एक देश, एक चुनाव बिल पर लोकसभा में मतदान हुआ
एक देश-एक चुनाव का अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ेगा?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
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विपक्षी दलों का हंगामा
वन नेशन-वन इलेक्शन के पक्ष में ये दल
- भाजपा
- जेडीयू
- टीडीपी
- वाईएआर कांग्रेस
- बसपा
वन नेशन-वन इलेक्शन के विरोध में ये दल
- कांग्रेस
- सपा
- टीएमसी
- आरजेडी
- पीडीपी
- शिवसेना उद्धव गुट
- जेएमएम
इससे पहले, लोकभा स्पीकर ने कहा कि इस पर जेपीसी के समय व्यापक चर्चा होगी। चर्चा के लिए सभी को पूरा समय दिया जाएगा। पूरे विस्तार के साथ चर्चा होगी। स्पीकर ने कहा कि जितने दिन आप चर्चा चाहते हो, मैं उतने दिन का ही समय दूंगा।
एक देश-एक चुनाव का अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ेगा?
क्या है एक देश-एक चुनाव?
भारत में एक देश-एक चुनाव का मतलब है कि संसद के निचले सदन यानी लोकसभा चुनाव के साथ ही सभी राज्यों के विधानसभा चुनाव भी कराए जाएं।
देश में कैसे होते थे चुनाव?
आजादी के बाद वर्ष 1950 में देश गणतंत्र बना। वर्ष 1951-52 से 1967 के बीच लोकसभा के साथ ही राज्यों के विधानसभा चुनाव पांच वर्ष में होते रहे। वर्ष 1952, 1957, 1962 और 1967 में ये चुनाव हुए।
इसके बाद कुछ राज्यों का पुनर्गठन हुआ और कुछ नए राज्य बनाए गए। इसके अलावा लोकसभा को भी समय से पहले भंग किया गया। इसके कारण एक साथ चुनाव का चक्र टूट गया और तब से अलग-अलग चुनाव होने लगे। कोविन्द कमेटी की रिपोर्ट बताती है कि सभी चुनाव एक साथ होने पर भारत की राष्ट्रीय रियल जीडीपी ग्रोथ अगले वर्ष 1.5 प्रतिशत बढ़ जाएगी। जीडीपी का 1.5 प्रतिशत वित्त वर्ष 2023-24 में 4.5 लाख करोड़ रुपये के बराबर था। यह रकम भारत के स्वास्थ्य पर कुल सार्वजनिक खर्च का आधा और शिक्षा पर खर्च का एक तिहाई है।
वन नेशन वन इलेक्शन का निवेश पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
देश में चुनावों का चक्र लगातार चलते रहने से निवेश को लेकर अनिश्चितता का माहौल बनता है। सभी चुनाव एक साथ होने से जीडीपी के लिए नेशनल ग्रॉस फिक्स्ड कैपिटल फॉर्मेशन (निवेश) का अनुपात करीब 0.5 प्रतिशत बढ़ जाएगा। केंद्र और राज्यों के चुनाव एक साथ होने पर सार्वजनिक खर्च 17.67 प्रतिशत बढ़ जाएगा। अहम बात यह सार्वजनिक खर्च में राजस्व के बजाए पूंजीगत खर्च अधिक होगा। सामान्य तौर पर पूंजीगत खर्च बढ़ने से जीडीपी ग्रोथ को मजबूती मिलती है।
क्या एक देश-एक चुनाव से महंगाई में गिरावट आएगी?
एक साथ चुनाव होने और अलग अलग चुनाव होने दोनों परिदृश्य में महंगाई कम होती है। लेकिन एक साथ चुनाव होने के परिदृश्य में महंगाई में अधिक गिरावट आती है। यह अंतर करीब 1.1 प्रतिशत का हो सकता है। चुनावों के बाद सार्वजनिक खर्च बढ़ने का मतलब है कि एक साथ चुनाव के बाद अलग अलग चुनावों की तुलना में ग्रोथ रेट बढ़ेगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि चुनाव के दो वर्ष पहले और दो वर्ष बाद राजकोषीय घाटा 1.28 प्रतिशत तक बढ़ सकता है।
अमेरिका में एक साथ होता है चुनाव
जहां तक दूसरे देशों में एक देश, एक चुनाव की व्यवस्था की बात है, तो इस सूची में अमेरिका, फ्रांस, स्वीडन, कनाडा आदि शामिल हैं। अमेरिका में हर चार वर्ष में एक निश्चित तारीख को ही राष्ट्रपति, कांग्रेस और सीनेट के चुनाव कराए जाते हैं। इसके लिए संघीय कानून का सहारा लिया जाता है।