारी
. शिक्षक नियोजन प्रक्रिया एक लूट का अड्डा
. प्राधिकार है भ्रष्टाचारियों के संरक्षण का अधिकार
श्रीनारद मीडिया, मनीष कुमार, सीवान, (बिहार):
शिक्षक नियोजन की बात जब भी आती है आम आदमी के दिमाग में कई आने लगते हैं । वर्ष 2018-19 में विभाग में हुई धांधली की जांच वर्तमान जिला अधिकारी के द्वारा हो रही थी जिसमें क्या हुआ आज तक पता नहीं चला। इसके अलावा भी 2012 -2014 के वर्ष में भी हुए नियोजन प्रक्रिया संदेह के घेरे में है। शिक्षा विभाग के खेल इतने निराले हैं की सत्य कहना भी बेमानी होगी। जब भी शिक्षक नियोजन प्रक्रिया की सुगबुगाहट होती है तो प्रस्तावित नियोजन समितियां हरकत में आ जाती है। और फिर खेल शुरू होता है लेन-देन का और इस प्रकार जो भी लेनदेन पर नियोजित शिक्षक बनता है उससे बरसों वेतन के लिए इंतजार करना पड़ता है।और और वेतन भी अगर लेना है तो उसके लिए डीईओ कार्यालय के बड़ा बाबू ,और डीओ के शागिर्दों को चढ़ावा देना होता है। सिवान शिक्षा विभाग का प्रथम वेतन निकलवाने के लिए 50हजार से 1लाख तक का मानक रखा गया है जो दो से तीन भागों में बांटा जाता है।ऐसे कई मामले जनादेश के पास हैं जिनमें लेनदेन हुई है और अधिकारियों की संलिप्तता पाई गई है। ऐसे में जब शिक्षक इस प्रकार के मामले में संलिप्त रहेंगे तो पठन-पाठन कैसे संभव होगा।फिलहाल तो कोरोना महामारी की वजह से सभी स्कूलों का पठन-पाठन बंद है वरना शिक्षा विभाग का खेल बड़े स्तर पर देखने को मिलता।पर अभी भी वेतन जारी करवाने का गुणा गड़ित चल रहा है। शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार चरम पर है जीतना चरम पर है इतना अगर पठन-पाठन की प्रक्रिया में होता तो शायद राज्य में शिक्षा की तस्वीर ही बदल जाती । लेकिन इन भ्रष्टाचारियों के रहते यह संभव नहीं है शिक्षा विभाग का यह खेल चलते रहेगा :-शेष अगले अंक में
क्या कहते है जिम्मेवार
जब इस सम्बंध में डीपीओ स्थापना से बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने रविवार का हवाला देते हुए बात करने से इनकार कर दिया।
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